सारंगपुर सैटेलाइट सैंटर निर्माण में फंसा 1100 करोड़ का पेंच

punjabkesari.in Saturday, Sep 16, 2017 - 08:37 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : पी.जी.आई. के पास सारंगपुर में बनने वाले दूसरे सैटेलाइट सैंटर की जमीन लेने के लिए पैसा नहीं हैं। चंडीगढ़ प्रशासन ने जमीन के लिए पी.जी.आई. से 1100 करोड़ रुपए मांगे हैं। पी.जी.आई. के संगरूर में बने पहले सैटेलाइट सैंटर में ओ.पी.डी. स्क्रीनिंग पहले ही शुरू की जा चुकी है। सारंगपुर का सैटेलाइट सैंटर न सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से आने वाले मरीजों को इलाज देगा। 

 

सूत्रों की मानें तो पी.जी.आई. को सैटेलाइट सैंटर की जमीन के लिए प्रशासन ने तीन महीने पहले 1100 करोड़ रुपए जमा करवाने के लिए कहा था परंतु जमीन के लिए आज तक पैसा जमा नहीं करवाया जा सका है। यह रकम प्रशासन ने सारंगपुर की 51 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री के लिए पी.जी.आई. को अदा करने के लिए कहा है। जमीन की रजिस्ट्री के बगैर प्रशासन पी.जी.आई. को जमीन नहीं देगा और जमीन के अभाव में सारंगपुर प्रोजैक्ट का काम शुरू नहीं किया जा सकता है।

 

मरीजों का लोड घटाने में हो सकता है अहम :
पी.जी.आई. में बढ़ते हुए मरीजों के लोड कम करने में सारंगपुर प्रोजैक्ट विशेष भूमिका निभा सकता है। पी.जी.आई. के आला अधिकारियों की मानें तो सारंगपुर के लिए हैल्थ मिनिस्ट्री से सहयोग मांगा गया है। मिनिस्ट्री ने होम अफेयर्स डिपार्टमैंट को सारंगपुर की कामीन को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन से बात करने के लिए कहा है। अधिकारियों का कहना है कि होम अफेयर्स डिपार्टमैंट के अप्रोच करने के बाद पी.जी.आई. को सारंगपुर की जमीन मिल सकती है 

 

जबकि उधर पी.जी.आई. फैकल्टी का कहना है कि महीनों बीत जाने के बाद भी अगर पी.जी.आई. को जमीन नहीं मिल सकी है तो यह भी उम्मीद है कि पी.जी.आई. को निकट भविष्य में पी.जी.आई. से जमीन मिलने के आसार नहीं है, सारंगपुर की जमीन मिलने में कई और महीने लग सकते हैं। पी.जी.आई. में बीते साल 25 लाख मरीज संस्थान में इलाज के लिए आए थे। यहां की एक दिन की ओ.पी.डी. में आने वाले मरीजों की तादाद 8000 से लेकर 11000 तक पहुंच चुकी है और लोड बढ़ता ही जा रहा है। सारंगपुर सैटेलाइट सैंटर में ओ.पी.डी. स्क्रीनिंग शुरू होने के बाद पी.जी.आई. में आने वाले 11000 मरीज सारंगपुर जाने लगेंगे। यही नहीं, सारंगपुर में ट्रामा सैंटर बनने के बाद पी.जी.आई. की इमरजैंसी का पेशैंट लोड भी घट जाएगा। सारंगपुर में लर्निंग रिसोर्स सैंटर और कनवेंशन सैंटर भी शुरू किया जाएगा।

 

सारंगपुर सैटेलाइट सैंटर का निर्माण होगा चरणों में :
सूत्रों की मानें तो पी.जी.आई. ने सारंगपुर सैंटर का निर्माण चरणों में करने का पहले से ही फैसला कर रखा है क्योंकि सैंटर पर भी करोड़ों रुपये का खर्च आएगा। 1100 करोड़ रुपए प्रशासन को देने के बाद पी.जी.आई. को सैंटर के निर्माण पर 1200 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि खर्च करनी होगी। अधिकारी का कहना है कि ओ.पी.डी. स्क्रीनिंग के निर्माण पर 300 करोड़ रुपए पहले फेज में खर्च किए जाएंगे। उसके बाद ट्रामा सैंटर पर 300 से 400 करोड़ रुपए खर्च होंगे। तीसरे फेज में लर्निंग एंड रिर्सोस सैंटर बनाया जाएगा। चौथे और अंतिम फेज में सारंगपुर में कनवैंशन सैंटर बनाया जाएगा। 500 करोड़ रुपए की धनराशि लर्निंग रिसोर्स सैंटर और कनवैंशन सैंटर पर लगाई जाएगी। 

 

मिनिस्ट्री तीन सैंटर्स के लिए मंजूर कर चुकी है 1475 करोड़ रुपए का बजट :
हैल्थ मिनिस्ट्री ने पिछले महीने ही पी.जी.आई. का 1475 करोड़ रुपये का बजट पास किया है। दिल्ली में हुई नीति आयोग, वित्त मंत्रालय और हैल्थ मिनिस्ट्री की एक बैठक के दौरान हैल्थ मिनिस्टर जे.पी. नड्डा ने पी.जी.आई. के ऊना में बनने वाले तीसरे सैटेलाइट सैंटर के लिए 495 करोड़ रुपए, एडवांस मदर एंड चाइल्ड सैंटर के लिए 485 करोड़ रुपये जबकि एडवांस न्यूरोसाइंस सैंटर के लिए 495.31 करोड़ रुपए को मंजूरी दी थी। 

 

पी.जी.आई. अधिकारी की मानें तो 1475 करोड़ रुपए के बजट में सबसे पहले एडवांस मदर एंड चाइल्ड सैंटर के काम की शुरुआत की जाएगी, उसके बाद एडवांस न्यूरोसाइंस सैंटर और फिर ऊना सैटेलाइट सैंटर का काम शुरू होगा। तीनों सेंटर्स के निर्माण का काम अलग-अलग कंपनी को दिया जाएगा ताकि निर्माण में किसी भी किस्म की रूकावट न आ सके। अधिकारी का कहना है कि 250 बैड का अस्पताल का काम तय समय के बाद भी पूरा नहीं हो सका है इसलिए भावी प्रोजैक्ट्स का निर्माण कार्य ऐसी कंपनी को दिया जाएगा, जो कम समय में एडवांस सैंटर्स को तैयार करेगी। 


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