अब दिमाग करेगा दिल का इलाज, बेहतर होगा कार्डियक प्रोसिजर्स

punjabkesari.in Sunday, Aug 13, 2017 - 10:13 AM (IST)

चंडीगढ़ (अर्चना): अब दिल का इलाज दिमाग करेगा। मरीज के दिल का दर्द अब स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स (एस.ओ.पी.) को ध्यान में रखते हुए डाक्टर्स दूर करेंगे। नई गाइडलाइंस और एस.ओ.पी. को ध्यान में रखते हुए ही डाक्टर्स पेशैंट्स की ब्लॉकेज दूर करने का फैसला ले सकेंगे। पहले स्टैंटिंग करने के लिए डाक्टर्स के पास कोई गाइडलाइंस नहीं थी। हर हॉस्पिटल का डाक्टर अपने अनुभव के आधार पर दिल का इलाज देता था। इसकी वजह से बहुत से पेशैंट्स की स्टैंटिंग जरूरत के बगैर ही कर दी जाती थी। पेशैंट की आर्टरीज की ब्लॉकेज का स्तर देखे बगैर ही डाक्टर्स पेशैंट्स के हार्ट की स्टैंटिंग कर रहे थे। स्टैंटिंग का डिसीजन भी सिर्फ डाक्टर्स ही लेते थे परंतु जी.एम.सी.एच.-32 के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.एस. रेड्डी की मानें तो अब पेशैंट्स खुद की स्टैंटिंग का फैसला ले सकेंगे। 

 

चूंकि डाक्टर्स के लिए पेशैंट्स को यह बताना अनिवार्य होगा कि पेशैंट को हार्ट पेन किस वजह से है और उसका इलाज दवा से हो सकता है या नहीं और स्टैंटिंग करना कितना जरूरी है। जरूरत के बगैर की गई स्टैंटिंग का मामला जब एक कोर्ट में उठा तो कोर्ट ने मैडीकल कौंसिल ऑफ इंडिया को कार्डियक प्रोसिजर्स के लिए एस.ओ.पी. और गाइडलाइंस बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। एम.सी.आई. ने एक कमेटी का गठन कर दिया है जो एस.ओ.पी. और गाइडलाइंस बना रही है। एक तरफ जहां सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट का मानना है कि एस.ओ.पी. की वजह से कार्डियक प्रोसिजर्स में क्वालिटी आ सकेगी वहीं एम.डी. करने वाले डाक्टर्स का कहना है कि कमेटी को देश के डाक्टर्स की संख्या और पेशैंट्स को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइंस बनानी चाहिए ऐसा न हो कि युवा डाक्टर्स कार्डियक प्रोसिजर करने से महरूम रह जाएं, पेशैंट्स मर जाएं। पश्चिम देशों की स्थिति अलग है। एस.ओ.पी. बनाने हैं तो देश के हालातों को ध्यान में रखते हुए बनाएं पश्चिम की नकल न करें। 

 

कमेटी इन प्वाइंट्स पर देगी तवज्जो
-जरूरत के बगैर किसी पेशैंट की कार्डियक स्टैंटिंग न हो। कार्डियोलॉजिस्ट की मानें तो ऐसा देखने में आता है कि प्राइवेट हॉस्पिटल के डाक्टर्स कोरोनरी आर्टरी की एनॉटमी को ध्यान में रखते हुए स्टैंट डाल देते हैं। जबकि स्टैंटिंग के लिए आर्टरी ब्लॉकेज की मात्रा 50 प्रतिशत से अधिक या 80 प्रतिशत से कम को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाना चाहिए।
-आपात स्थिति में अगर पेशैंट की एंजियोग्राफी हो गई है तो उसके तुरंत बाद स्टैंटिंग न की जाए। हालांकि हार्ट अटैक की स्थिति में यह नियम नहीं लागू होगा।
-पेशैंट के डिसीज, ट्रीटमैंट की किस्म और खर्च का ब्यौरा देना अनिवार्य होगा। 
-हॉस्पिटल के कार्डियक प्रोसिजर्स का इंटरर्नल और एक्सर्टनल ऑडिट किया जाए। 
-डाक्टर की डिग्री लेने के बाद ही कोई डाक्टर कार्डियक प्रोसिजर न शुरू कर दे। कार्डियक इंटरवैंशन की शुरुआत से पहले डाक्टर किसी सीनियर के दिशा निर्देश में 100 के करीब कार्डियक प्रोसिजर कर चुका हो और उसके बाद स्वतंत्र रूप से ही इंटरवैंशन कर सके। 


