मौत के बाद भी 2 लोगों को नई जिदंगी दे गई 65 वर्षीय महिला

Monday, Oct 16, 2017 - 09:13 AM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : पी.जी.आई. अब तक 36 ब्रेन डेड मरीजों की ओर्गन ट्रांसप्लांट कर चुका है। इसके लिए न सिर्फ ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों का काफी योगदान है बल्कि विभाग के कर्मचारी व संस्थान के डाक्टर्स का भी काफी योगदान है। पी.जी.आई. ओर्गन ट्रांसप्लांट विभाग (रोटो) के इंचार्ज डा. विपिन कौशल की माने तो लोग अब पुरानी मान्यताओं से आगे निकल रहे हैं। 

 

पी.जी.आई. ओर्गन ट्रांसप्लांट करने के मामले में दूसरे संस्थानो के सामने एक मिसाल पेश कर रहा है। देश में पी.जी.आई. पहला ऐसा गवर्नमैंट हॉस्पिटल है जहां अब तक इतने ओगर्न ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। रविवार को संस्थान में इस वर्ष का 36वां ओर्गन ट्रांसप्लांट किया गया है। जिसकी बदौलत 2 लोगों की जिंदगी बचाई गई।

 

दो किडनी मरीजों की बची जान :
नाभा की रहने वाली 65 वर्षीय राम प्यारी 11 अक्तूबर को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई थी। जिसके बाद परिजन उन्हें पटियाला के राजिंद्रा हॉस्पिटल ले गए। हालत गंभीर होने की वजह से उन्हें जी.एम.सी.एच. सैक्टर-32 हॉस्पिटल रैफर किया गया था। सिर में गंभीर चोट लगने के कारण हालत ज्यादा गंभीर होने लगी थी। इसके कारण उन्हें पी.जी.आई.  रैफर किया गया। लेकिन इलाज के बावजूद डाक्टर्स ने उन्हें 14 अक्तूबर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। 

 

बेटे राजिंदर की माने तो जब ट्रांसप्लांट कोडिनेटर्स से उनकी बात हुई तो उन्हें लगा कि अपनी मां के अंगदान करने के बाद उनकी मां हमेशा के लिए अमर हो गई। उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि उनकी मां की बदौलत दो लोगों को एक नई जिंदगी मिल पाई है। पी.जी.आई. में लंबे वक्त से किडनी का इलाज कवरा रहे दो मरीजों को ब्रेन डेड राम प्यारी की किडनी ट्रांसप्लांट की गई। 

 

ट्रांसप्लांट कोडिनेटर नवदीप की माने तो राजिंदर खुद एक रेगुलर ब्लड डोनर व सोशल वर्कर हैं, ऐसे में जब उनसे अपनी मां के ओर्गन डोनेट करने की बात की गई तो वह इसके लिए राजी हो गए। राजिंदर ओर्गन डोनेशन को लेकर पहले ही काफी अवेयर थे। 

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