धोबी घाट जोह रहे बदलाव की बाट, केवल बजट तक सीमित योजना

Sunday, Feb 19, 2017 - 12:56 PM (IST)

चंडीगढ़, (राय): स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर चंडीगढ़ के धोबी घाटों को अत्याधुनिक बनाने की एक बार फिर योजना बनाई गई है। नगर निगम ने वर्ष 2017-18 के बजट में इसके लिए प्रावधान भी कर दिया है लेकिन आज तक इनकी न तो हालत सुधरी है व न ही धोबी घाटों में कोई सुविधा उपलब्ध हो पाई है। पायल्ट प्रोजैक्ट के रूप में सैक्टर-15 के धोबी घाट का जो आधुनिकीकरण किया गया, उसका हाल जाने बिना ही निगम अधिकारियों ने इसके लिए प्रावधान कर दिया। चंडीगढ़ में पिछले 6 दशकों से स्थापित धोबी घाटों की कायाकल्प की परियोजनाएं तो बनती हैं पर उन पर अमल कम ही होता है। '

 

चंडीगढ़ नगर निगम ने वर्ष 2007 में जिस महत्वाकांक्षा के साथ शहर के धोबी घाटों का नवीनीकरण आरंभ किया था उसी गति से वह परियोजना ठंडे बस्ते में भी चली गई। वर्ष 2007 में आधुनिक धोबी घाट की बहुप्रचारित पायलट परियोजना सैक्टर-15 में शुरू की गई थी। क्षेत्र के निवासियों और पेइंग गैस्ट के रूप में रह रहे छात्रों की एक बड़ी संख्या को देखते हुए इस परियोजना की शुरूआत सैक्टर-15 से की गई थी। लेकिन इस परियोजना को अचानक वर्ष 2008 में बंद कर दिया गया। चंडीगढ़ नगर निगम की महत्वाकांक्षी परियोजना के बिजली के बिलों का भुगतान न होने की वजह बंद करना पड़ा।

 

केवल बजट तक सीमित योजना :
वर्ष 2005 से निगम अपने वार्षिक बजटों में सभी धोबी घाटों के आधुनिकीकरण के लिए 1.50 करोड़ रुपए का प्रावधान करता आ  रहा है, परंतु अभी तक यह योजना सफल नहीं हो पाई। शहर में कुल 8 धोबी घाट हैं। इनमें सैक्टर-7 में 1, सैक्टर-15 में 2, जबकि सैक्टर-19, 20, 22, 27 व 32 में 1-1 धोबी घाट है। वर्ष 2005 में निगम ने सभी पुराने धोबी घाटों को आधुनिक धोबी घाट में बदलने का फैसला लिया था। पुराने तरीके से कपड़ों को धोने के कारण जल भी प्रदूषित हो रहा था  और उन्हें अस्वच्छ माहौल में धोया जाता था, जिससे पानी की बर्बादी और बीमारियां फैलने का डर बना रहता था। वर्ष 2008 में सैक्टर-15 में शहर का पहला आधुनिक धोबी घाट का निर्माण हुआ, जिसका उद्घाटन पूर्व  मेयर प्रदीप छाबड़ा ने किया था। 

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