नैश से हो रही लिवर पर सूजन और फाइब्रोसिस

Wednesday, Jun 12, 2019 - 01:11 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल): अब तक एल्कोहल लेने वालों का फैटी लिवर हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ साल से ट्रैंड बदल गया है अब नॉन एल्कोहोलिक फैटी लीवर (एन.ए.एफ.एल.डी.) की शिकायत लोगों को ज्यादा रहती है। पी.जी.आई. हैपेटोलॉजी डिपार्टमैंट के प्रो. अजय दुसेजा के मुताबिक फैटी लिवर के मरीज नॉर्थ में खास कर ज्यादा हैं, जिसमें पंजाब काफी आगे है। इसकी वजह यहां के लोगों का खान पीना तो है ही, लेकिन फिजिकल एक्टीविटी न करना इसका बड़ा कारण है। 

नॉन एल्कोहलिक स्टीटो हैपेटाइटिस (नैश) फैटी लिवर की एक सीवियर स्टेज है, जिसमें लिवर पर सूजन और फाइब्रोसिस (रेशे) बन जाते हैं। जो लिवर सिरोसिस व लिवर कैंसर का कारण भी बनते हैं, जिसका इलाज सिर्फ लिवर ट्रांसप्लांट ही है। नैश एक कॉमन डिजीज है जो एन.ए.एफ.एल.डी. के 20 प्रतिशत मरीजों को होती है। 

एक हजार हैल्दी ब्लड डोनर्स पर किया रिसर्च 
हैपेटोलॉजी डिपार्टमैंट ने एन.ए.एफ.एल.डी. का प्रिवलैंस जांचने के लिए एक  हजार हैल्दी ब्लड डोनर्स पर एक रिसर्च किया है जो एक इंटरनैशनल जरनल में पब्लिश हुआ है। रिसर्च के मुताबिक 53 प्रतिशत हैल्दी डोनर्स में एन.ए.एफ.एल.डी.(नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर) को देखा गया। इस दौरान डोनर्स का मैटाबोलिक रिस्क फैक्टर्स को देखा गया जिसमें ओवरवेट, ओबेसिटी, डायबटीजि, हाइपरटैंशन समेत कई दूसरी दिक्कतें पाई गई। लिवर फैट का फेवरेट पॉर्ट है जो वहीं ज्यादा जमता है। ज्यादा मात्रा में फैट आने से लिवर का फंक्शन डिस्टर्ब होता है जो कि लिवर सूजन का कारण बनता है और यही रिस्क फैक्टर्स नैश का कारण बनते हैं। 

हैल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएं
डा. दुसेजा ने बताया कि फैटी लीवर एक लाइफ स्टाइल डिस्ऑर्डर बन गया है, जिससे बचने के लिए हैल्दी रुटीन फॉलो करना बहुत जरूरी है। आजकल बच्चों में भी फैटी लिवर की केस आ रहे हैं, वह इसलिए क्योंकि उनकी फिजिकल एक्टीविटी भी कम हो रही है। ऐसे में हैल्दी फूड के साथ एक्सरसाइज, आउटडोर गेम्स और एल्कोहल नहीं लेनी चाहिए। 

हर हफ्ते 10 नए मरीज
डा. दुसेजा कहते हैं कि पी.जी.आई. फैटी लिवर को लेकर हर हफ्ते 10 नए मरीज रजिस्टर किए जाते हैं। नैश एक ऐसी बीमारी जो बहुत प्रोग्रैसिव है, यह रुकती नहीं। जो लगातार लिवर को डैमेज करती रहती है। लिवर सिरोसिस व लीवर कैंसर के मरीजों का कारण कई बार वायरस के कुछ अनॉन फैक्टस भी होते हैं, जिनका कई बार पता नहीं चल पाता। इन्ही फैक्ट्स का पता लगाने के लिए विभाग ने एक स्टडी की है जिसमें देखा गया कि जिन मरीजों को वायरस के कारण सिरोसिस व कैंसर नहीं हुआ, उन मरीजों में ओवरवेट, ओबेसिटी, डायबटीजि, हाइपरटैंशन, लिपिट अन-बैलेंस पाया गया जो कि नैश का कारण बनते हैं। 

bhavita joshi

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