सरकार की अप्रूव की गई मैडीसिन का क्लीनिकल ट्रायल करेगा PGI

Tuesday, Oct 31, 2017 - 09:27 AM (IST)

चंडीगढ़ (रवि): ब्रेन स्ट्रोक के दौरान होने वाले क्लॉट को खत्म करने के लिए मरीजों को टी.पी.ए. नामक दवा दी जाती है जो पिछले कई वर्षों से मरीजों को बेहतर रिजल्ट दे रही है लेकिन ज्यादातर मरीज एमरजैंसी के वक्त इस दवाई को महंगी होने के कारण खरीद नहीं पाते हैं। बाजार में इस दवा की कीमत 60 से 70 हजार रुपए तक है। मरीजों की सहूलियत को देखते हुए इस वर्ष भारत सरकार ने टीनैक्टिव नामक दवा को अप्रूव किया था। 

 

पी.जी.आई. न्यूरोसर्जरी विभाग के डा. धीरज खुराना की मानें तो यह मैडीसन पिछली मैडीसन के मुकाबले काफी सस्ती है। इसकी कीमत लगभग 20-30 हजार रुपए तक है लेकिन जल्द ही पी.जी.आई. का न्यूरोसर्जरी विभाग इस दवाई का क्लीनिकल ट्रॉयल शुरू करने वाला है ट्रॉयल के दौरान पिछली मैडीसन व नई मैडीसन के इफैक्टिव नेस को जांचा जाएगा। डा. खुराना की माने तो भले ही दवाई बाजार में लॉन्च हो चुकी है लेकिन इस दवाई का मरीजों पर कोई इफैक्ट नहीं हो रहा है। 

 

गवर्नमैंट द्वारा अप्रूव होने के कारण व दवाई सस्ती होने के कारण मरीजों को लिख तो रहे हैं परंतु इस दवाई का बीमारी पर कोई असर नहीं हो रहा है। इसी को जांचने के लिए पी.जी.आई. में इसका क्लीनकल ट्रॉयल किया जाएगा। डा. खुराना की माने तो दवाई को वल्र्ड वाइड लॉन्च नहीं किया गया क्योंकि दवा पर अभी कई रिसर्च ट्रायल भी चल रहे हैं। 


 

नॉर्थ में रहने वाले लोगों के जीन में प्रॉब्लम  
पी.जी.आई. न्यूरोसर्जरी में आने वाले हजारों मरीजों में से 250 मरीजों पर हाल ही में विभाग ने एक रिसर्च कंप्लीट किया है जिसका जल्द ही पब्लिेकशन होने वाला है। डा. खुराना की माने तो स्टडी में उन्होंने  पिछले 4 से 5 वर्षों का डाटा शामिल किया है। इसमें उन्होंने देखा कि नॉर्थ के लोगों में खून पतला करने वाली दवाइयों का असर नहीं होता है। उन्होंने बताया कि नॉर्थ को 50 प्रतिशत लोगों के जीन्स में कई डिफॉल्ट पाए गए हैं। इन लोगों में जैनेटिक फैक्टर्स होते हैं जो दवाई के असर को कम रहे हैं जिसे जीन्स मैटाबोलिज्म कहते हैं। 

 

जीन्स में गड़बड़ होने के कारण खून गाढ़ा रहता है, जो बीमारियों खासकर हार्ट व स्ट्रोक होने की बीमारियों को बढ़ाने का काम करता है। इसके साथ ही डा. खुराना ने बताया कि जिन मरीजों में इस तरह की दिक्कत आ रही है उनके लिए ट्रीटमैंट में भी बदलाव करना पड़ रहा है। पर्सनलाइज मैडीसन वह तरीका है जिसमें रेगुलर दी जाने वाली दवाओं के साथ कई और दवाईयों को भी जोड़ा जाता है। 

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