''दिव्यांग होने पर नौकरी से निकाला तो हो सकती है जेल''

punjabkesari.in Friday, Aug 03, 2018 - 12:54 PM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : चंडीगढ़ के सभी स्कूलों में जल्द स्पैशल एजुकेट्स की नियुक्ति की जाएगी। यह जानकारी एजुकेशन सैक्रेटरी बी.एल. शर्मा ने वीरवार को हुई बैठक में दी। बता दें कि वीरवार को चीफ कमीश्नर फॉर पर्सन्स विद डिसेबिलिटी डा. कमलेश कुमार पांडे डिसेबिलिटी को लेकर रिव्यू करने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे। 

उन्होंने पाया कि चंडीगढ़ के 115 सरकारी स्कूलों में से मात्र 25 में शिक्षा विभाग द्वारा स्पैशल एजुकेटर नियुक्त किए हुए हैं, जबकि बाकी बिना ही स्पैशल एजुकेटर के हैं। जो 2017 में लागू हुए दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम की उल्लघंना है। 

उन्होंने निर्देश दिए कि सभी स्कूलों में स्पैशल एजुकेटर रखा जाए। इसी अधिनियम के अनुसार शहर के सभी संस्थान व कार्यालयों को भी डिस्एबल फ्रेंडली होना चाहिए। चंडीगढ़ ने 2017 में सुगम भारत अभियान के तहत नैशनल अवार्ड प्राप्त किया है। 

डा. कमलेश के अनुसार मैं जिस भी राज्य में गया, सभी जगह डिस्एबल पर्सनस के लिए रैंप की सुविधा पर जोर दिया। मुझे अच्छा लगा कि चंडीगढ़ मेें सभी कार्यालयों व स्कूलों में रैंप बनाने का काम चल रहा है। यदि स्कूलों की बाद की जाए तो 115 स्कूलों में से 75 स्कूलों में रैंप बन चुके हैं। 

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में डिसेबिलिटी स्टेट कमीश्नर की कोई पोस्ट ही नहीं है। जबकि सभी स्कूलों में कमीश्नर की नियुक्ति जरूरी है। इसे लेकर उन्होंने गवर्नर वी.पी सिंह बदनौर को भी का  कि वे जल्द से जल्द चंडीगढ़ के डिस्एबिलिटी पोस्ट पर नियुक्ति करें। 

दिव्यांग होने पर नौकरी से निकाला तो हो सकती है जेल :
यदि व्यक्ति किसी कंपनी में नौकरी कर रहा है और एक्सीडैंट में दिव्यांग हो जाता है, तो कंपनी उसे नौकरी से नहीं निकाल सकती। अगर ऐसा होता है तो दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम 2017 के तहत इसमें कड़ी सजा है। जेल के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों के लिए रेल की 3 हजार बोगियों को बाधा रहित बनाया जाएगा। देश के 104 रेलवे स्टेशनों को भी दिव्यांगजनों के लिए बाधा रहित बनाया जा रहा है।

नए अधिनियम में डिसेबिलिटी के माने 21 प्रकार : 
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016, 19 अप्रैल 2017 से लागू हो गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत दिव्यांगों के प्रकार 7 से बढ़कर 21 हो गया है। उनको सरकारी सेवा में मिलने वाले आरक्षण का प्रतिशत 3 से बढ़कर 4 प्रतिशत हो गया है। अधिनियम की अवेहलना करने पर दो साल की सजा व पांच हजार रूपए जुमाना का प्रावधान है।

चार वर्षों में आठ हजार के करीब कैंप : 
डा. कमलेश ने बताया कि 1992 से 2014 तक पिछले 22 वर्षों में इस प्रकार के साधन मुहैया कराने के लिए कुल 57 शिविर लगाए गए हैं। एन.जी.ओ. की क्षमता सीमित होती है। कई बार पारदर्शिता भी नहीं रहती। 125 करोड़ सरकार देती थी, कभी खर्च नहीं हुए। पिछले 4 वर्षों में 8000 के करीब शिविर लगाए गए हैं। 

प्रतिवर्ष 30 हजार बच्चे पैदा होते हैं बधिर : 
देश में प्रति वर्ष 30,000 बच्चे बधिर पैदा होते हैं। इनमें से 15 हजार बच्चों को सुनने की मशीन लगाकर सामान्य बच्चों की श्रेणी में लाया जा सकता है। यह योजना सरकार ने पहले नहीं शुरू की थी। लेकिन अब इस दिशा में कार्य कर रही है। आज सुनने की मशीन हम नि:शुल्क दे रहे हैं।


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Priyanka rana

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