 

एम.सी.आई. ने गाइडलाइंस निर्धारण के लिए बनाई है तीन डाक्टर्स की कमेटी
मैडीकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने कार्डियक प्रोसिजर्स की गाइडलाइंस निर्धारण के लिए तीन डाक्टर्स की एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी में देश के जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सी.वी. भीरमननदम, डॉ. अशोक सेठ, डॉ. जी.डी. गुप्ता को शामिल किया गया है। कमेटी न सिर्फ कार्डियक प्रोसिजर्स को लेकर न सिर्फ स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोजिसर्स तैयार करने बल्कि ऐसी गाइडलाइंस भी बनाएगी, जिसके बाद जूनियर या अनुभवहीन डाक्टर्स काडिर्यक इंटरवैंशन नहीं कर सकेंगे हालांकि वह सीनियर डाक्टर्स को असिस्ट जरूर कर सकेंगे। 

 

स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स बनने की वजह से हार्ट ट्रीटमैंट की क्वालिटी बेहतर होगी। पहले देश में हार्ट स्टैंटिंग या ऑपरेशन को लेकर कोई गाडइलाइंस नहीं थी, जिस कारण हर कार्डियोलॉजिस्ट मनमर्जी से प्रोसिजर कर रहा था। नई गाइडलाइंस बनने के बाद न सिर्फ प्राइवेट हॉस्पिटल बल्कि गवर्नमैंट हॉस्पिटल के डाक्टर्स के लिए भी नियमों का पालन करना जरूरी होगा। ऐसा फैसला बहुत पहले ले लेना चाहिए था क्योंकि कार्डियक प्रोसिजर्स के ऑडिट से ट्रीटमैंट टैक्नीक से लेकर इक्वीप्मैंट्स के खर्च की जानकारी भी मिल सकेगी। पश्चिमी देशों में सिर्फ उन डाक्टर्स को हार्ट प्रोसिजर्स की अनुमति मिलती है जिन्होंने 100 से अधिक पेशैंट्स के कार्डियक प्रोसिजर्स को असिस्ट किया होता है।     -डॉ.एच.के. बाली, प्रख्यात कार्डियोलॉजिस्ट

 

मैडीकल कौंसिल ऑफ इंडिया को काफी पहले कार्डियक प्रोसिजर्स से जुड़े नियमों को लेकर गाइडलाइंस बना देनी चाहिए थी। सिर्फ कोर्ट के आदेशों के बाद एम.सी.आई. ऐसा फैसला ले रही है। गाइडलाइंस न होने से यह पता ही नहीं चल रहा था कौन सा कार्डियोलॉजिस्ट कौन सा प्रोसिजर अपना रहा है। काफी केसेज ऐसे भी होते हैं जिनमें पेशैंट को स्टैंटिंग की जरूरत नहीं होती है परंतु प्राइवेट हॉस्पिटल के डाक्टर्स उन पेशैंट्स की भी स्टैंटिंग कर देते हैं। हार्ट में ब्लॉकेज 50 प्रतिशत से अधिक है या 80 प्रतिशत से कम है इसके मद्देनजर ही स्टैंटिंग का फैसला लिया जाना चाहिए परंतु ऐसा नहीं हो रहा था। अब बेशक केंद्रीय सरकार ने स्टैंट के दाम फ्रीज कर दिए हैं परंतु बहुत से हॉस्पिटल के डाक्टर्स स्टैंट के साथ प्रयोग होने वाली असैसरी डिवाइजेस में अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। इस वजह से कार्डियक प्रोसिजर्स का ऑडिट होना बहुत ही अनिवार्य है।     -डॉ. एस. रैड्डी, कार्डियोलॉजिस्ट, जी.एम.सी.एच.-32 


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