पी.यू. के अन्य कर्मचारियों की तरह साल बाद होनी चाहिए हमारी ब्रेक

Monday, Jul 15, 2019 - 12:06 PM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि हंस) : पी.यू. के हैल्पर व क्लीनर सी-क्लास कर्मचारियों को हर माह काम करने के बाद एक दिन की ब्रेक दी जाती है। इसके बाद अगले माह के लिए एक्सटैंशन देकर इन कर्मचारियों से काम लिया जाता है। पहले यह ब्रेक एक कर्मचारी को तीन माह बाद एक दिन की जाती थी। वर्ष में चार बार उन्हें यह ब्रेक मिलती थी, लेकिन 2017 के  में एक सर्कुलर के तहत यह ब्रेक 30 दिन बाद ही दी जाने लगी। 

 पी.यू. के इन सी-क्लास कर्मचारियों का कहना है कि उनकी वर्ष में 12 छुट्टियां होने पर वेतन भी ज्यादा कट जाता है। यदि शुक्रवार का दिन माह के आखिरी में आए तो शुक्रवार के बाद शनिवार और रविवार की भी छुट्टी होती है। ऐसे में हमारा तीन से चार दिन का वेतन कट जाता है। कर्मचारियों का कहना है कि जो लोग 10-15 या बीस वर्ष से काम कर रहे हैं, उनके सर्विस के दिन भी कम गिनती में आते हैं।

 कर्मचारियों की मांग है कि पी.यू. के अन्य कर्मचारियों को एक -एक वर्ष काम करवाकर ब्रेक दी जाती है ताकि हम रैगुलर होने की माग न कर सकें। इसी तरह से हमारी ब्रेक भी एक-एक वर्ष की होनी चाहिए। ऐसे में कर्मचारियों का 4 हजार से 6 हजार तक के वेतन का नुक्सान हो जाता है।  

एम.टी.एस. या क्लर्क को 3 माह के बाद दी जाती है ब्रेक
वहीं डेली वेजिस कांट्रैक्ट पर काम कर रहे मल्टी टास्किंग सरवैंट (एम.टी.एस.) को 89 दिन यानि  तीन माह के बाद ब्रेक  दी जाती है। इन एमटीए से क्र्लक का भी काम लिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार यह एम.टी.एस. अकाऊंट्स ब्राच में क्लर्क के पद पर हैं।  वहीं, स्टेट ब्रांच में भी क्लर्क के पद पर कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके पद के आगे भी क्लर्क ही लिखा गया है। पी.यू. के डीले वेजर्स और एम.टी.एस. कर्मचारी सभी को इस समय 13,639 का वेतन मिलता है।  हालांकि हाल ही में इन कर्मचारियों को जी.ए.डी.पी. वेतन मिलने के मुद्दे पर मोहर लगाई गई है। उम्मीद है कि अब इन कर्मचारियों को भी जी.ए.डी.पी. मिलेगा। 

 प्रोमोशन मिलने के नियम जी.सी.एम. तक ही सीमित
ध्यान रहे कि  (पी.यू.) के सी-क्लास कर्मचाकियों की प्रोमोशन के  लिए साक्षात्कार लेने का मामला अभी तक अटका पड़ा है। कैंपस में सी-क्लास कर्मचारियों को 20 से 25 सालों तक प्रोमोशन के लिए तरसना पड़ रहा है। इन्हें समय से प्रोमोशन मिले, इसके  लिए बकायदा ज्वाइंट कंसलटेटिव मशीनरी (जी.सी.एम.) में नियम तय किए गए थे लेकिन यह नियम जे.सी.एम. तक ही सीमित रह गए हैं। 

bhavita joshi

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