''महिला खिलाडिय़ों के शरीर को जान-बूझकर छूते हैं कोच और पुरुष खिलाड़ी''

punjabkesari.in Thursday, Apr 05, 2018 - 10:42 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : कोच और साथी पुरुष खिलाड़ी महिला प्लेयर्स को जानबूझ कर ऐसी-ऐसी जगह छूते हैं जिससे वह असहज महसूस करती हैं। उनके फिगर को लेकर भद्दे कमैंट किए जाते हैं। जो ड्रैस पहनकर वे खेलती हैं उसे लेकर भी फिकरे कसते हैं। उनके लिए व उनके सामने गाली-गलौज करते हैं। 

डबल मीनिंग बातें होती हैं जो कई बार सीमाएं लांघ जाती हैं। यह खुलासा किया है एम.सी.एम. कालेज चंडीगढ़ की रैगुलर टीचर वीना ने जो 210 महिला खिलाडिय़ों से बातचीत कर इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि कहीं न कहीं ऐसे कारण हैं जो छात्राओं को खेल में भागीदारी से रोकते हैं। छात्राओं के परिजन नहीं चाहते कि उनकी बेटियां ऐसे माहौल में रहें। शोध के दौरान जिन महिला खिलाडिय़ों से सवाल पूछे गए वह सभी नैशनल लैवल की प्लेयर रही हैं।

दर्शक भी खूब कसते हैं फब्तियां :
पंजाब यूनिवर्सिटी, पंजाबी यूनिवर्सिटी और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की 70-70 छात्राओं जो खेलों में हिस्सा ले रही हैं को इस शोध में शामिल किया। शोध के दौरान यह जानने की कोशिश की है कि क्या महिला प्लेयर्स सैक्सुअल हैरासमैंट का शिकार होती हैं। यह भी पता करने की कोशिश की गई कि इसके पीछा क्या वजह है। सैक्सुअल हैरासमैंट के साथ साइकलॉजिकल हैरासमैंट, सोशल कंस्ट्रेंट फ्रॉम पेरैंट्स और अन्य दिक्कतों को भी 96 क्लैवश्चनेयर में शामिल किया गया। तीन साल तक चली शोध के हैरतंगेज नतीजे सामने आए। 

महिला प्लेयर्स ने बताया कि केवल कोच और पुरुष खिलाड़ी ही नहीं बल्कि दर्शक भी उन पर फब्तियां कसते हैं और ड्रैस पर आपत्तिजनक कमेंट करते हैं। अपीयरेंस को लेकर भी गंदे शब्द प्रयोग होते हैं। कोच और पुरुष खिलाडिय़ों की तो मंशा रहती है कि कैसे भी महिला खिलाड़ी के शरीर को छू लिया जाए। फिजिकल एब्यूज के अलावा वर्बल और नॉन वर्बल एब्यूज भी सहना पड़ता है। मेल एथलीट्स फीमल एथलीट्स को परेशान करने में अव्वल हैं। लड़कियों के खेलों में आगे न आने की यह सबसे बड़ी वजह है। खेलने जाने या प्रेक्टिस के दौरान आने जाने की समस्या लड़कियों के लिए बड़ी दिक्कत है। 

वीना ने बताया कि फिलहाल यह उनकी शोध का पहला चरण था। अगले चरण में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि किस खेल में सबसे ज्यादा महिलाओं का शोषण होता है। कौन से राज्य में ऐसे मामले ज्यादा सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि शोध में यह पक्ष भी शामिल किया जाएगा कि महिला प्लेयर टीम में सिलैक्शन पाने के लिए कोच, अधिकारियों आदि से कैसे एडवांटेज लेती हैं। 

कोच फिर भी निकले थोड़े शरीफ : 
शोध में कोच अन्य की तुलना में फिर भी थोड़े शरीफ पाए गए। 30 प्रतिशत पुरुष खिलाड़ी और 30 प्रतिशत स्पेक्टेटर महिलाओं के शोषण में संलिप्त पाए गए जबकि 10 प्रतिशत कोच ही इस कैटेगरी के निकले। 


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