चंडीगढ़ में फ्लोर वाइज रजिस्ट्री पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
punjabkesari.in Tuesday, Jan 10, 2023 - 08:47 PM (IST)

चंडीगढ़,(रमेश हांडा): सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में एक कोठी की फ्लोर वाइज रजिस्ट्री कर उसे अपार्टमैंट में तब्दील किए जाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने एकल आवासीय इकाईयों को अपार्टमैंट में बदलने की प्रैक्टिस की आलोचना भी की है। कोर्ट ने भारत के पहले नियोजित शहर की विरासत और स्वरूप को लेकर मौजूदा चलन पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि देश के एकमात्र सुनियोजित शहर के चरित्र को बिगडऩे नहीं दिया जा सकता।
यह प्रैक्टिस शहर के चरित्र को पूरी तरह बदल देगी
चंडीगढ़ प्रशासन ने विवादास्पद चंडीगढ़ अपार्टमैंट रूल्स, 2001 को निरस्त कर दिया था लेकिन इसके बावजूद कोठी में परिवार के शेयर होल्डर अपने हिस्से की फ्लोर की रजिस्ट्रियां करवा रहे थे। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने कहा कि प्रासंगिक अधिनियमों और नियमों की आड़ में और 2001 के नियमों के तहत चंडीगढ़ में आवासीय इकाई के विखंडन, विभाजन, द्विभाजन और अपार्टमैंटकरण की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके चंडीगढ़ प्रशासन ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34(3) की आड़ में अपार्टमैंट के रूप में निर्माण या उपयोग करने की अनुमति दी जिसे लेकर बैंच ने चंडीगढ़ प्रशासन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह की प्रैक्टिस शहर के चरित्र को पूरी तरह से बदल देगी और मौजूदा बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को खत्म कर देगी।
रिपोर्ट में कहा था कि परिवार के सदस्यों की ही शेयर के हिसाब से फ्लोर वाइज रजिस्ट्रियां हुईं
पहले भी पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा हाईकोर्ट को मामले में निर्धारित समय में सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था। हाईकोर्ट के आदेशों पर प्रशासन के चीफ आर्किटैक्ट की देखरेख में वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक फ्लोर वाइज हुई रजिस्ट्रियों की जांच करवाई गई थी ताकि पता लगाया जा सके कि फ्लोर वाइज रजिस्ट्री परिवार से बाहर तो नहीं हुई। उक्त सर्वे के बाद दाखिल रिपोर्ट में कहा गया कि परिवार के सदस्यों की ही शेयर के हिसाब से फ्लोर वाइज रजिस्ट्रियां हुई हैं।
आर.डब्ल्यू.ए. सैक्टर-10 ने सबूतों के साथ सुप्रीम कोर्ट में की अपील
रेजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन (आर.डब्ल्यू.ए.) सैक्टर-10 की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर दावा किया गया कि प्रशासन आवासीय इकाईयों को चुपके से अपार्टमैंट में परिवर्तित कर रहा है और अपार्टमैंट के तहत रजिस्ट्रियां की जा रही हैं जिसके कुछ सबूत भी याचीपक्ष ने अपील के साथ नत्थी किए थे। सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष इस संबंध में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाया जिस पर बैंच ने माना कि स्व-निहित इकाई के एक और उपखंड पर प्रतिबंध के बावजूद, बिल्डरों और डिवैल्पर्स ने नियमित रूप से तीन लोगों या परिवारों को पूरी आवासीय इकाइयों के अलग-अलग फ्लोर बेचे हैं। इससे पहले पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने इस विवाद को भी खारिज कर दिया था कि एक सह-मालिक द्वारा संयुक्त संपत्ति के एक विशिष्ट हिस्से या एक मंजिल पर कब्जा अपार्टमैंटलाइजेशन के समान है। याचीपक्ष इस फैसले के खिलाफ था जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति के माध्यम से सफलतापूर्वक अपील की गई थी।
कोर्ट ने जारी किए ये निर्देश
पूरे तथ्यों के साथ दाखिल हुई अपील की सुप्रीम कोर्ट के बैंच ने तारीफ करते हुए युवा वकीलों को सलाह दी है कि बिना पूरी तैयारी के कोर्ट में पेश न हों। बैंच ने आर.डब्ल्यू.ए. की अपील को स्वीकार करने और एकल आवासीय इकाईयों को अपार्टमैंट में बदलने पर रोक लगाने के अलावा चंडीगढ़ शहर, चंडीगढ़ के उत्तरी क्षेत्र, यानी कॉर्बूजिये के चंडीगढ़ को उसके वर्तमान स्वरूप में संरक्षित करने की दृष्टि से, चंडीगढ़ हैरीटेज कंजर्वेशन कमेटी (सी.एच.सी.सी.) को फेज-1 में री-डैंसिफिकेशन के मुद्दे पर विचार करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट द्वारा अन्य निर्देश जारी किए गए, जिनमें केंद्र सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को फर्श-क्षेत्र अनुपात (एफ.ए.आर.) स्थिर करने और इसे आगे न बढ़ाने का निर्देश शामिल है। यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया कि फेज-1 में एक समान अधिकतम ऊंचाई के साथ मंजिलों की संख्या तीन तक सीमित होगी, जैसा कि विरासत समिति द्वारा उचित समझा जाएगा।
जस्टिस गवई ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन विरासत समिति के पूर्व परामर्श और केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना सरकारी नियमों या उपनियमों का सहारा नहीं लेगा। बैंच ने आदेशों में यह भी कहा कि यह सही समय है कि केंद्र और राज्य स्तर पर विधायिका, कार्यपालिका और नीति निर्माता अव्यवस्थित विकास के कारण पर्यावरण को होने वाले नुक्सान पर ध्यान दें और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करें कि विकास पर्यावरण को नुक्सान न पहुंचाए। कोर्ट ने आदेशों के साथ टिप्पणी की है कि चंडीगढ़ शहर आजादी के बाद भारत का पहला नियोजित शहर था और इसकी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली है। शहर का मास्टर प्लान प्रसिद्ध ली कार्बुजिये द्वारा विकसित किया गया था जिसे बिगाडऩे की अनुमति कतई नहीं दी जा सकती।