शक के दायरे में PU एल्यूमनी एसोसिएशन की बैलेंस शीट!

punjabkesari.in Saturday, Mar 24, 2018 - 11:39 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : पंजाब यूनिवर्सिटी एल्यूमनी एसोसिएशन (पी.यू.ए.ए.) की बैलेंस शीट पर कई सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में चांसलर ऑफिस के निर्देश पर जब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की अंडर सैक्रेटरी ईशिता रॉय ने जब पी.यू.ए.ए. मामले को लेकर पी.यू. प्रबंधन से जवाब मांगा था तो खुद वी.सी. प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने एसोसिएशन से संबंधित जो कागजात चांसलर आफिस भेजे, उन्हें देखने के बाद यूनिवर्सिटी के हजारों टीचरों के जहन में कई आशंकाएं पैदा हो रही हैं। कईयों ने आशंका जताई है कि अगर इस मामले की जांच किसी बाहर की एजैंसी को दी जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

 

फिलहाल पी.यू. प्रबंधन एक सी.ए. से ही एसोसिएशन के अकाउंट्स और बैलेंस शीट की जांच करवा रहा है। बैलेंस शीट में हर साल होने वाली जनरल बॉडी मीटिंग (जी.बी.एम.) के नाम पर कई लाख का खर्त दिखाया जा रहा है। वर्ष 2015 की बैलेंस शीट जो चांसलर को भी भेजी है में 7.5 लाख रुपए का खर्चा जी.बी.एम. पर दिखाया है। इस दौरान खाने का खर्चा महज 29 से 30 हजार के बीच है। 

 

अगर पी.यू. में कार्यरत कैटरिंग के ठेकेदारों की 250 रुपए के खाने की प्लेट का हिसाब जोड़ा जाए तो महज 100 से 110 लोगों का ही खाना इस जी.बी.एम. में बना। अगर इतने ही लोग जी.बी.एम. में शामिल हुए तो इस मीटिंग का कुल खर्चा साढ़े सात लाख रुपए कैसे पहुंच गया। यह सवाल चांसलर आफिस को भेजी शिकायत में उठाए हैं। दूसरा मसला एसोसिएशन के साथ एल्यूमनी जोडऩे को की जा रही प्रमोशन का है। एल्यूमनी जोडऩे की प्रमोशन पर हर साल 3.5 से 4 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हाल ही में डीन एल्यूमनी रिलेशन प्रो. अनिल मोंगा और वी.सी. ग्रोवर कनाडा दौरे पर गए थे। 

 

शिकायतकर्ता प्रो. विजय चोपड़ा ने आरोप लगाया है कि पी.यू. की कमाई विदेशी दौरों पर खर्च हो रही है, जिसकी जांच जरूरी है। उन्होंने चांसलर आफिस को यह भी लिखा है कि चूंकि वी.सी. ग्रोवर का बेटा अमरीका में है लिहाजा कनाडा में पी.यू.ए.ए. के पैसे से कनाडा जाने के बाद वह अमरीका भी गए। यानि प्राइवेट विजिट को उन्होंने सरकारी विजिट बनाया और पी.यू. को लाखों की चपत लगाई। प्रो. चोपड़ा ने बीते कई सालों से अब तक पी.यू.ए.ए. की सी.बी.आई। से जांच कराने की मांग की है। 

 

खर्चा तो बजट में दिखाया जा रहा लेकिन इनकम नहीं :
पूटा प्रधान प्रो. राजेश गिल और प्रो. विजय चोपड़ा ने सवाल उठाया था कि पी.यू.ए.ए. का खर्चा तो इसके बजट में दिखाया जा रहा है लेकिन इसकी इन्कम पी.यू. बजट में क्यों नहीं दिखाई जा रही। बजट में खर्चा दिखाने को लेकर पहले भी पी.यू. की हॉस्टल घोटाले में जांच हो चुकी है। 

 

हॉस्टल की इन्कम भी पी.यू. बजट में नहीं दिखाता था और हॉस्टलों का खर्चा बजट में हर साल दिखाया जा रहा था। इसके पीछे मंशा यह थी कि खर्चा दिखाकर केंद्र सरकार और पंजाब सरकार से ग्रांट ली जा सके। हॉस्टलों की इन्कम को भी बजट में छुपाया जा रहा था। पी.यू.ए.ए. में भी फाइनैंस डिवैल्पमैंट अफसर, रजिस्ट्रार और डीन एल्यूमनी ऐसा ही कर रहे थे। 

 

रैजीडैंट ऑडिट अफसर (आर.ए.ओ.) से इन्हें सर्टिफाई कराया जा रहा था। एक सीए इसके तमाम बैलेंस शीट की जांच करने को लगाया गया है। सवाल यह उठा था कि आरएओ इन पर आपत्ति क्यों नहीं लगा रहा? इस पर पी.यू. द्वारा कहा गया था कि पी.यू.ए.ए. रजिस्टर्ड सोसायटी है,जिसे इन्कम टैक्स से भी छूट मिली है।


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