PGI के दूसरे सैटेलाइट सैंटर के निर्माण पर खड़े सवाल
punjabkesari.in Sunday, Nov 26, 2017 - 08:15 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : पी.जी.आई. के दूसरे सैटेलाइट सैंटर के निर्माण पर सवाल खड़े हो गए हैं। बेशक चंडीगढ़ प्रशासन पी.जी.आई. को सारंगपुर की 51 एकड़ जमीन दे चुका है, लेकिन आज तक जमीन पर काम शुरू नहीं किया जा सका है। 51 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री को लेकर विवाद चल रहा है।
चंडीगढ़ प्रशासन रजिस्ट्री के लिए पी.जी.आई. से करोड़ों रुपए मांग रहा है, जबकि पी.जी.आई. ने बगैर पैसों के रजिस्ट्री करवाने की बात कह दी है। जमीन की रजिस्ट्री न होने की वजह से पी.जी.आई. न तो सारंगपुर सैटेलाइट सैंटर के निर्माण की समय सीमा ही तय कर पा रहा है और न ही सारंगपुर में पी.जी.आई. की एक्सपैंशन का प्लान पूरा हो पा रहा है।
सूत्रों की मानें तो सैटेलाइट सैंटर के लिए डाक्टर्स व अन्य स्टाफ की रिक्रूटमैंट का काम भी शुरू किया जा चुका है, अगर सैटेलाइट सैंटर का निर्माण निर्धारित समय में न हुआ तो भर्ती के स्टाफ की सैलरी का भार भी पी.जी.आई. पर पडऩा शुरू हो जाएगा।
सारंगपुर के विभिन्न ब्लॉक्स पर खर्च होंगे 1200 करोड़ :
सूत्रों की मानें तो पी.जी.आई. ने सारंगपुर सैंटर का निर्माण फेसेज में करने का पहले से ही फैसला कर रखा है, क्योंकि सैंटर पर भी करोड़ों रुपए का खर्च आएगा। 1100 करोड़ रुपए प्रशासन को देने के बाद पी.जी.आई. को सैंटर के निर्माण पर 1200 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि खर्च करनी होगी।
अधिकारी का कहना है कि ओ.पी.डी. स्क्रीनिंग के निर्माण पर 300 करोड़ रुपए पहले फेज में खर्च किए जाएंगे। उसके बाद ट्रामा और ओंकोलॉजी सैंटर पर 300 से 400 करोड़ रुपए खर्च होंगे। तीसरे फेज में लर्निंग एंड रिर्सोस सैंटर बनाया जाएगा। चौथे और अंतिम फेज में सारंगपुर में कन्वैंशन सैंटर बनाया जाएगा। 500 करोड़ रुपए की धनराशि लर्निंग रिसोर्स सैंटर और कन्वैंशन सैंटर पर लगाई जाएगी।
छह माह बाद भी नहीं दिए पैसे :
छह महीने बीत जाने के बाद भी पी.जी.आई. ने प्रशासन को 1100 करोड़ रुपए नहीं दिए हैं। 51 एकड़ जमीन की कीमत के तौर पर पी.जी.आई. ने यह धनराशि प्रशासन को जमा करवानी थी। प्रशासन पी.जी.आई. को कई निर्देश भी जारी कर चुका है, परंतु पी.जी.आई. ने इतनी बड़ी धनराशि जमा करवाने में मजबूरी जताते हुए कहा है कि उनका संस्थान एक सर्विस प्रोवाइडर इंस्टीच्यूट है, यहां पेशैंट्स का इलाज भी संस्थान को अपनी जेब से करना पड़ रहा है ऐसे में करोड़ों रुपए की धनराशि जमा करवाना आसान नहीं है।
सूत्रों की मानें तो पी.जी.आई. ने मिनिस्ट्री ऑफ हैल्थ को इस मामले में प्रशासन के होम अफेयर्स डिपार्टमैंट से बात करने के लिए कहा है और कहा कि उन्हें सारंगपुर वाली जमीन मुफ्त में दे दी जाए, ताकि काम शुरू करने के बाद पेशैंट्स का सारंगपुर में इलाज शुरू कर दिया जाए। प्रशासन को हैल्थ मिनिस्ट्री इस बाबत लगातार संपर्क कर रही है, परंतु सूत्र कहते हैं कि प्रशासन जमीन मुफ्त में देने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।
पेशैंट्स लोड हो सकता है कम :
पी.जी.आई. के डायरैक्टर का कार्यभार संभालने के बाद प्रो.जगत राम सारंगपुर के एक्सपैंशन प्लान को पहले ही जगजाहिर कर चुके हैं, परंतु अब तक जमीन ही संस्थान को नहीं मिली है। यह धनराशि प्रशासन ने 51 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री के लिए पी.जी.आई. को देने के लिए कहा है।
जमीन की रजिस्ट्री के बगैर प्रशासन पी.जी.आई. को जमीन नहीं देगा और जमीन के अभाव में सारंगपुर प्रोजैक्ट का काम शुरू नहीं किया जा सकता है। पी.जी.आई. में बढ़ते हुए पेशैंट्स लोड में सारंगपुर प्रोजैक्ट विशेष भूमिका निभा सकता है। पी.जी.आई. के एक अधिकारी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि चंडीगढ़ प्रशासन जमीन की रकम माफ कर देगा, जिसके बाद वह निर्माण कार्य शुरू कर सकेंगे।