लड़कियों ने चाइनीज राखी को कहा- ''बाय-बाय'', खरीदी देसी राखियां

punjabkesari.in Monday, Aug 07, 2017 - 02:12 PM (IST)

चंडीगढ़(नेहा) : डोकलाम विवाद के बाद से भारत-चीन के रिश्ते में खटास आ गई है। इस रिश्ते का असर केवल सरकार पर नहीं बल्कि आम लोगों पर भी दिखाई दे रहा है। इसका ही नतीजा है कि बाजार से चीनी सामान के बहिष्कार का ऐलान किया गया है। सोमवार को रक्षाबंधन है और बाजार में चीनी सामान की बिक्री मंदी पड़ी हुई है। 

 

पिछले कुछ सालों से बाजारों में चीनी राखियां आकर्षण का केंद्र रही हैं। पोकेमॉन, छोटा भीम जैसे कार्टून कैरेक्टर्स वाली इलेक्ट्रॉनिक राखियां बच्चों की पहली पसंद हुआ करती थीं लेकिन इन दिनों भारत में चीनी सामान के बहिष्कार के माहौल के मद्देनजर चीनी राखियों का बाजार भी ठंडा हो गया है। खरीदार जहां स्टोन से सजे डोरी वाली भारतीय राखियां लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं, वहीं दुकानदार भी चीनी राखियों का माल नहीं ले रहे हैं। 

 

हम अपने मुनाफे के लिए दुश्मन के साथ नहीं हो सकते : 
सैक्टर-22 स्थित शास्त्री मार्कीट में रेहड़ी लगा राखी बेच रहे शंभू के मुताबिक वो चाइनीज राखियां खरीदेगा नहीं तो न बिकने का डर कैसे रहेगा। शंभू के मुताबिक में सिर्फ दसवीं पास हूं लेकिन देश भक्ति का मतलब अच्छे से जानता हूं। मैं अपना पैसा दुश्मन तक न पहुंचे इसके लिए जितना कर सकता हूं करूंगा इसीलिए इस बार मैंने चाइनीज राखी न लेने का फैसला लिया है। 

 

उनकी कमर तोडऩे के लिए कीमत इतनी कम : 
सैक्टर-20 के मार्कीट में पहुंचकर जब हमने राखियों के रेट जानने शुरू किए तो इस बात ने हैरान कर दिया था कि कई चाइनीज राखियों के रेप्लिका भारत में बना के उनसे कई गुना सस्ते दामों पर बिक रहे थे दुकान के मालिक बॉबी से पूछने पर उन्होंने बताया देश में लोगों द्वारा चाइनीज सामान सबसे ज्यादा इसलिए खरीदा जाता है क्योंकि ये फैंसी व सस्ता होता है अब हम अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं वैसा ही सामान उनसे भी सस्ता बनाने या बेचने की, ताकि चाइनीज बाजार की कमर तोड़ सकें। 

 

भारत की जमीन को खोखला कर रहा चीन- मिसरा :
शहर में एक म्यूजिकल इवैंट के लिए आए पत्रकार, कहानीकार व गीतकार नीलेश मिसरा से जब भारत-चीन संबंधों पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि 2001 में मैं नेपाल में रॉयल फैमिली की मर्डर मिस्ट्री पर काम कर रहा था। वहां के एक कार डीलर ने मुझे चाइना के जाल के बारे में बताया। 2001 में उसका कहना था कि चाइना अंदर ही अंदर भारत की जमीन को खोखला कर रहा है जोकि सच है। 

 

आज चीन से सामान का भारत आना आसान है लेकिन गांव से एक कुम्हार आना मुश्किल हो गया है। आज अगर आपको मिट्टी का कुल्हड़ लेना हो तो शायद ही मिले। जब हम अपने छोटे कारीगरों की मदद नहीं कर पाए, उन्हें जीने का समतल अधिकार नहीं दे पाए तो आज ऐसे हालात में हम और हमारी गवर्नेंस बॉडी जिम्मेदार है, कोई दूसरा देश नहीं। 


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