स्नैचिंग पर हाईकोर्ट सख्त, SSP तलब

punjabkesari.in Thursday, Mar 22, 2018 - 11:15 AM (IST)

चंडीगढ़(बृजेन्द्र) : शहर में स्नैचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर हाईकोर्ट में फटकार खा चुकी चंडीगढ़ पुलिस के एस.एस.पी. को अब स्नैचिंग की घटनाओं पर काबू पाने को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी हाईकोर्ट में देनी होगी। 

 

बुधवार को केस की सुनवाई दौरान हाईकोर्ट ने यू.टी. की एस.एस.पी. को 3 अप्रैल को हाईकोर्ट में निजी तौर पर पेश होने के आदेश दिए हैं। साथ ही चेन स्नैचिंग की घटनाओं की समस्या पर विराम लगाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी पेश करने को कहा। हाईकोर्ट ने कहा कि स्नैचिंग की घटनाओं को लेकर सीनियर सिटीजंस विशेषकर महिलाएं देर शाम को घर से निकलने से डरती हैं। 

 

वहीं हाईकोर्ट ने पाया कि पुलिस नाकों पर तैनात पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी को लेकर गंभीर प्रतीत नहीं होते। मामले में हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी पार्टी बना लिया है। जिसमें पूछा गया है कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर क्या कार्रवाई की है। प्रशासन ने केंद्र से मांग की थी कि आई.पी.सी. में संशोधन की मांग कर स्नैचिंग में सख्त प्रावधान कर इसमें 10 वर्ष तक की सजा की जाए।

 

चंडीगढ़ पुलिस ने यह जवाब किया पेश :
हाईकोर्ट की फटकार के बाद बुधवार को चंडीगढ़ पुलिस ने अपना संक्षिप्त जवाब पेश किया जिसमें चेन स्नैङ्क्षचग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी पेश की। 

 

चंडीगढ़ पुलिस ने हाईकोर्ट में माना कि चेन स्नैचिंग की घटनाएं हाल ही में तेजी से बढ़ी हैं। पुलिस ने इसके पीछे कहा कि शादी-ब्याह का सीजन होने के नाते महिलाएं सज-संवर कर गहने पहन निकलती हैं। वहीं कहा गया कि पकड़े गए अधिकतर स्नैचर्स बार-बार इस अपराध को अंजाम देने वाले हैं। वहीं इनमें से अधिकतर नशेड़ी हैं। 

 

जवाब में बताया गया कि पड़ोसी राज्य पंजाब में ड्रग के व्यापार और ड्रग यूजर्स पर कार्रवाई से शहर में स्नैचिंग की घटनाओं में तेजी आई है। चंडीगढ़ पुलिस का संदेह पी.जी. में रहने वाले युवाओं की ओर भी घूम रहा है। सभी थाना प्रभारियों को पी.जी. में रहने वालों की पूरी जांच पड़ताल करने के आदेश दिए गए हैं। 

 

वहीं हाईकोर्ट को बताया गया कि यह भी देखने में आ रहा है कि जो लोग ऐसे आरोपियों की श्योरिटी लेते हैं उनका कई बार सुराग नहीं लगता और कई बार वह काल्पिनक होते हैं। इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकारते हुए कहा कि यह बताएं कि कितने केसों में श्योरिटी का सुराग नहीं लगा या वह जाली पाए गए।


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