सिकुड़ती सुखना को जीवनदान देने की तैयारियां शुरू

Monday, May 21, 2018 - 08:16 AM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : जब से लेक बनी है, तब से उसकी कैपेसिटी 56 प्रतिशत तक कम हुई है। लेक का जलस्तर तेजी से गिरा है। इस आंकड़े की जानकारी खुद यू.टी. के इंजीनियरिंग विभाग ने दी है। डिपार्टमैंट ने इसकी मुख्य वजहें बारिश का पर्याप्त मात्रा में न होना, बढ़ती गर्मी और सिल्ट को बताया है। 

अब सिकुड़ती सुखना को जीवनदान देने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यही वजह है कि अब चंडीगढ़ प्रशासन ने 9 महीने के भीतर किशनगढ़ में सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट (एस.टी.पी.) लगाने के लिए प्रशासन के एजैंसियों से अपने प्रोपोजल सब्मिट करवाने के लिए कहा है। दरअसल हर साल सुखना में पानी की आपूर्ति को पूरा करने के लिए प्रशासन अब बारिश पर निर्भर नहीं रहना चाहता है। 

140 हैक्टेयर के एरिया में बनी सुखना लेक को भारत सरकार की ओर से भी प्रोटैक्टिड नैशनल वेटलैंड घोषित किया गया है। यही वजह है कि अब प्रशासन के ऊपर लेक के अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौती अधिक हो गई है। खास बात यह है कि जो एस.टी.पी. प्रशासन लगाने जा रहा है, उससे आने वाले 12 वर्षों तक सुखना में पानी का लेवल कभी कम नहीं होगा। प्रशासन द्वारा एस.टी.पी. लगाने का प्रोजैक्ट पी.पी.पी. मोड पर लाया जा रहा है। एस.टी.पी. की कैपेसिटी 2.0 एम.एल.डी. की होगी।

1 साल में मिलेगा 5 लाख लीटर पानी :
किशनगढ़ में यह एस.टी.पी. इतनी अधिक कैपेसिटी वाला होगा कि इससे हर साल लगभग 5 लाख 80 हजार किलोलीटर पानी ट्रीट हो सकेगा। सुखना में डालने के अतिरिक्त इस पानी का इस्तेमाल शहर के अन्य हिस्सों में भी किया जाएगा। जो पीने का पानी पिछले साल सुखना में डाला गया था, उसका इस्तेमाल अब डोमैस्टिक सप्लाई के लिए किया जाएगा।

जलीय जीवन को नहीं होगा नुक्सान :
प्रशासन ने कंडीशन लगाई है कि पानी को इतना ट्रीट किया जाए कि जलीय जीवन को नुक्सान न हो। अनचाहे प्लांट और वीड को भी रोका जा सकेगा। रेवैन्यू के तौर पर सक्सेसफुल बिडर को इंजीनियरिंग विभाग द्वारा ट्रीटेड वाटर की कॉस्ट दी जाएगी। जांच के लिए एस.टी.पी. को देश की किसी भी आई.आई.टी. और पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़/एन.आई.टी. से निरीक्षण करवाया जा सकता है।

पानी की जांच के लिए लगेंगे ऑनलाइन डिवाइस :
जो पानी लेक में डाला जा रहा है, वह शुद्ध भी है या नहीं इसके लिए क्वालिटी को चेक करने के लिए ऑनलाइन डिवाइस भी साइट में इंस्टॉल करने होंगे। ट्रीटेड पानी को स्टोर करने के लिए 5 लाख लीटर कैपेसिटी वाला आर.सी.सी. (यू.जी.आर.) अंडरग्राऊंड रिजर्वायर भी बनेगा। 

सीवरेज के पानी और ट्रीटेड पानी की जांच करने के लिए इलेक्ट्रोमेग्रेटिक लो मीटर भी लगेंगे। एजैंसी ही पानी को सुखना लेक तक पहुंचाने का सारा खर्चा उठाएगी। इसके लिए इंजीनियरिंग विभाग प्रति किलोलीटर पानी के हिसाब से अदा करेगा।

17 साल से अब तक सुखना का वाटर लैवल
वर्ष                  लैवल
2000              1159.30
2001              1161.10
2002              1161.10
2003              1163.35
2004              1163.50
2005              1162.40
2006              1156.40
2007              1157.70
2008              1163.95
2009              1159.23
2010              1162.05
2011              1156.55
2012              1162.9
2013              1161.65
2014              1157.0
2015              1160.05
2016              1158.00
2017              1161.90

Punjab Kesari

Advertising