सतत उत्पादकता के लिए कौशल विकास: नवाचार और कार्य कुशलता की संस्कृति को बढ़ावा देना

punjabkesari.in Wednesday, Jul 09, 2025 - 03:19 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आज की तेज़ रफ्तार और लगातार बदलती कारोबारी दुनिया में एक जगह टिके रहना मतलब पीछे रह जाना है। हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां उपभोक्ताओं की पसंद पल-पल बदलती है, बाज़ार रातों-रात फैलते और सिमटते हैं, और तकनीक बेमिसाल गति से आगे बढ़ रही है। इन सभी उतार-चढ़ाव के बीच एक चीज़ स्थिर है – और वह है लोग। प्रतिभा ही सफलता की असली नींव है। लेकिन आज जब ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दबदबा बढ़ रहा है, तो सबसे कुशल पेशेवर भी यह सवाल करने लगे हैं – क्या मशीनें मेरे कौशल को अप्रासंगिक बना देंगी?
किंगशुक दास, डायरेक्टर पीपल एंड कल्चर, आईपीएम इंडिया के अनुसार एआई और ऑटोमेशन के तेज़ी से बढ़ते प्रभाव ने कई पेशेवरों के मन में यह वाजिब चिंता पैदा कर दी है। इसका समाधान बदलाव से डरने में नहीं, बल्कि नए कौशल सीखकर और खुद को समय के साथ ढालकर ही संभव है।


अब उस पुराने तरीक़े से काम नहीं चलेगा जिसमें कंपनियाँ एक बार कोई विशेष कौशल वाला व्यक्ति रखकर निश्चिंत हो जाती थीं। अब ज़माना है अनुकूलनशीलता (adaptability) और निरंतर सीखने का। अल्बर्ट आइंस्टीन का एक प्रसिद्ध कथन है – "बौद्धिक विकास जन्म से शुरू होता है और मृत्यु तक चलता है।" यह विचार आज के दौर में पहले से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक हो गया है।
सिर्फ नए कौशल सीखना अब पर्याप्त नहीं है। यदि कोई संगठन सच में आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे इस सोच के साथ काम करना होगा कि प्रतिभा का विकास व्यवसाय की वृद्धि से भी तेज़ हो।
कंपनियों को चाहिए कि वे अपनी बिजनेस रणनीति का तटस्‍थ विश्‍लेषण करें और यह समझें कि भविष्य में उनकी ग्रोथ किन क्षेत्रों से आने वाली है — क्या वह कोई नया उत्पाद होगा? कोई उभरती हुई श्रेणी जिसमें बदलाव की ज़रूरत है? या फिर बिक्री और वितरण प्रणाली को नया रूप देना?


जब हम कौशल विकास की दिशा को इन विशिष्ट संभावनाओं की ओर मोड़ते हैं, तो हम सिर्फ़ लोगों को प्रशिक्षित नहीं कर रहे होते, बल्कि व्यवसाय को भविष्य के लिए मज़बूत बना रहे होते हैं — एक ऐसी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त के साथ जो नवाचार को गति देती है और कंपनी को आगे ले जाती है।
आज के समय में कारोबारी संगठनों को डिज़ाइन थिंकिंग, एजाइल कार्यप्रणाली और नई-नई तकनीकों की गहरी समझ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान देते हुए अपने कर्मचारियों के कौशल को मज़बूत बनाना चाहिए। जब कर्मचारियों को ऐसे भविष्य-केंद्रित कौशलों से लैस किया जाता है, तो वे न केवल कल के बेहतरीन उत्पादों और सेवाओं को तैयार करने में सक्षम होते हैं, बल्कि इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि संगठन नवाचार की दौड़ में सबसे आगे बना रहे।


आईपीएम इंडिया में हम कर्मचारियों की विकास यात्रा को मज़बूती देने के लिए स्ट्रक्चर्ड करियर संवाद, क्रॉस-फंक्शनल अवसरों और समृद्ध प्रशिक्षण संसाधनों के ज़रिए लगातार सहयोग करते हैं। इन संसाधनों में रोज़मर्रा के काम से मिलने वाले अनुभव से लेकर विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए कार्यक्रम शामिल हैं, जो ज्ञान, कौशल और व्यावसायिक समझ को विस्तार देने में मदद करते हैं।
ऑटोमेशन नहीं, सहयोगी है एआई अब कोई दूर की बात नहीं रही। यह न केवल सप्लाई चेन को बेहतर करता है, बल्कि उपभोक्ता व्यवहार की भविष्यवाणी करने और रोज़मर्रा के कामकाज को संभालने में भी कारगर है। लेकिन ऑटोमेशन से जुड़ा डर इस गलतफहमी से पैदा हुआ है कि तकनीक इंसानों की जगह ले लेगी। हमें इसे एक नए नज़रिए से देखने की ज़रूरत है— ऑटोमेशन इंसानी प्रतिभा को मुक्त करता है। कल्पना कीजिए कि किसी कंपनी की ऑपरेशन्स टीम एआई-संचालित इन्वेंट्री सिस्टम लागू करती है। शुरुआत में वेयरहाउस टीम को अपनी भूमिका खत्म होने का डर हो सकता है। लेकिन जब वही टीम एआई एनालिटिक्स को समझने, ज़रूरी फैसलों को प्राथमिकता देने और गड़बड़ियों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित होती है, तो वही कर्मचारी संगठन की सबसे बड़ी ताक़त बन जाते हैं। परिणामस्वरूप ऑपरेशनल दक्षता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है, और टीम एआई को प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि सहयोगी के रूप में देखने लगती है।


रणनीतिक रोटेशन: सीखने का नया ज़रिया
अपस्किलिंग सिर्फ़ एचआर (मानव संसाधन) की कोई और पहल नहीं है, बल्कि यह संगठन की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव है। यह महज़ प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक ऐसा वातावरण बनाने की बात है जहां निरंतर सीखना संगठन की सोच का हिस्सा बन जाए।
हमारे लिए गतिशीलता हमारी विकास रणनीति की बुनियाद है। कई सफल कंपनियों की तरह, हम भी मानते हैं कि आंतरिक बदलाव और विचारों का आदान-प्रदान नवाचार का बड़ा स्रोत है। यह अनुभव सिर्फ़ कक्षा में मिलने वाली सीख से कहीं आगे जाता है और कर्मचारियों को वास्तविक व्यावसायिक समझ प्रदान करता है। टिकाऊ उत्पादकता का मतलब यह नहीं कि कम संसाधनों से अधिक काम लिया जाए। इसका अर्थ है एक ऐसा वातावरण बनाना जहां नवाचार को बढ़ावा मिले, और कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकें। जब संगठन अपस्किलिंग को प्राथमिकता देते हैं, तो वे न केवल अपने लोगों में निवेश करते हैं, बल्कि अपनी दीर्घकालिक मज़बूती और बदलते परिवेश में ढलने की क्षमता में भी निवेश करते हैं। निरंतर सीखने और नवाचार को बढ़ावा देने वाली संस्कृति ही वह चाबी है, जिससे टिकाऊ उत्पादकता हासिल की जा सकती है। और यही वह रास्ता है, जिससे संगठन न केवल आज में सफल होंगे, बल्कि एक जिम्मेदार और समृद्ध भविष्य की दिशा में भी कदम बढ़ाएंगे।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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