‘हार्ट पेशैंट के इलाज के क्षेत्र में वर्ल्ड में पी.जी.आई. की धाक’

Tuesday, Dec 31, 2019 - 02:42 PM (IST)

चंडीगढ़ (साजन) : दुनिया भर में दिल से जुड़ी बीमारियों से हो रही मौतों की तुलना में भारत में बहुत कम लोग मौत का शिकार होते हैं। इसमें भी पी.जी.आई. चंडीगढ़ का स्थान सबसे ऊपर है। दिल के रोगों से पीड़ित उन मरीजों को भी यहां इलाज के लिए दाखिल किया जा रहा है, जिन्हें मधुमेह, बी.पी. व किडनी रोग होते हैं। उम्रदराज मरीज भी इसमें शामिल हैं। 

 

ऐसे मरीजों को अक्सर दुनिया भर के अस्पताल दाखिल नहीं करते, क्योंकि एक तो मृत्युदर ज्यादा होती है और दूसरा इनका कोई बीमा क्लेम नहीं होता।  यह खुलासा पी.जी.आई. के एडवांस्ड कॉर्डियोलॉजी सैंटर (ए.सी.सी.) के विभाग प्रमुख प्रो. डॉ. यशपॉल शर्मा ने सोमवार को अपनी टीम के साथ पत्रकार वार्ता के दौरान किया। डॉ. शर्मा ने बताया कि दिल के मरीजों के इलाज के क्षेत्र में दुनियाभर में पी.जी.आई. ने अपनी धाक साबित की है।

 

मृत्युदर कम करने का प्रयास कर रहा ए.सी.सी. 
 डॉ. शर्मा ने बताया कि उनके व उनकी टीम की कड़ी मेहनत व कड़े दृढ़-निश्चय के साथ किए गए प्रयासों से मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। चाहे कोई अमीर हो या गरीब या बहुत बुरी हालत में आया मरीज क्यों न हो, इस प्रक्रिया में किसी से कोई भेदभाव नहीं हुआ। वर्ष-2001 से ए.सी.सी. ने एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के मरीजों में मृत्युदर कम करने के प्रयास शुरू किए थे। 

 

जिसमें जबरदस्त सफलता हासिल हुई। इसके तहत दिल के रोगों से ग्रसित उन मरीजों को भी इलाज के लिए दाखिल किया जाता था, जिन्हें मधुमेह, बी.पी. व किडनी रोग होते थे और साथ ही वह ज्यादा उम्र वाले मरीज होते थे।  डॉ. शर्मा ने बताया कि आमतौर पर ऐसे मरीजों को अन्य देशों में इलाज के लिए मना कर दिया जाता है, जबकि पी.जी.आई. में इन्हें पर्याप्त इलाज दिया गया।  
 
 

हार्ट पेशैंट की जान बचाना मेरा मकसद
प्रो. यशपॉल ने बताया कि उनका लक्ष्य दुनिया भर में दिल के गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजों में मृत्यु दर में कमी लाना है। इसके लिए वह पहले ही एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम व कॉर्डियोजेनिक शॉप वाले मरीजों हेतु एक मल्टी-सेंट्रिक नेशनल रजिस्ट्री शुरू कर चुके हैं। इसके जरिए वह पूरे देश में स्थित अस्पतालों के साथ अपने अनुभवों व अध्ययन को, सांझा करेंगे व अपने लक्ष्य की प्राप्ति करेंगे। 

 

उन्होंने अपनी रिसर्च की एक उल्लेखनीय बात का खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने पाया कि दिल के मरीजों में होमोग्लोबिन कम होने से जान जाने का खतरा ४यादा होता है इसलिए उन्होंने ऐसे मरीजों में होमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाकर उनका सफलतापूर्वक उपचार किया।

pooja verma

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