PU में पेड पार्किंग की योजना फेल, लाखों रुपए हुए थे खर्च

Sunday, Jan 14, 2018 - 09:18 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : पंजाब यूनिवर्सिटी में पेड पार्किंग की योजना फेल हो गई है। इस पार्किंग को बने करीब 6 माह का समय हो गया है, लेकिन पार्किंग का प्रयोग नहीं हो रहा है। यह पार्किंग खाली पड़ी रहती है, पार्किंग गेट नंबर-एक और दो के पास बनी है। इन पार्किंग को बनाने के लिए लाखों रुपए पी.यू. के खर्च हुए थे। 

 

वहीं पार्किंग में स्कूटर व कार खड़े करने की पर्ची काटने वाला कोई नहीं है। पी.यू. ने यह योजना आऊटसोर्स की थी। यह योजना ई-रिक्शा संचालक की ओर से थोड़े दिन के लिए शुरू की गई थी, लेकिन बाद में बंद कर दी गई। जानकारी के मुताबिक पेड पार्किंग में पर्ची काटने वाले का वेतन निकलना भी मुश्किल हो गया था इसलिए यह योजना बंद कर दी गई।

 

बैरियर नहीं कर रहा काम :
गेट नंबर की एक पार्किंग में गाडिय़ाों के अंदर आने जोन के लिए एक बैरियर भी लगाया गया गया था। यह बैरियर भी किसी काम नहीं आ रहा है। यह बैरियर पार्किंग में ऐसे ही लगा पड़ा है। 

 

जानकारी है कि यह बैरियर ई-रिक्शा संचालक की ओर से लगाया गया था। कुछ दिन ही इस बैरियर का प्रयोग हुआ लेकिन अब इस बैरियर का प्रयोग नहीं हो पा रहा है। 

 

उधर, कैंपस में आने वाले स्टूडैंट और लोग भी अपने वाहन अपने साथ ही ले जाते हैं, क्योंकि कैंपस काफी बड़ा है।ऐसे में अपने वाहन को पार्किंग में छोड़ एक से दूसरे स्थान पर  पैदल जाना मुश्किल है, वहीं शटल बसों का भी अपना ही रूट है।

 

स्टूडैंट और लोग झगड़ते हैं :
कुछ सिक्योरिटी गाडर्स ने बताया कि बिना स्टीकर लगी गाडिय़ों को रोका जाए तो वह झगडऩे लगते हैं। कैंपस में आने वाले कुछ लोग यही रहने वाले भी हैं और कुछ लोग बाहर से घूमने के लिए भी आते हैं। 

 

सभी के पास पी.यू. के स्टीकर नहीं होते हैं। ऐसे में गाड़ी पार्किंग में लगाने के लिए कहने पर कभी वह अपने किसी परिचित को फोन करने का रौब डालते हैं या फिर कुछ झगड़े पर उतर आते हैं, जिससे आवाजाही ठप्प पड़ जाती है। उन्होंने बताया कि ऐसे में वह कैंपस में आने वाली कैब या आऊटसाईडर गाडिय़ों की चैकिंग करके उन्हें जाने देते हैं।  

 

कोई नहीं मानता नियमों को :
पी.यू. को नो व्हीकल जोन बनाने के लिए इससे पहलेे भी कड़े नियम बनाए जा चुके हैं, लेकिन इन नियमों को कोई फायदा नहीं हुआ। कैंपस में पिछले सैशन 2016 में हॉस्टलर के लिए गाड़ी रजिस्टर करवाना जरूरी किया गया था, लेकिन फिर भी कैंपस में सैंकड़ों गाडिय़ां हॉस्टल के बाहर ऐसी खड़ी होती थी जो रजिस्टर नहीं थी।
 

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