हैल्थ मिनिस्ट्री ने PGI को लिखा लैटर, प्लास्टिक फ्री बनाने का दिया आदेश

punjabkesari.in Saturday, Jun 29, 2019 - 11:34 AM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : इस साल बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन की थीम पर वल्र्ड इन्वायरनमैंट-डे मनाया गया था। इसे देखते हुए प्लास्टिक पर बैन लगाने का आदेश हैल्थ मिनिस्ट्री ने पी.जी.आई. व एम्स सहित देश के 22 बड़े मैडीकल संस्थानों को जारी किया है। 

हैल्थ मिनिस्ट्री के लिखे लैटर में कहा गया है कि सभी अपने डिपार्टमैंट व संस्थान को प्लास्टिक फ्री बनाएं, साथ ही लैटर में स्टाफ को एजुकेट करने की बात कही गई है ताकि प्लास्टिक से हो रहे पॉल्यूशन को रोका जा सके। हैल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्ष वर्धन की ओर से बकायदा पी.जी.आई. को लैटर लिखा गया है, जिसमें सिंगल प्लास्टिक के बैन के बारे में लिखा गया है। अस्पतालों में लोगों का आना-जाना रहता है। ऐसे में यहां प्लास्टिक का इस्तेमाल दूसरी जगहों से ज्यादा है। 

डायरैक्टर ने सभी एच.ओ.डी. को मॉर्क किया लैटर :
पी.जी.आई. डायरैक्टर ने बताया कि इस ऑर्डर को देखते हुए डिपार्टमैंट के सभी एच.ओ.डी. को यह मॉर्क कर दिया है। सभी को ऑर्डर दिए गए हैं कि  अस्पताल में प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल किया जाए। 

फिलहाल फैकल्टी समेत पी.जी.आई. स्टाफ पर हमारा फोकस है कि हम लोग सिंगल प्लास्टिक का भी यूज न करें। जहां तक पी.जी.आई. में चल रही प्राइवेट कैंटीन का सवाल है तो वहां पर भी कोशिश रहेगी कि इसे पूरी तरह से बंद किया जाए। 

डिस्पोज नहीं हो पाता है प्लास्टिक :
पी.जी.आई. कम्युनिटी मैडीसन डिपार्टमैंट के एडिशनल प्रोफैसर डॉ. रविद्र खैवाल पिछले कई साल से इन्वायरनमैंट पर काम कर रहे हैं, उनके ग्लोबल वार्मिंग का एक बड़ा कारण प्लास्टिक है। अब तो नैशनल व इंटरनैशनल लैवल पर इसे बैन किया जा रहा है। 

प्लास्टिक के यूज का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह डिस्पोज नहीं हो पाता। सालों-साल इसे खत्म होने में लग जाते हैं। प्लास्टिक डिस्पोज होते छोटे-छोटे मोलीक्यूल में टूट जाता है, जो कि इन्वायरनमैंट और सोएल (मिट्टी) में मिल जाता है। ऐसे में इसका हैल्थ पर काफी साइड इफैक्ट पड़ता है। यह बहुत जरूरी हो गया है कि इसे बैन किया जाए। 

पी.जी.आई. में लगेंगे होर्डिंग्स :
डा. जगत राम के मुताबिक बीट द सिंगल प्लास्टिक में कई छोटी-छोटी बाते शामिल हैं। पी.जी.आई. में होने वाली कांफ्रैंस में भी हमने प्लास्टिक बोटल पर बैन लगा दिया है। पानी ग्लास में दिया जाए, वहीं चाय-कॉफी में शूगर मिक्स करने के लिए प्लास्टिक स्टिक का यूज नहीं किया जा रहा। 

अस्पतालों में क्राऊड ज्यादा रहता है। ऐसे में उन्हें अवेयर करने की भी जरूरत है। इसके लिए विभाग की ओर से होर्डिग्स लगाने की भी योजना है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके प्रति अवेयर हों।


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Priyanka rana

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