फंड्स का दुरुपयोग, पुडा को दो हजार करोड़ का फटका!

punjabkesari.in Friday, Aug 18, 2017 - 11:31 AM (IST)

मोहाली(कुलदीप) : गत अकाली-भाजपा सरकार द्वारा चुनावी वर्ष 2016 में ऑप्टिमम यूटीलाइजेशन ऑफ वेकैंट गवर्नमैंट लैंड (ओ.यू.वी.जी.एल.) स्कीम का बड़े स्तर पर दुरुपयोग करने तथा फंड परिवर्तन (डाईवर्शियन) से पंजाब अर्बन डिवैल्पमैंट अथॉरिटी (पुडा) इन दिनों करीब दो हजार करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है। किसी समय बढिय़ा लाभांश में चल रहे पुडा की ऑप्टिमम यूटीलाईजेशन ऑफ वेकैंट गवर्नमैंट लैंड (ओ.यू.वी.जी.एल.) स्कीम ने  पुड्डा को करोड़ों रुपयों का कर्जदार बना दिया।

 

फंड डाइवर्जन करके लंबी तथा जलालाबाद में बनाई गलियां व नालियां :
हैरानी तो इसकी रही कि इस ओ.यू.वी.जी.एल. स्कीम का पैसा अकाली-भाजपा सरकार ने चुनावी वर्ष में विधान सभा हल्का लंबी तथा जलालाबाद में गलियों व नालियों पर खर्च कर दिया। सरकार द्वारा चुनावी वर्ष में ओ.यू.वी.जी.एल. स्कीम के तहत लंबी हलके के 29 गांवों तथा जलालाबाद हल्के के 36 गांवों को विकास कार्यों के लिए चुना गया था।

 

सरकार द्वारा दी गई जमीन अभी तक भी पुडा को नहीं मिली :
बात कुछ ऐसी है कि पुडा एक लाभ कमाने वाला विभाग था लेकिन वर्ष 2016 में सरकार घाटे में चल रही थी। गत अकाली-भाजपा सरकार ने पुडा को कहा कि वह सरकारी जमीन लेकर उस पर प्रोजैक्ट लगाये और उसे ऑप्टीमम इस्तेमाल करे। चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार बड़ी तेजी से पुडा को जमीनों के ब्यौरे दे दे कर पैसा लेती रही। 

 

लेकिन अगर पुडा के सूत्रों की मानें तो जो जमीनें सरकार ने उस समय पुडा को दी उन में से अधिकतर जमीनें अभी तक भी पुडा के पास आई ही नहीं। सूत्र बताते हैं कि उन जमीनों में कई जमीनें ऐसी थीं जिन में से कई पर कुछ स्मारकें थीं या फिर और इस प्रकार के कई निर्माण जो पुडा को मिल ही नहीं सकते थे लेकिन सरकार ने आनन-फानन में उन जमीनों का पैसा भी पुडा से एडवांस में ले लिया। 

 

पुडा में करवाई जा रही थर्ड पार्टी जांच :
भले ही इस संबंध में पुडा का कोई भी अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है लेकिन अलग अलग अधिकारियों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ओ.यू.वी.जी.एल. संबंधी थर्ड पार्टी जांच करवाई जा रही है जो पिछले पांच वर्षों में इस स्कीम का पूरा लेखा जोखा करेगी। उस जांच के बाद जो भी बनती कार्रवाई की जायेगी।

 

बनता है केस :
अगर पुडा के सूत्रों की मानें तो यह फंडों के डायवर्जन संबंधी बड़े घोटाले का केस बनता है लेकिन आज तक ऐसा हो नहीं सका। जबकि पुडा तो एक अर्बन डिवैल्पमैंट अथॉरिटी है, इस लिए गांवों पुडा का पैसा खर्च होने की बात ही नहीं बनती।

 

ओ.यू.वी.जी.एल. का मकसद :
जानकारी के मुताबिक यह ओ.यू.वी.जी.एल. स्कीम वर्ष 1997 में चलाई थी। उस समय यह माना गया था कि पंजाब में खाली पड़ी सरकारी जमीनों से कोई आमदन नहीं हो रही थी। इस कारण सरकार द्वारा पुडा को वे जमीनें बेच कर बुनियादी ढांचे के विकास पर फंड प्रयोग में लाने को कहा था। इस स्कीम के नतीजे भी काफी अच्छे चल रहे थे।


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