ओ.पी.डी. और ओ.टी. कई घंटे रहे बंद, 65 सर्जरी टली, 6000 मरीज बिना इलाज लौटे

punjabkesari.in Saturday, Jun 15, 2019 - 12:02 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : कोलकाता के एन.आर.एस. मैडीकल कॉलेज में डाक्टरों के साथ हुई मारपीट की घटना का विरोध देश भर में हो रहा है। कई जगहों पर लगातार प्रोटैस्ट किया जा रहा है। शुक्रवार को पी.जी.आई. ए.आर.डी. (रैजीडैंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने भी चार घंटे तक काम का बहिष्कार किया। हालांकि इस दौरान इमरजैंसी सेवा बाधित नहीं की गई लेकिन ओ.पी.डी. और ओ.टी में कई घंटे काम बंद रहा। इस दौरान डॉक्टर्स द्वारा शांति मार्च भी निकाला गया। 

डॉक्टर्स ने अपने शरीर पर पट्टियां बांधकर और काली पट्टी लगाकर विरोध जताया। डॉक्टरों के प्रदर्शन की वजह से पी.जी.आई. में 65 सर्जरी टली और 6000 मरीजों को बिना उपचार लौटना पड़ा। डॉक्टर्स ने रविवार तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर घटना के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो अनिश्चतकालीन हड़ताल पर जाने की बात भी कही है। 

ऐसी हरकतें सहन नहीं होंगी
एसोसिएशन का कहना है कि डॉक्टरों के खिलाफ लगातार इस तरह के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा। ए.आर.डी. मैंबर डॉ. ईशान के मुताबिक डॉक्टर हर मरीज को बचाने की पूरी कोशिश करता है, लेकिन अगर नहीं बचा पाता तो उसके साथ मारपीट की जाती है। हम इस तरह की घटनाओं का सहन नहीं करेंगे। यह बहुत ही गैर-जिम्मेदारना हरकत है। स्टेट गवर्नमैंट की ओर से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश भी नहीं जा रही। उनकी मांग है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डॉक्टर से माफी मांगें व मामले पर कड़ी कार्रवाई करें। वहीं, डॉक्टर्स की सेफ्टी को लेकर कुछ कदम उठाने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं करती है तो मजबूरन डॉक्टरों को स्ट्राइक पर जाना होगा। 

पी.जी.आई. में सिक्योरिटी को लेकर भी उठी मांग 
मरीज व डाक्टर्स के बीच हाथापाई पी.जी.आई. के लिए भी कोई नई नहीं है। कई दफा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जब मरीज ने डाक्टर्स के साथ न सिर्फ गाली-गलौच की हो, बल्कि हाथापाई भी। ए.आर.डी. प्रैजीडैंट डॉ. उत्तम ठाकुर ने कहा कि इस मामले को पॉलीटिकल एंगल दिया जा रहा है जो कि बहुत गलत है। मैडीकल प्रोफैशन इन सबसे उपर है, जिसकी सबकों कद्र करनी चाहिए। पी.जी.आई. में भी डाक्टर्स की सिक्योरिटी को लेकर हम काफी वक्त से मांग करते आ रहे हैं। हालांकि इसे और इम्प्रूव करने की जरूरत है। हमारी मांग है कि सिक्योरिटी में बाऊंसर्स को भी एड किया जाए।  

पी.जी.आई. में आज भी 9 बजे तक होगी रजिस्ट्रेशन 
डाक्टर्स के रोष प्रदर्शन को देखते हुए पी.जी.आई. में शनिवार को ओ.पी.डी. में रजिस्ट्रैशन  का वक्त सुबह 9 बजे तक कर दिया गया है। मरीजों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए विभाग की ओर से फैकल्टी, नर्सेज टैक्नोलोजिस्ट की ड्यूटूी लगाई गई है। 

सुरक्षा देने और तुरंत एक्शन लेने से ही ऐसी घटनाएं रुकेंगी
आई.एम.ए. के प्रैजीडैंट डॉ. राजेश धीर ने कहा कि किसी मरीज को इलाज देते वक्त अगर डाक्टर सोचने लगे कि कुछ नैगेटिव इम्पैक्ट आ सकता है तो वह उसका इलाज कैसे करेगा। सिक्योरिटी देना और तुंरत एक्शन लेना ही इसे रोक सकता है। मरीज पुलिस के पास जा सकता है। एडमिन्स्ट्रेशन को शिकायत, ऑल इंडिया मैडीकल एसोसिएशन समेत कोर्ट में जा सकता है, अगर उसे कुछ गलत लगता है। प्रिवैंशन अगेंस्ट वायलैंस मैडीकल इंस्टीच्यूशन एक लॉ है, लेकिन हैल्थ एक स्टेज सब्जैक्ट है तो हर स्टेज ने इसे अपना बनाया है। पंजाब हरियाणा समते कई स्टेट्स में यह लॉ है, लेकिन चंडीगढ़ में अभी तक इस पर कोई काम नहीं किया गया है। हम कोशिश कर रहे हैं कि न सिर्फ यह बल्कि सैंटर से कोई ऐसा कानून पास हो, ताकि मैडीकल प्रोफैशन में इस तरह की घटनाएं न हों। 

यह सरासर गुंडागर्दी है
आई.एम.ए. के कन्वीनर डॉ. नीरज ने कहा कि यह कोई पॉलीटिकल मुद्दा नहीं है बल्कि सरासर गुंडागर्दी है। इसे बंद करने की जरूरत है। डाक्टर्स के लिए सभी मरीज जरूरी हैं, जिसे बचाने की वह पूरी कोशिश करता है लेकिन कई बार जिंदगी हमारे हाथ में नहीं होती। इस तरह के हादसे देश भर में अब सामने आ रहे हैं। अगर लगता है कि कुछ गलती हुई है तो उसकी कम्लैंट करो, या उससे बात करो, न कि 200 लोग साथ लेकर उसे मारने चले जाओ। किसी मरीज को रैफर करना बहुत आसान है। उसमें वक्त नहीं लगता है लेकिन इसके बावजूद न सिर्फ पी.जी.आई. गवर्नमैंट अस्पतालों में मरीजों को ट्रीटमैंट दिया जाता है। डाक्टर्स के मन में अब डर पैदा हो गया है जिसका असर उनके काम पर पड़ेगा। इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है और सैंटर को एक कानून लाने की जरूरत है। जब तक यह नहीं होगा, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। 


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bhavita joshi

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