16 साल का इंतजार, 60 मिनट में फैसला
Saturday, Jan 12, 2019 - 11:13 AM (IST)
चंडीगढ़(अविनाश) : सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में 16 सालों की कानूनी लड़ाई महज 60 मिनट में ही पूरी हो गई। पंचकूला सी.बी.आई. कोर्ट के फैसले का हर किसी को इंतजार था। खासकर छत्रपति के बेटे अंशुल व उनके परिजनों को। उन्हें भरोसा था कि देर से ही सही लेकिन एक न एक दिन न्याय जरूर मिलेगा। छत्रपति हत्याकांड में उनके बेटों अंशुल और अरिदमन की गवाही मुख्य रही है। ये दोनों मामले के चश्मदीद थे और वाक्य के अनुसार ही इन दोनों ने कोर्ट में गवाही भी दी।
गोली मारने के दौरान अंशुल अपने पिता के साथ घर में ही थे। इसके अलावा हरियाणा पुलिस का एक कर्मचारी भी चश्मदीद गवाह था, जिसने हत्यारे कुलदीप सिंह को मौके से भागते हुए पकड़ लिया था। साथ ही रामचंद्र छत्रपति का इलाज करने वाले रोहतक पी.जी.आई. और अपोलो के डाक्टरों की गवाही भी अहम रही है। वहीं, डेरामुखी के वकील 17 जनवरी को सजा के मुताबिक ऊपरी कोर्ट में अपील का फैसला करेंगे। बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि सजा की अवधि तय होने के बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
ड्राइवर खट्टा सिंह की गवाही भी अहम कड़ी :
डेरामुखी सहित सभी 4 आरोपियों को दोषी करार दिए जाने में उनके पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह की गवाही भी अहम रही है। इस मामले में सी.बी.आई. ने खट्टा सिंह को अहम गवाह बनाया था। खट्टा सिंह ने अपने 164 के बयान में कहा था कि उसके सामने ही डेरामुखी ने डेरा प्रबंधक कृष्ण लाल को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की बोलती बंद करने के आदेश दिए थे।
हालांकि ट्रायल के दौरान एक बार खट्टा सिंह मामले से पलट गए थे लेकिन बाद में फिर खट्टा सिंह का स्टैंड बरकरार रहा। खट्टा सिंह पर बचाव पक्ष ने कई तरह के आरोप लगाए थे लेकिन कोर्ट ने उनकी गवाही को भी एक कड़ी माना है।
फांसी की सजा की मांग करेगी सी.बी.आई.: वर्मा
छत्रपति हत्याकांड में दोषी करार दिए गए डेरा प्रमुख सहित अन्य आरोपियों की सजा पर अब सी.बी.आई. अधिकतम सजा यानी फांसी की मांग करेगी। सी.बी.आई. के वकील एच.पी.एस. वर्मा का कहना है कि 17 जनवरी को सजा सुनाने के समय उनकी ओर से साक्ष्यों और सबूतों के लिहाज से अधिकतम सजा की मांग कोर्ट से की जाएगी।