पी.जी.आई. में 2 दिन के बच्चे की रोबोटिक सर्जरी

Wednesday, Feb 20, 2019 - 10:31 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : पी.जी.आई. में पहली बार 2 साल के बच्चे की रोबोटिक सर्जरी की गई है। पी.जी.आई. एशिया का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है, जहां इतने छोटे बच्चे की सर्जरी रोबोट द्वारा की गई है।
बच्चे का जन्म जी.एम.एस.एच.-16 के अस्पताल में हुआ था। उसमें फूड पाइप की ग्रोथ नहीं थी, जिस कारण वह दूध नहीं पी पा रहा था।  मैडीकल लैंग्वेज में इसे इसोफिगल एटरिस्या कहा जाता है। जी.एम.एस.एच.-16 से बच्चे को पी.जी.आई. एडवांस पैडिएट्रिक सैंटर रैफर किया गया था। सर्जरी के वक्त बच्चे का भार 2.500 किलो था।

ज्यादातर इस तरह के मामलों में 2 से 3 दिन के बाद बच्चे की छाती को खोलकर फूड पाइप को रिपेयर किया जाता है, लेकिन यह एक बहुत ही एडवांस सर्जरी थी जोकि पहली बार 2 दिन के बच्चे में की गई है। ए.पी.सी. में साल 1980 से नवजात बच्चों का इलाज कर रहा है। पी.जी.आई. में हर साल 250 नवजात बच्चों की सर्जरी की जाती है लेकिन यह अपनी तरह का पहला ऐसा केस था जहां इतने छोटे बच्चे की सर्जरी की गई है। इसमें ओपन व लैपोस्क्रोपिक दोनों तरह सर्जरी शामिल है।

6 डाक्टरों की टीम ने की सर्जरी 
ए.पी.सी. से डा. रवि कोनिया व एनेस्थिसिस्ट प्रो. नीरज भारद्वाज, डा. अनुदीप, डा. स्वपनिल, डा. मोनिका और सर्जरी डिपार्टमैंट के हैड डा. राम समुझ की अगुवाई में बच्चे की सर्जरी की गई है। सर्जरी के बाद बच्चे को न्यूनोटोलॉजी डिपार्टमैंट के डा. सुरिया और प्रो. प्रवीन कुमार की देखरेख में रखा गया। सैक्टर-34 में रहने वाले बच्चे के पिता एक सिक्योरिटी गॉर्ड हैं। ऐसे में आर्थिक रुप से कमजोर होने पर बच्चे की सर्जरी फ्री में की गई है। 


यह है सर्जिकल रोबोट
चार बाजुओं के साथ सर्जिकल रोबोट की मदद से उन अंगों की सर्जरी भी संभव है, जहां इंसान की उंगलियां नहीं पहुंच सकती। इसका मैग्नीफाइड थ्री डाइमैंशनल व्यू सर्जन को छोटे से छोटा अंग बड़ा कर दिखा देता है और इससे स्वस्थ टिश्यू को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। रोबोट सर्जरी साईंस, इंजीनियरिंग और मैडीसिन का संगम है। इससे मरीज की रिकवरी जल्दी होती है। रोबोटिक सर्जरी के बाद हॉस्पिटल स्टे सिर्फ दो या तीन दिन का रहता है उसके बाद मरीज आराम से घर जा सकता है। बाकी सर्जरियों के मुकाबले रोबोट शरीर में जाकर किसी भी अंग की सर्जरी कम से कम कट के साथ कर सकते हैं और इससे मरीज को दर्द का एहसास भी कम होता है। 

bhavita joshi

Advertising