पी.जी.आई. में गॉल ब्लैडर रिमूव के लिए शुरू हुई नई टैक्नीक, दिखाई न देने वाले मार्क के साथ होगी सर्जरी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 09, 2019 - 11:46 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल): पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सर्जरी के बाद रहने वाले मार्क्स (निशान) को लेकर ज्यादा पेरशान रहती है। इसी दिक्कत को दूर करने के लिए पी.जी.आई. गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग ने गॉल ब्लैडर स्टॉन को रिमूव करने के लिए सर्जरी की एक लेटेस्ट टैक्रीक शुरू की है। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी के प्रो. जी.आर. वर्मा के मुताबिक पहले की सर्जरी में 4 के करीब निशान रहते थे जो कि हमेशा के लिए होते हैं। लेकिन जिस टैक्रीक को उन्होंने इजात किया है उसमें सिर्फ तीन छोटे निशान रहते हैं। 

अब्डोमनल के बहुत नीचे वाले हिस्से में होने के कारण निशान दिखाई नहीं देते। गॉल ब्लैडर में स्टॉन की दिक्कत महिलाओं में बहुत ज्यादा है।  ओ.पी.डी. में बहुत सी महिलाएं आती हैं जो सर्जरी तो चाहती हैं लेकिन निशान नहीं। इसी को देखते हुए करीब 10 साल पहले ट्रांसवैजाइनल स्कैलिसेमिक टैक्रीक शुरू की थी। इसमें गॉल ब्लैडर को वाजाइना के रास्ते निकाला जाता था। टैक्रीक अच्छी थी लेकिन किसी हैल्दी ओर्गन के जरिए रिमूव करना थोड़ा खतरनाक भी है। इस सर्जरी का मकसद बिना मार्क्स के गॉल ब्लैडर को रिमूव करना था।

 इसी को ध्यान में रखते हुए हमने अब्डोमनल के बहुत नीचे वाले हिस्से को चुना ताकि निशान न दिखे। बिकनी लैपोस्क्रोपिक कोलिन इस सर्जरी को नाम दिया गया है। अगर कोई महिला बिकनी या वैस्टर्न ड्रैस पहनती तो मार्क बिल्कुल दिखाई नहीं देगा। इस टैक्रीक को डवलेप करने से पहले हमने ओ.पी.डी. में आने वाली 100 महिलाओं का सैंपल सर्वे भी किया था जिसमें उनसे सर्जरी को लेकर पूछा था जिसमें से ज्यादातर महिलाओं ने इस सर्जरी के लिए हामी भरी थी।

35 सर्जरी हो चुकी
डा. वर्मा ने बताया कि इस टैक्रीक को ए.यूस. के बड़े जरनल ने हाल ही में एक्सैप्ट भी किया है। पी.जी.आई. में अभी तक इस टैक्रीक से 35 सर्जरी की जा चुकी हैं, जिसमें से 31 महिलाओं व 4 पुरुष हैं। सर्जरी की खास बात यह है कि इसमें नाइफ व स्विचर का इस्तेमाल नहीं किया जाता। खास किस्म इंस्ट्रूमैंट्स से हीट पैदा की जाती है जो नाइफ का काम करता है, कट न लगने के कारण मरीज को ब्लड लोस नहीं भी होता। मरीज की रिकवरी जल्दी होती है। बैसिकली इसे एक कॉस्मैटिक सर्जरी कह सकते हैं क्योंकि गॉल ब्लैडर को तो हम नॉर्मल लैपोस्क्रोपिक सर्जरी व ओपन सर्जरी से भी रिमूव कर रहे हैं हालाकि पी.जी.आई. में 99 प्रतिशत मामलों में ओपन सर्जरी नहीं की जाती है।


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bhavita joshi

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