शहर में बढ़ती जा रही है आवारा कुत्तों की संख्या, कुछ नहीं कर रहा नगर निगम

Monday, Jun 25, 2018 - 12:46 PM (IST)

चंडीगढ़(साजन/रश्मि) : शहर में इन दिनों आवारा कुत्तों का जबरदस्त आतंक है। कोई एरिया ऐसा नहीं है, जहां इन आवारा कुत्तों से लोग परेशान न हों। यह झुंडों में घूमते हैं और हर आने-जाने वाले के पीछे दौड़ते हैं। 

इन कुत्तों की संख्या पर अंकुश लगाने और पकडऩे के लिए जिम्मेदार नगर निगम गंभीरता से कोई प्रयास नहीं कर रहा है। कुत्तों के काटने के कई मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में सैक्टर-18 के पार्क में डेढ़ साल के बच्चे को कुत्तों ने नोचकर मार डाला। बापूधाम में एक महिला को कुत्ते ने काट लिया। लोग ऐेसे मामलों में अब संबंधित अफसरों की जवाबदेही चाहते हैं।

खौफ के साए में जी रहे लोग :
चंडीगढ़ और मोहाली में कोचिंग इंस्टीच्यूट चला रहीं अंजू शर्मा ने कहा कि चंडीगढ़ हो या मोहाली, आवारा कुत्तों से हर जगह बचकर निकलना पड़ता है। कई सैक्टरों में तो आवारा कुत्तों के झुंड के झुंड दिखाई देते हैं। नगर निगम के अधिकारियों को चाहिए कि समस्या पर गंभीरता से गौर करें। छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं व बुजुर्ग बाजार, पार्क या सड़कों पर निकलते हैं। ऐसे में अगर उन पर आवारा कुत्ते हमला करें तो मुश्किल पैदा हो जाती है। 

लोग इन कुत्तों की वजह से खौफ के साए में जी रहे हैं। यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि कुत्तों ने डेढ़ साल के बच्चे को पार्क में नोचा है। पहले भी चंडीगढ़ और मोहाली में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं। नगर निगम इस पर कोई नोटिस नहीं ले रहा। चंडीगढ़ में तो इन्हें पकड़े जाने का प्रोविजन है। जो संस्थाएं इनके लिए काम कर रही हैं उन्हें केवल दिखावा नहीं करना चाहिए।

कैसे खेलेंगे बच्चे पार्कों में?
दीपक कुमार ने कहा कि गली में घूम रहे आवार कुत्तों से बचने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन को जरूर कुछ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि घर से बाहर निकलते ही अक्सर कुत्तों का झुंड दिख जाता है, जिन्हें देखकर डर लगता है। कुत्ते कहीं काट न लें, उनसे बचने के लिए बहुत ही ध्यान से निकलना पड़ता है। कुत्तों को देखकर अब ज्यादा डर लगता है। प्रशासन को गलियों में सड़कों पर घूम रहे आवारा कुत्तों की संख्या कम हो, इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। 

पार्क जाती हूं बच्चों के साथ :
गृहणी सुनीता का कहना है कि  पार्क में डेढ़ साल के बच्चे को आवारा कुत्तों द्वारा नोचकर मार डाले जाने की घटना के बाद तो अब गलियों में घूम रहे आवारा कुत्तों के आतंक से और ज्यादा डर लगता है। यह आवारा कुत्ते कब काट लें, हमेशा यही डर लगा रहता है। 

सुनीता ने कहा कि पार्क में हुई घटना के बाद से उन्होंने अपने बच्चों को पार्क में अकेला भेजना बंद कर दिया है। अब वह अपने बच्चों के साथ खुद पार्क जाती हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इन कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए कुछ करना चाहिए। 
 

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