दीवाली : 10 वर्षों में सबसे कम रहा चंडीगढ़ का ध्वनि और वायु प्रदूषण

Saturday, Oct 21, 2017 - 10:18 AM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : अब इसे हाईकोर्ट के ऑर्डर का असर कहें या फिर लोगों की जागरुकता। जो भी हो लेकिन इस वर्ष पहली बार ऐसा मौका आया जब दीवाली की रात शहर में ध्वनि और वायु प्रदूषण का लेवल काफी कम दर्ज किया गया। चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सी.पी.सी.सी.) की मानें तो जब से शहर में ध्वनि और वायु प्रदूषण का लेवल को रिकॉर्ड किया जा रहा है तब से 2017 का साल ऐसा रहा जब दीवाली की रात सबसे कम वायु और प्रदूषण के आंकड़े सामने आए। 

 

वहीं, अधिकारियों का दावा है कि पिछले 10 वर्षों में इस साल सबसे कम वायु और ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है। दीवाली के एक दिन बाद सी.पी.सी.सी. की ओर से ध्वनि और वायु प्रदूषण के आंकड़े जारी किए गए। जिसमें बताया गया कि शहर की सभी लोकेशन में सल्फर डाइऑक्साइड (एस.ओ.2) की मात्रा परमिसेबल लिमिट में थी।

 

वहीं, ऑक्साइड्स ऑफ नाइट्रोजन (एन.ओ.2) की मात्रा भी सभी लोकेशंस में परमिसेबल लीमिट में पाई गई। पिछले साल की तुलना की जाए तो इस वर्ष रेस्पिरेबल सस्पेंडिड पर्टिकुलेट मैटर (आर.एस.पी.एम.) की मात्रा भी आधी दर्ज की गई। यानि हरेक पॉल्यूटेंट लेवल इस दीवाली की रात कम ही रहा। 

 

शहर को तीन जोन में बांटा गया :
दीवाली की रात शहर को तीन जोन में बांटा गया था। इसमें सैक्टर-22 (रेजीडैंशियल जोन), सैक्टर-29 (साइलैंस जोन) और सैक्टर-17 (कमर्शियल जोन) के एरिया शामिल थे। सी.पी.सी.सी. ने 12 अक्तूबर को भी इन मशीनों का डाटा एकत्रित किया था। इसके बाद दीवाली की रात का भी रिकॉर्ड लेकर तुलना की गई कि शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण अचानक कितना बढ़ जाता है। सी.पी.सी.सी. के मैंबर सैक्रेटरी पी.जे.एस. डढवाल ने बताया कि चंडीगढ़ में इतना कम ध्वनि और वायु प्रदूषण दीवाली की रात कभी नहीं रिकॉर्ड किया गया। लोगों को जागरुक करने के लिए चलाया गया अभियान सफल साबित हुआ।

 

वायु प्रदूषण (आर.एस.पी.एम.)
एरिया            नॉर्मल डे (12 अक्तूबर)    2017    2016       2015  2014   2013
सैक्टर-22       124                             169      316        124     218    450
सैक्टर-29       127                             172      330        189     260    409
सैक्टर-17       137                              97       225        102     185    165

 

ध्वनि प्रदूषण
एरिया (समय)    नॉर्मल डे (12 अक्तूबर)    2017    2016    2015        2014    2013
सैक्टर-22        
रात 8 से 9 बजे    52.8                           80.8    82.2    80.4        80.2    76.4
रात 9 से 10        51.6                           84.8    86.3 

सैक्टर-29    
रात 8 से 9 बजे    64.4                         75.3    71.1    81.6        72.3    72.3 
रात 9 से 10        58.2                         72.7    80.5     83.0        75.0    77.5

सैक्टर-17    
रात 8 से 9 बजे    50.9                         63.5    67.6    65.0        65.8    74.1
रात 9 से 10        49.3    62.3              68.8    67.2    68.4        69.3

एन.ओ.2 भी रहा कम
एरिया        नॉर्मल डे (12 अक्तूबर)    19 अक्तूबर    2016
सैक्टर-22    26                               29              38
सैक्टर-29    30                               32              42
सैक्टर-17    26                               28              30

 

नॉर्मल डे से भी कम प्रदूषित रहा सैक्टर-17 :
सैक्टर-17 में तो नॉर्मल डे से भी कम आर.एस.पी.एम. रिकॉर्ड हुआ। यही नहीं, ध्वनि प्रदूषण के मामले में भी यह जोन सबसे कम प्रदूषित रहा। नॉर्मल डे जहां सैक्टर-17 का आर.एस.पी.एम. 137 माइक्रोग्राम्स प्रति क्यूबिक मीटर रहा था। वहीं, दीवाली की रात यह 97 माइक्रोग्राम्स प्रति क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड किया गया। जो कि अन्य दो जोन की तुलना में भी काफी कम रहे। इस जोन में ध्वनि प्रदूषण भी कम दर्ज किया गया। 

 

पिछले साल टूटा था 4 वर्षों का रिकॉर्ड :
पिछले साल सी.पी.सी.सी. ने शहर में वायु प्रदूषण की जांच करने के लिए नई मशीनें लगाई थी। इसके परिणाम चौंकाने वाले सामने आए थे। नई मशीनों ने जो डाटा एकत्रित किया है उसके अनुसार चार सालों में शहर में न केवल वायू प्रदूषण बढ़ा था बल्कि ध्वनि प्रदूषण ने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। ध्वनि प्रदूषण के मामले में जहां सैक्टर-22 सबसे आगे रहा वहीं, वायु प्रदूषण की बात की जाए तो यहां सैक्टर-29 का नंबर पहला आया। 

 

2013 से लेकर 2016 तक के आंकड़ों में ध्वनि प्रदूषण के मामले में इजाफा हुआ था। वहीं, सैक्टर-29 के जोन में 2014 के बाद से सबसे अधिक आर.एस.पी.एम. दर्ज किया गया। यहां आर.एस.पी.एम. की मात्रा 330 माइक्रोग्राम्स प्रति क्यूबिक मीटर (एम.पी.सी.एम.) तक पहुंच गई थी। वहीं नाइट्रोजन की मात्रा भी 42 आई है जो कि चार सालों में सबसे अधिक थी। यही वजह है कि शहर में पॉल्यूशन लेवल को बढ़ते देख पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को इस साल दीवाली से पहले सख्त फैसले लेने पड़े।
 

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