जज्बे को सलाम : नर्स मोनिका ने खुद कह कर कोरोना मरीजों के साथ लगवाई ड्यूटी
punjabkesari.in Sunday, May 17, 2020 - 01:10 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : 5 साल से पी.जी.आई. कैथ लैब में बतौर स्टाफ नर्स काम कर रही हूं। लैब में क्रिटिकल पेशैंट्स ही आते हैं। ऐसे में इतने साल का अनुभव तो था लेकिन कोरोना मरीजों के साथ काम करना अपने आप में एक बड़ा चैलेंज है। जब से पी.जी.आई. नेहरू एक्सटैंशन सैंटर को कोरोना पॉजीटिव मरीजों के लिए बनाया गया था, तब से यहां काम करना चाहती थी।
मैंने खुद अपनी ए,एन.एस. को बोला था कि मैं यहां काम करना चाहती हूं। हालांकि मेरे इस फैसले में फैमिली मैंबर्स जरूर थोड़े परेशान हुए थे लेकिन मेरी मां ने बड़ा साथ दिया। फ्रंटलाइन पर आकर मैडीकल स्टाफ ठीक वैसे काम कर रहा है, जैसे सैनिक बॉर्डर पर काम करते हैं। मोनिका ने कोरोना वार्ड में अपनी ड्यूटी खत्म कर ली है। अगले 7 दिनों के लिए अब क्वॉरंटाइन हैं।
मरीज के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश :
अपना एस्पीरियंस शेयर करते हुए वह कहती हैं, मुझे याद है कि हमारे पास एक पॉजीटिव मां और एक 2 महीने का बच्चा एडमिट हुआ था। ड्यूटी के दौरान उनके पास गई तो बच्चे को छुआ और उसके साथ खेली तो मां भी हैरान थी कि पॉजीटिव होने के बाद भी आप मेरी बच्ची को छू रही हैं।
यही इस प्रोफेशन की खासियत है कि जब आप चारों ओर से निराश हो चुके हों, उस वक्त भी हम मरीज के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करते हैं। मां और बच्चा अब डिस्चार्ज हो चुके हैं। किसी भी मैडीकल स्टाफ के लिए वह पल बेहद खास होता है जब मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो जाता है।
मरीजों को मैंटली स्ट्रॉन्ग किया :
मैंने एक हफ्ते कोरोना वार्ड में काम किया। इन मरीजों के साथ काम कर एक बात में जरूर समझ गईं थी कि इन मरीजों को मैंटली स्ट्रॉन्ग करना बहुत जरूरी है। इसके लिए मैंने उनके साथ बात की। बच्चों के साथ खेलती भी थी। स्ट्रैस कम करना बेहद जरूरी है ताकि वे जल्द से जल्द रिकवरी कर ठीक हो सकें।