पैदल चलने वालों के लिए सेफ नहीं शहर की सड़कें

punjabkesari.in Friday, Jun 16, 2017 - 11:05 AM (IST)

चंडीगढ़ (संदीप): शहर की सड़कों पर वाहन चालक ही नहीं बल्कि पैदल चलने वालों की जान भी खतरे में है। इस साल अब तक साढ़े पांच माह के आंकडों की बात करें तो 12 जून तक सड़क पर पैदल चलने वाले करीब 17 लोगों की सड़क हादसों में जान गई। ऐसे जानलेवा हादसों की मुख्य वजह शहर की सड़कों पर ढांचागत सुविधाओं की कमी होना रहा है। यह बात ट्रैफिक पुलिस द्वारा हादसों के विषलेक्षण के लिए बनाए गए एक्सिडैंट एनालिसिस सैल की जांच में सामने आई है। इस बारे में समय-समय पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा इन खामियों को दूर करने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर प्रशासन को भेज दिया जाता है पर फिर भी शहर की सड़को पर जानलेवा हादसों का दौर थम नहीं रहा। 


 

मददगार साबित हुई हैं पैलिकन लाइट्स 
सड़क पार करने वालों की सुरक्षा के मद्देनजर सैक्टर-16 अस्पताल की मुख्य सड़क, सुखना लेक की मुख्य सड़क, सैक्टर-17 में नीलम सिनेमा के साथ लगती मुख्य सड़क और ऐसी कई जगह जहां ट्रैफिक पुलिस ने पैलिकन लाइट्स लगाई हैं। इन लाइट्स के जरिए सड़क पैदल पार करने वाला यहां लगे बटन को दबा कर लाइट कंट्रोल कर लेता है। बटन दबाते ही लाइट रैड हो जाती है और पैदल व्यक्ति आराम से सड़क पार कर लेता है। इसके कुछ देर बाद ही रैड लाइट ग्रीन हो जाती है। 

 

यहां सुधार की जरूरत
एक्सिडैंट सैल ने जानलेवा हादसों पर स्टडी के बाद सुधार करने के लिए पुलिस ने सैक्टर-43 बस स्टैंड की मुख्य सड़क पर पैदल पार पथ (सब-वे) बनाने को लिखा है। हल्लोमाजरा की मुख्य सड़क पर भी पैदल पार पथ बनाने को लिखा है। कालोनी नंबर-4 की मुख्य सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही के मद्देनजर यहां सड़क किनारे पैदल चलने वालों के लिए बेहतर पैडेस्ट्रेरियन पाथ बनाने को लिखा है। विभाजित सड़कों पर जहां रेङ्क्षलग नहीं है वहां रेङ्क्षलग लगाने के लिए और जहां से रेङ्क्षलग टूटी है उसे दुरुस्त करने का प्रस्ताव प्रस्ताव भेजा है। 

 

पिछले साल 38 लोगों का गंवानी पड़ी थी जान 
ट्रैफिक पुलिस के आंकडों की बात करें तो पिछले साल सड़क पर पैदल चलते हुए करीब 38 लोगों की जान गई थी। जान गवाने वालों में 30 पुरुष और 8 महिलाएं शामिल थी। इन हादसों में कुछ 64 लोगों को गम्भीर चोटें आई थीं। 


 


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