PU में ई-रिक्शा और गेट नंबर-1 की पार्किंग को लेकर फंसा पेच

punjabkesari.in Monday, Feb 05, 2018 - 10:15 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : पंजाब यूनिवर्सिटी में ई-रिक्शा और गेट नंबर-1 की पार्किंग को लेकर पेच फंस गया है। मामले में पी.यू. के कुछ अफसरों पर घोटाले के आरोप लग रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मामले में हुए करार को लेकर उपराष्ट्रपति और पी.एम.ओ. ऑफिस ने पी.यू. प्रशासन से जवाब तलब किया है। इसके बाद से पी.यू. के आला अफसरों के हाथ पैर फूल गए हैं। 

 

शनिवार को रजिस्ट्रार कर्नल (रि.) जी चड्ढ़ा, एस.वी.सी. संधू और पूर्व डीन स्टूडैंट वैल्फेयर प्रो. नवदीप गोयल की इसको लेकर बैठक हुई। पी.यू. प्रशासन ने ई-रिक्शा और पार्किंग को लेकर फरीदाबाद के एक्सप्लोर ग्रुप के साथ लिखित करार किया था। कंपनी पर पी.यू. प्रशासन इतना मेहरबान हो गया कि उसने आर्थिक तौर पर डूब रही यूनिवर्सिटी के हितों का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा। 

 

कंपनी को तीन पार्किंग सौंपने पर लिखित रजामंदी बनी और उसे गेट नंबर एक पर पार्किंग सौंप दी गई थी। हालांकि बाकी दो पार्किंग विवाद उठने के बाद रोक दी गई। कंपनी के लिए अधिकारी एक नया गेट बनाना चाहते थे ताकि यहां ई-रिक्शा का स्टैंड बनाया जा सके, लेकिन टीचरों और स्टूडैंट संगठनों के विरोध के बाद फैसला वापस लेना पड़ा। 

 

पी.यू. के कुछ अधिकारियों के पास मोटा कमीशन जा रहा है :
रजिस्ट्रार गुलजीत चड्ढा और एक्सप्लोर (फरीदाबाद) कंपनी के मालिक में विवाद के बाद कई पत्रों का आदान-प्रदान हुआ है जिन्हें कमेटी के सदस्यों के संज्ञान में नहीं लाया जा रहा। कंपनी को पी.यू. प्रबंधन ने हर डेढ़ किलोमीटर पर चार्जिंग प्वाइंट भी प्रदान किए। 

 

इसके लिए बाकायदा पी.यू. ने अंडरग्राऊंड वायर बिछाई। सूत्रों के अनुसार एक्सप्लोर कंपनी को सारे करार से सालाना करीब 4 करोड़, 47 लाख रुपए की आय हो रही है, जिसमें से पी.यू. के कुछ अधिकारियों को मोटा कमीशन जा रहा है।

 

पार्किंग हुई बंद :
कंपनी को गेट नंबर-1 पर पार्किंग दी गई थी, जिसे कंपनी ने बीते दो दिन पहले बंद कर दिया है। कंपनी के मुलाजिम मंजीत फौजी का कहना है कि उन्हें पार्किंग से कोई आमदनी ही नहीं थी, लिहाजा उन्होंने पार्किंग ही सरैंडर कर दी, लेकिन कहा जा रहा है कि पी.यू. ने उपराष्ट्रपति ऑफिस व पी.एम.ओ. से जवाब तलब के बाद पार्किंग हटाने का आदेश दिया है। उन्होंने बताया कि वह प्रति गाड़ी 10 रुपए चार्ज करते थे, लेकिन चूंकि चंडीगढ़ में रेट 5 रुपए प्रति गाड़ी है लिहाजा गाड़ी के मालिक विरोध करते थे और कई मर्तबा लड़ाई भी होती थी।

 

संदेह के घेरे में काम :
पी.यू. प्रशासन के आला अधिकारियों पर यह आरोप लग रहे हैं कि ई-रिक्शा और पार्किंग का ठेका असल में खुद उन्होंने लिया है। एक कंपनी को बीच में डालकर लाखों रुपए की सहूलियतें पी.यू. की ओर से प्रदान कर दी गई जिस पर कई ऐतराज उठ गए। इस कंपनी को ठेका देने से पहले ई टैंडरिंग भी नहीं हुई। फिलहाल यह भी नहीं पता कि यही कंपनी ई-रिक्शा और पार्किंग चला रही है या कोई ओर। 

 

कंपनी के मुलाजिम मनजीत फौजी के मुताबिक फिलहाल तो ग्रीन कैब कंपनी ई-रिक्शा और पार्किंग चला रही है। हैरानी वाली बात यह है कि ई-रिक्शा पर सवारियों को जो चिट टिकट के तौर पर दी जाती है उस पर सीजी शटल लिखा है। पर्ची पर कंपनी के सी और जी शब्द अपने आप में कई संदेह पैदा कर रहे हैं। 

 

हॉस्टलों में खरीद-फरोख्त मामले की हुई थी जांच :
केंद्र की मोदी सरकार यूनिवर्सिटियों में घपले की शिकायतों पर कड़ा रुख अपनाए हुए है। पी.यू. के हॉस्टलों में खरीद-फरोख्त के मामले में भी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित कर जांच करवाई थी और कमेटी का फैसला अभी सामने नहीं आया है। 
 


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