फॉग को लेकर रेलवे विभाग तैयार, 600 मीटर दूर से मिलेगा सिग्नल

Thursday, Nov 14, 2019 - 12:51 PM (IST)

चंडीगढ़ (लल्लन): फॉग के दौरान सभी प्रयोग तकरीबन फेल होते हैं। चाहे फ्लाइट्स हो या फिर सड़क। लेकिन इसके बाद भी रेलवे की तरफ से फॉग से निपटने के लिए तैयारी की जा रही है। इस संबंध में लोको पायलट को फॉग सेफ्टी डिवाइज दी जा रही है, लेकिन निधाॢरत समय पर ट्रेन चलाने से पहले हमारे लिए यात्रियों की सुरक्षा सबसे पहले है। यह कहना नॉर्थन रेलवे के जनरल मैनेजर टी.पी. सिंह का है। 

 

ऐसे काम करता है फॉग सेफ्टी डिवाइस
जनरल मैनेजर टी.पी. सिंह ने बताया कि फॉग के दौरान लोगो पायलट को सिग्नल नहीं दिखता है, ऐसे में यह डिवाइज सिग्नल की जानकारी देती है। सिंग्नल से पहले सिग्नल साइटिंग बोर्ड होता हैं, जो सिंग्नल से तकरीबन 100 या फिर 600 मीटर दूरी पर लगा होता है। जो फॉग सेफ्टी डिवाइज से सिग्नल साइटिंग बोर्ड का अलॉर्म देती है। 

 

जिससे लोको पायलट को पता चलता है कि आगे मेरा सिंग्नल आने वाला है और वह ट्रेन को धीरे कर लेता हैं। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से पेट्रोलिंग  बढ़ा दी गई है। तापमान में अंतर होने के कारण दिन में ट्रैक फैलते हैं और रात के समय यह ट्रैक सिकुड़ते हैं। ऐसे में टूटने की ज्यादा संभावना होती है। 

 

पैट्रोलिंग करने वाले कर्मचारियों को ट्रैकर दिया जा रहा 
नॉर्थन रेलवे के जनरल मैनेजर टी.पी. सिंह ने कहा कि पैट्रोलिंग करने वाले कर्मचारियों को ट्रैकर दिया जा रहा है। यह ट्रैकर अधिकारियों व संबधित विभाग के अधिकारियों के मोबाइल से कनैक्ट रहेगा, जिससे कि उसकी लोकेशन पता चल सके। पैट्रोलिग का समय भी बढ़ दिया गया है। एस.ओ.एस. का नंबर दिया है, जिससे कोई घटना होने पर कंट्रोल रूम तथा सुपरवाइजर से बात कर सकता है। 

 

लोको पायलट की  दी जाती है ट्रेनिंग 
उन्होंने कहा कि फॉग के दौरान लोको पायलट को विशेष प्रकार की ट्रेङ्क्षनग दी जाती है, जिससे की वह ट्रेन को फॉग दौरान इतनी स्पीड रखे की अचानक गाड़ी रोकनी पड़े तो कैसे रोका। फॉग के दौरान स्पीड डिस्डैंस को बढ़ा दिया जाता है। फॉग के दौरान मोडीफाई सिग्नल में 6 ट्रेनों को चलाया जाता है, जबकि मैनुवल में सिर्फ दो ट्रेनों को ही चलाया जाता है।

pooja verma

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