कांग्रेस इस चुनाव से अलग रही, लेकिन स्थानीय नेताओं ने दिया निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन: हुड्डा

punjabkesari.in Wednesday, Jun 22, 2022 - 09:01 PM (IST)

चंडीगढ़,(बंसल): हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नगर पालिका और नगर परिषद चुनाव में जीत हासिल करने वाले सभी उम्मीदवारों को बधाई दी है। उन्होंने हार का सामना करने वाले उम्मीदवारों को भी भविष्य के लिए शुभकामनाएं देकर जनता के हित में काम करने को कहा। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हालांकि इस चुनाव से अलग रही परन्तु पार्टी के स्थानीय नेताओं ने अपने-अपने इलाके में निर्दलीय उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया था। चेयरमैन की एक-एक सीट पर कहीं-कहीं चार से पांच स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता भी चुनाव लड़ रहे थे। 46 नगरपालिका और नगर परिषद सीटों में से लगभग 19 जगहों पर इन आजाद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। 30 जगह करीबी मुकाबले में वे दूसरे स्थान पर रहे। हुड्डा ने कहा कि जहां तक वोट शेयर की बात है तो आजाद उम्मीदवारों ने शहरों में भाजपा को मिले 26.3 प्रतिशत वोट के मुकाबले दोगुने यानी 52.2 प्रतिशत वोट हासिल किए। इससे लगता है कि शहरी जनता ने भी भाजपा को पूरी तरह नकार दिया है।

 


मौजूदा सरकार और सरकार की कार्यप्रणाली से जनता बुरी तरह नाराज 
हुड्डा का कहना है कि इस चुनाव में मैदान साफ होने के बावजूद भाजपा-जजपा गठबंधन जनता का विश्वास हासिल करने में पूरी तरह नाकाम हुई हैं। चुनावों में जनता ने भाजपा-जजपा गठबंधन को नकार दिया है। बड़ी तादाद में निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत और उन्हें मिला वोट शेयर बताता है कि मौजूदा सरकार और सरकार की कार्यप्रणाली से जनता बुरी तरह नाराज है और अपनी नाराजगी को वोट के माध्यम से जनता ने स्पष्ट कर दिया है। अब हरियाणा की जनता बेसब्री से विधानसभा व लोकसभा चुनावों का इंतजार कर रही है, ताकि वोट की चोट से भाजपा-जजपा सरकार को सबक सिखाया जा सके। 

 


कांग्रेस की हार या जीत की बात करने वाले जानबूझकर गलत प्रचार कर रहे है: उदयभान
हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने कहा कि नगर पालिका और नगर परिषद चुनाव को लेकर कांग्रेस का स्टैंड स्पष्ट था कि पार्टी यह चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे में कांग्रेस की हार या जीत की बात करने वाले जानबूझकर गलत प्रचार कर रहे हैं। 1-1 वार्ड में कांग्रेस के 4-4, 5-5 कार्यकर्ता चुनाव लड़ रहे थे, क्योंकि कांग्रेस के पास स्थानीय इकाई से चुनाव लडऩे वाले कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। एक-एक वार्ड से कई-कई कार्यकर्ता चुनाव लडऩे का दम रखते हैं लेकिन भाजपा-जजपा या अन्य दलों के पास एक-एक वार्ड में बमुश्किल एक-एक कार्यकर्ता ऐसा था, जो चुनाव लडऩे की स्थिति में था। इसलिए ये पार्टियां बिना किसी संकोच के एक कार्यकर्ता को एक वार्ड का टिकट दे सकती थीं लेकिन कांग्रेस छोटी इकाई के लिए किसी एक कार्यकर्ता को पार्टी का टिकट देकर बाकी कार्यकार्ताओं को नाराज नहीं करना चाहती थी। इसलिए बहुत सोच समझकर नेतृत्व ने नगर पालिका और नगर परिषद का चुनाव नहीं लडऩे का फैसला किया था। साथ ही कार्यकर्ताओं को चुनाव लडऩे की पूर्ण आजादी दी थी, ताकि वे अपने स्तर पर लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्सा ले सकें। 

 


चुनावी रेस में भाजपा-जजपा अकेली दौड़ रही थीं
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि इस चुनावी रेस में भाजपा-जजपा अकेली दौड़ रही थीं। बावजूद इसके वो क्लीन स्वीप नहीं कर पार्इं। 19 निर्दलीय और 21 भाजपा चेयरमैन जीते, जबकि 30 दूसरे नंबर पर रहे, जबकि आम आदमी पार्टी पैदा होने से पहले खत्म हो गई । दूसरी ओर, जजपा और आई.एन.एल.डी. दोनों को हरियाणा वालों ने ताला लगा दिया। सारे चुनाव से स्पष्ट है कि इकलौता विकल्प होने के बावजूद लोग इस भाजपा-जजपा गठबंधन को वोट नहीं देना चाहते थे। कांग्रेस और उसके बड़े नेताओं की नजर विधानसभा और लोकसभा पर है, हार-जीत का असली फैसला तभी होगा।
 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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