सुखना सैंक्चुरी से सिर्फ चार कदम की दूरी पर कंस्ट्रक्शन

punjabkesari.in Wednesday, Oct 04, 2017 - 08:38 AM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : सुखना लेक के कैचमैंट एरिया में कंस्ट्रक्शन करने पर एक ओर जहां टाटा कैमलोट हाऊसिंग प्रोजैक्ट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही सख्त रवैया अपना चुका है वहीं, दूसरी ओर हरियाणा सरकार की अनदेखी की वजह से ईको सैंसटिव जोन के सारे नियम दरकिनार किए जा रहे हैं। 

 

दरअसल चंडीगढ़ और पंजाब ईको सैंसटिव जोन का दायरा तय कर चुके हैं। इनमें से चंडीगढ़ का ईको सैंसटिव जोन का दायरा मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरमैंट, फॉरैस्ट एंड क्लाइमेट चेंज की ओर से नोटिफाई भी किया जा चुका है जबकि दूसरी ओर हरियाणा के एरिया में आने वाली सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के दायरे पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। यही वजह है कि हरियाणा के एरिया में आती सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के पास कंस्ट्रक्शन वर्क धड़ल्ले से जारी है। 

 

आलम यह है कि नेपली फॉरैस्ट के गेट के पास ही एक बड़ी इमारत बन रही है, जिस पर हरियाणा सरकार की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। हालांकि अब यू.टी. के फॉरैस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट ने यह मामला हरियाणा सरकार के सामने उठाने का फैसला लिया है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस बारे में हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर तुरंत कंस्ट्रक्शन वर्क बंद करने की मांग की जाएगी।

 

यह कहते हैं नियम :
इसी साल जनवरी में मिनिस्ट्री ने चंडीगढ़ के दायरे में आती सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के ईको सैंसटिव जोन का दायरा नोटिफाई कर दिया था। इसके अनुसार सैंक्चुरी के 500 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की नई कंस्ट्रक्शन नहीं की जा सकती है। नोटिफिकेशन में साफ तौर से लिखा गया है कि 500 मीटर के भीतर न तो कमर्शियल कंस्ट्रक्शन हो सकती है और न ही घर बनाया जा सकता है। 

 

2.75 किलोमीटर तक दायरा जोन में आया :
चंडीगढ़ के अंतर्गत आती सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के 1050 हेक्टेयर के एरिया को मिनिस्ट्री ईको सैंसटिव जोन के दायरे में ला चुका है। मिनिस्ट्री ने चंडीगढ़ में 2 से 2.75 किलोमीटर के एरिया को इस जोन में शामिल किया है। जबकि पंजाब ने 100 मीटर का दायरा प्रोपोज्ड करके मिनिस्ट्री के पास भेजा था, जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है जबकि हरियाणा ने अपना प्रोपोजल तैयार नहीं किया। 


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