ऑस्टियोपोरोसिस से हर तीन मिनट में एक व्यक्ति होता है फ्रैक्चर का शिकार
punjabkesari.in Thursday, Nov 09, 2017 - 10:35 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : हर वर्ष विश्व के 8.9 मिलियन लोग ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर का शिकार होते हैं। यानी हर तीन मिनट में किसी मरीज की हड्डी टूट रही है। ऑस्टियोपोरोसिस शांत प्रकृति की बीमारी है, जिसके लक्षण आमतौर पर जल्दी नहीं दिखाई देते। इसी बीमारी को लेकर पी.जी.आई. में 10 से 12 नवम्बर के बीच कांफ्रैंस का आयोजन किया जा रहा है। पी.जी.आई. के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग द्वारा करवाई जा रही इस कांफ्रैंस में करीब 300 के करीब डैलीगेट्स देश विदेश से हिस्सा ले रहे हैं।
इंडियन सोसायटी फॉर बोन एंड मिनरल रिसर्च की ओर से इस कांफ्रैंस का आयोजन किया जा रहा है। ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित रोग व उससे होने वाली मृत्यु दर की थीम पर इस डाक्टर्स इस बीमारी को लेकर चर्चा करेंगे। डाक्टर्स की मानें तो हिप फ्रैक्चर ऑस्टियोपोरोसिस में होने वाला सबसे आम फ्रैक्चर है जिसमें से सिर्फ एक तिहाई लोग ही बच पाते हैं। वहं 75 प्रतिशत लोग इसके बाद अपना डेली रूटीन के लिए भी दूसरे पर निर्भर हो जाते हैं। कांफ्रैंस में प्रैगनैंट महिलाओं में हड्डी रोग व डायबटीक कैसे ऑस्टियोपोरोसिस को इफैक्ट करता है इस पर चर्चा की जाएगी।
कैल्शियम की कमी मुख्य वजह :
शरीर में कैल्शियम की कमी इस बीमारी की मुख्य वजह है। बीमारी में अस्थि खनिज घनत्व (बी.एम.डी.) कम हो जाता है, हड्डियां खोखली व कमजोर होने लगती हैं और हल्का सा दबाव पडऩे पर टूट जाती हैं। ऐसी स्थिति में हड्डी का फिर जुडऩा मुश्किल हो जाता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है।
आंकड़ों पर गौर करें तो 100 मिलियन महिलाएं पूरे विश्व में इस बीमारी की चपेट में हैं। 50 की उम्र बाद महिलाओं में एस्ट्रोजोन का लैवल कम होने लगता है और उनमें ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका बढऩे लगती है। रजोनिवृत्ति वाली प्रत्येक तीसरी महिला इस बीमारी से पीड़ित हैं।
बीमारी के दौरान इसका जल्द पता नहीं चलता। जब हड्डियों में तकलीफ होती है तो डाक्टर को दिखाने के बाद पता चलता है कि वे ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हैं। वहीं पुरुषों की बात करें तो 60 वर्ष की उम्र के बाद उनमें इस बीमारी के चांस बढ़ जाते हैं।