राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री होंगे पंजाब की यूनिवर्सिटियों के चांसलर
punjabkesari.in Tuesday, Jun 20, 2023 - 07:11 PM (IST)

चंडीगढ़,(अश्वनी): पंजाब विधानसभा में मंगलवार को सदन ने पंजाब यूनिवर्सिटीज लॉज (संशोधन) बिल, 2023 को सर्वसम्मति से पास कर दिया। इस बिल के पास होने से अब राज्य की यूनिवर्सिटीज के चांसलर की शक्तियां मुख्यमंत्री के पास आ जाएगी। इससे पहले तक यूनिवर्सिटी के चांसलर का पद राज्यपाल संभालते रहे हैं। जाहिर है कि बिल के पास होने से राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच तकरार बढऩी तय है। सदन में इस बिल पर बहस के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसके संकेत भी दे दिए। मुख्यमंत्री ने बेहद सधे हुए लफ्जों में कहा कि राज्य के रोजाना के कामकाज में राज्यपाल की दखलअंदाजी की कोई जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अपने राज्य की यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर लगाना चाहती है, लेकिन राज्यपाल कहते हैं कि 3 नाम प्रस्तावित करो, तब उसमें से चयन किया जाएगा क्योंकि सरकार अपने स्तर पर चयन नहीं कर सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर जनता की चुनी हुई सरकार एक वाइस चांसलर नियुक्त नहीं कर सकती है तो यह जनता के दिए बहुमत का निरादर है। राज्यपाल को राज्य संबंधी जानकारी न होने के बावजूद उनको वी.सी. नियुक्त करने की शक्तियां देना पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से इस संबंधी पहले ही पास किए बिल की तर्ज पर पंजाब सरकार ने यह बिल बनाया है, जो यूनिवर्सिटियों के चांसलरों की शक्तियां मुख्यमंत्री को मुहैया करेगा। भगवंत मान ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने से राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री राज्य की यूनिवर्सिटियों के चांसलर होंगे।
-बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर वैंडर को नहीं दी मंजूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने बड़ी कोशिशों के बाद बाबा फरीद यूनिवर्सिटी में बेहद नामचीन डॉक्टर वैंडर को वाइस चांसलर नियुक्त किया लेकिन राज्यपाल ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी जबकि पंजाब सरकार जनता की चुनी हुई सरकार है।
-मेरा हैलीकॉप्टर लेकर जाते हैं राज्यपाल और मुझे ही कोस आते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल को चुनाव लड़ लेना चाहिए। वह फाजिल्का, फिरोजपुर की तरफ जाते हैं तो वहीं से टिकट ले लें। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्यपाल मेरा ही हैलीकॉप्टर लेकर जाते हैं और मुझे ही कोसते हैं। राज्यपाल की राज्य में इतनी ज्यादा दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए। राज्यपाल का काम केवल शपथ दिलवाना होता है, वह दिलवा दी है। अगर किसी को शपथ दिलवानी होगी तो सरकार दोबारा उनके पास चली जाएगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह बात-बात पर तंग करें। यह बताएं कि इसे-उसे कैबिनेट से बाहर कर दो। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि अगर मैं गलत व्यक्ति कैबिनेट में रखूंगा तो 2027 में जनता इसका फैसला खुद कर देगी। राज्यपाल का इसमें कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विरासत को आगे ले जाने के लिए राज्य की यूनिवर्सिटियों में वाइस चांसलर के तौर पर ऐसे लेागों की नियुक्ति करने की जरूरत है, जो ईमानदार, विवेकशील और साफ छवि के हों। उन्होंने अफसोस जताया कि राज्यपाल, जो राज्य से सम्बन्धित नहीं हैं, यहां के इतिहास और सभ्याचार संबंधी अवगत न होने के कारण अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि यह कितनी अचंभे की बात है कि राज्यपाल राज्य के बारे कुछ नहीं जानते परंतु उनके पास वी.सी. नियुक्त करने की ताकत का होना पूरी तरह अनुचित है।