पंजाब सरकार किस प्रावधान के तहत दर्ज कर रही है पराली मामले में केस : हाईकोर्ट

Thursday, Oct 26, 2017 - 11:51 AM (IST)

चंडीगढ़(बृजेन्द्र) : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पराली जलाने के मामले में सरकार से पूछा है कि कानून के किस प्रावधान के तहत में एफ.आई.आर. दर्ज की जा रही हैं। साथ ही चीफ सेक्रेटरी को ऐसा जिम्मेदार अफसर नियुक्त करने को कहा है जो कोर्ट में अगली सुनवाई पर पेश होकर जवाब पेश कर सके। इसके लिए ज्वाईंट सेक्रेटरी रैंक से नीचे का अफसर न हो। 

 

पंजाब में पराली जलाने के मामले में भारतीय किसान युनियन (भाकियू) की तरफ से याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद मामले में बुधवार को केंद्र व पंजाब सरकार के वकील पेश हुए। सरकार ने पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ कार्रवाई के पीछे एन.जी.टी. आदेशों को आधार बनाया, जिसका विरोध करते हुए याची पक्ष ने कहा कि हाईकोर्ट की डिविजन बैंच ने मामले में वर्ष 2012 में आदेश जारी किए हुए हैं। इसके बावजूद वर्ष 2015 में सरकार ने पराली जलाए जाने पर रोक लगा दी। 

 

सरकार ने सुनवाई के दौरान अपना जवाब दायर करने के लिए समय की मांग की। जिस पर हाईकोर्ट ने 10 दिन की समयसीमा तय की। याची पक्ष के वकील चरणपाल सिंह बागरी ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि पराली जलाए जाने से नहीं रोका जा सकता बल्कि सरकार को इसके लिए तंत्र मुहैया करवाने चाहिए। केस की अगली सुनवाई 20 नवम्बर को होगी। बीते 13 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को नोटिस जारी किया था।

 

धान का पुआल, खूंटी और अवशेष जलाने से रोकने के लिए उचित मुआवजे की घोषणा करें :
याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाएं कि किसानों द्वारा धान का पुआल, खूंटी और अवशेष (पराली) को जलाने से रोकने के लिए प्रति एकड़ के हिसाब से उचित मुआवजे की घोषणा करें। जिसके लिए नोटिफिकेशन/पॉलिसी जारी की जाए। इसके अलावा किसानों को तंत्र, उपकरण और मशीनरी प्रदान किया जाए। वहीं प्रत्येक जिले में वह स्थान प्रदान किया जाए जहां धान की खेती के अवशेष मसलन पुआल फैंका जा सके। 

 

याचिका में भाकियू ने केंद्र सरकार समेत वित्त मंत्रालय के सचिव तथा पंजाब सरकार को पार्टी बनाया है। वहीं संबंधित केस की सुनवाई लंबित रहने या मुआवजे की राशि को लेकर नोटिफिकेशन जारी होने तक प्रतिवादी पक्ष द्वारा जुर्माने को लेकर चालान करने, किसानों के राजस्व रिकार्ड में रैड एंट्री करने, कमिशन एजैंट्स से फसल की रकम लेने पर प्रतिबंध, बिना एसमएएस के कंबाइन चलाने की कार्रवाई पर रोक, धान का अवशेष जलाने पर गांवों का अनुदान रोकने, बिजली मीटर काटने, सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत कार्रवाई करने आदि पर रोक लगाई जाए। 

 

इसके अलावा हाईकोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाए कि ओद्योगिक युनिट्स स्थापित करें जिनमें कृषि अवशेष डाल सकें ताकि उर्जा का वैक्लिपक स्त्रोत बन सके, एथेनॉल, पेपर, पैकेजिंग मैटिरियल व बोर्ड आदि का निर्माण हो सके। याचिका की सुनवाई तक किसानों को धान का पुआल जलाने से रोकने के संबंध में बनी पॉलिसी, नोटिफिकेशन या बने आदेशों पर रोक लगाई जाए। 

 

इसके अलावा मांग रखी गई है कि किसानों को सब्सिडी पर हैप्पी सीडर जैसी मुफ्त में व किसानों की खेती भूमि के हिसाब से मशीनें मुफ्त व सबसिडी पर मुहैया करवाई जाए। इसके अलावा किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से उचित्त रकम धान का अवशेष इकट्ठा करने और इसके ट्रांसपोर्टेशन के लिए दिया जाए। गौरतलब है कि एन.जी.टी. ने दिसम्बर, 2015 में धान के पुआल को जलाने पर पाबंदी लगाई थी।

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