अन्नपूर्णा रसोई PG में रहने वाले स्टूडैंट्स और बुजुर्गों के लिए बनी सहारा

Monday, Jan 14, 2019 - 11:24 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : प्रशासन द्वारा जरूरतमंदों के लिए शुरू की गई अन्नपूर्णा-अक्षयपात्र योजना को 2 वर्ष पूरे हो चुके हैं। वर्ष 2017 में 2 जनवरी को अन्नपूर्णा-अक्षयपात्र योजना शुरू की गई थी और आज यह योजना गरीब बेसहारा ही नहीं, बल्कि पी.जी. में रह रहे लड़के-लड़कियों और बुजुर्ग अकेले रह रहे दंपतियों का सहारा बनी है। पी.जी. में रहने वाले लड़के-लड़कियों व बुजुर्ग दंपतियों को अन्नपूर्ण रसोई का यह खाना बड़ा खूब भा रहा है। 

पी.यू. में पढऩे वाले छात्रों ने बताया कि जबसे रसोई पी.जी.आई. में शिफ्ट हुई है, तब से छात्रों का यह रसोई सहारा बनी हुई है। अन्नपूर्णा-अक्षपात्र योजना के तहत शुरू हुई रसोई की सुपरवाइजर अनामिका ने बताया कि दिनों-दिन खाने के खरीदारों की संख्या बढ़ी जा रही है। शुरूआत मात्र 500 पैकेट्स से की गई थी। वहीं 2 वर्षों में पैकेट्स की बिक्री बढ़कर 500 से बढ़कर 4500 हो गई है।

खाने में छोले-राजमाह भी :
अनामिका ने बताया कि उन्होंने मैन्यू में 2 सब्जियों को और शामिल किया है। जिसमें राजमाह व काले छोले शामिल हैं। जिसे लोगों को काफी पसंद भी किया गया। उन्होंने बताया कि लोग रसोई से आने वाले खाने को काफी सरहा रहे हैं, खासकर पी.जी.आई. में इलाज के  लिए आने वाले मरीजों के परिवारों को यह खाना पसंद आ रहा है। 

फंड हुआ कम :
अन्नपूर्णा-अक्षयपात्र योजना के शुरूआत में इसके लिए रैड क्रॉस सोसायटी को काफी फंड आया लेकिन अब रैडक्रॉस सोसाइटी के पास इस योजना के लिए बहुत कम फंड प्राप्त हो रहा है, जबकि चंडीगढ़ प्रशासन की यह योजना 14 रुपए की लागत वाला खाना लोगों में 10 रूपए में बांट रही है। इसके चलते रैडक्रॉस सोसायटी को इससे घाटा हो रहा है।

Priyanka rana

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