पैट्रोल पंप मालिक ने प्रशासन को दोषी ठहराते हुए राज्यपाल से मांगी आत्महत्या करने की इजाजत

punjabkesari.in Tuesday, Sep 03, 2019 - 03:14 PM (IST)

चंडीगढ़ (राय): मोहाली में दो पैट्रोल पंपों के मालिक 75 वर्षीय जी.एस. चावला ने पंजाब के राज्यपाल व यू.टी. के प्रशासक को पत्र लिखकर आत्महत्या करने की अनुमति मांगी है। उनका आरोप है कि उनके तमाम प्रयासों के बाद भी चंडीगढ़ प्रशासन के अडिय़ल रुख के चलते ट्राईसिटी में ईंधन दरों में समानता नहीं आ पाई है। 

 

चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा वैट का रिवीजन न करने के कारण पिछले 22 महीनों में उनका 80 प्रतिशत बिजनैस हाथ से निकल गया है, क्योंकि उनके पंप चंडीगढ़ से जीरो दूरी पर स्थित हैं। इसके अलावा मोहाली और पंचकूला के अन्य पंपों का भी नुक्सान हुआ है। 


चावला ने चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ अपनी शिकायत और आत्महत्या करने की अनुमति मांगने वाले पत्र की प्रतियां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, मुख्य न्यायाधीश, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, पंजाब के मुख्यमंत्री, पंजाब व हरियाणा के वित्त मंत्रियों सहित केंद्र व राज्य सरकारों के अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों को भी भेजी हैं।    

 

ट्राईसिटी में ईंधन दरों में समानता क्यों नहीं ?
चावला ने चंडीगढ़ के पैट्रोल पंपों पर कम दाम पर बिक रहे डीजल व पैट्रोल के अनुचित व्यापार को प्रकाश में लाने के लिए एक प्रैस कॉन्फ्रैंस की। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन और चंडीगढ़ के पैट्रोल पंप मालिकों के बीच मूल्य निर्धारण को लेकर हुए मेलजोल के दुष्प्रभावों को वीडियो और तस्वीरों के जरिए समझाया कि इसी वजह से चंडीगढ़ में पैट्रोल 5 रुपए और डीजल 3 रुपए प्रति लीटर सस्ता बिक रहा है। चावला ने कहा कि ट्राईसिटी का क्षेत्रफल महज 10 गुणा 10 किलोमीटर का है।
 

चंडीगढ़ में बिलबोर्ड्स और होर्डिंग्स लगाना अवैध है, फिर कैसे वहां के पैट्रोल पंप इस तरह के बोर्ड लगा पाते हैं, जिन पर लिखा होता है कि चंडीगढ़ में ईंधन की दरें पंजाब से कम हैं। इनकी अनुमति कैसे मिल गई? यहां तक कि दिल्ली एन.सी.आर. में भी तेल के दामों में महज 25 पैसे का अंतर है, जहां की आबादी 5 करोड़ है और जिसमें दिल्ली, हरियाणा व यू.पी. समेत तीन राज्य आते हैं।

 

कीमतों में स्थिरता आने के बावजूद वैट नहीं घटाया
चावला ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने दो बार वैट कम किया था। 7 अक्तूबर, 2017 को डीजल और पैट्रोल पर 2.5 रुपए का वैट घटाया था। 

 

फिर 4 अक्तूबर, 2018 को डीजल व पैट्रोल के दामों पर 1.40 रुपए वैट कम किया गया। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता आने के बाद अन्य सभी राज्य एक ही दर पर वापस चले गए लेकिन मोहाली और पंचकूला के कारोबार को कम करने की रणनीति के चलते चंडीगढ़ अभी भी उन्हीं दरों को जारी रखे  हुए हैं।  

 

एंट्री टैक्स लगाने की फिराक में है चंडीगढ़ प्रशासन 
चावला ने कहा कि इस विषम मूल्य निर्धारण का परिणाम यह हो रहा है कि सस्ते में तेल लेने के लिए लोग अपने वाहनों की लंबी कतारें लगा देते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और चंडीगढ़ में प्रदूषण बढ़ रहा है। 

 

चंडीगढ़ प्रशासन वैट बढ़ाकर और मूल दरों पर वापस लौटने के बजाय चंडीगढ़ में एंट्री टैक्स लगाने की फिराक में है, जो अव्यावहारिक कदम होगा। चंडीगढ़ के कुछ पैट्रोल पंपों के साथ मिलीभगत कर मनमाने और अनैतिक तरीके से कारोबार को नष्ट किया जा रहा है। 

 

पंजाब-हरियाणा के बराबर वैट करने का वादा नहीं किया पूरा 
उन्होंने कहा कि उन्होंने पी.पी.डी.ए.पी. (पैट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन पंजाब) के तत्वावधान में मोहाली और पंचकूला के पैट्रोल पंप डीलरों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ 5 अप्रैल, 2019 को यू.टी. के सलाहकार से मुलाकात की थी, जो आम चुनावों के बाद वैट को पंजाब-हरियाणा के बराबर करने पर सहमत हो गए थे, हालांकि ऐसा कुछ किया नहीं गया। 

 

चावला ने कहा, पिछले 2 वर्षों में चंडीगढ़ पैट्रोल पंप बिजनैस की वृद्धि 6 प्रतिशत सालाना की औसत राष्ट्रीय वृद्धि की तुलना में काफी अधिक रही है। उनका व्यवसाय खत्म हो चुका है। ऐसा चंडीगढ़ प्रशासन की नीति के कारण हुआ है, जिसका उद्देश्य ईंधन व्यापार पर एकाधिकार करना है। 


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pooja verma

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