नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने पर पंजाब यूनिवर्सिटी में स्टूडैंट्स ने किया प्रदर्शन

Thursday, Dec 12, 2019 - 10:04 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के विरोध में पंजाब यूनिवर्सिटी में स्टूडैंट्स ने रोष प्रदर्शन किया। छात्र संघ आईसा ने कहा कि भारत की नागरिकता की मूल शर्तों को बदल देने वाला यह विधेयक आजाद भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा निरंकुश और भेदभावकारी कानूनों में से एक है। 

यह विधेयक 31 दिसम्बर 2014 के पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से बिना वैध दस्तावेजों के भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, ईसाई व पारसियों को भारत की नागरिकता देने का वादा करता है। सूची से सिर्फ मुसलमान गायब है। विधेयक का मानना है कि इन तीन देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मुसलमानों का बहुमत है, जबकि दूसरे समुदाय इन देशों में सताए गए अल्पसंख्यक हैं। 

आईसा के विजय ने कहा कि दूसरे देशों के लोगों को शरण और नागरिकता दी जाए तो इस मामले को सिर्फ बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफग़ानिस्तान तक ही और वहां के चुनिंदा समुदायों तक क्यों सीमित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि देशभर में व्यापक आंदोलन किया जाएगा। वहीं विधेयक में श्रीलंका के तमिल लोगों, म्यांमार के रोहिंग्या लोगों और चीन के मुसलमानों और बौद्धों और बांग्लादेश के सैक्युलर तर्कवादियों, पाकिस्तान के शिया, बलोच और अहमदी लोगों का जिक्र इसमें नहीं है। 

असम में आखिरी नागरिकता रजिस्टर से तकरीबन 20 लाख लोग बाहर कर दिए गए हैं। माना यह जा रहा है कि इसमें ज़्यादा तादात हिंदुओं की है। असम के अनुभव को ध्यान में रखते यह कहा जा सकता है कि नागरिकता रजिस्ट्रर से बाहर किए जाने वाले लोगों में ज्यादातर हिंदू समुदाय के, भूमिहीन गरीब, अप्रवासी मज़दूर या सामान्य कामगार लोग होंगे। भाजपा और संघ-गिरोह लोगों को विश्वास दिलाना चाहता है कि नागरिकता रजिस्ट्रर से बाहर हुए हिंदुओं को नागरिकता संशोधन अध्यादेश के जरिये फिर से नागरिकता दे दी जाएगी। 

Priyanka rana

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