PGI में 2 ब्रेन डैड मरीजों की बदौलत 9 मरीजों को किए ओर्गन ट्रांसप्लांट

punjabkesari.in Friday, Jan 10, 2020 - 01:05 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : पी.जी.आई. में 42 साल के ब्रेन डैड मरीज की बदौलत दो लोगों को नई जिंदगी मिली है, जबकि दो लोगों की आंखों की रोशनी मिली है। पी.जी.आई. का यह इस साल का दूसरा ब्रेन डैड केस है। इससे पहले 5 जनवरी को 35 साल के सतीश कुमार की बदौलत 5 लोगों को नई जिंदगी दी गई थी।  सतीश का लीवर, कॉर्नियां, किडनी व पेनक्रियाज भी जरूरतमंद मरीजों को ट्रांसप्लांट की गई थीं। 

मार्कीट में सामान लेने गए ज्ञान चंद तेज रफ्तार गाड़ी की चपेट में आ गए थे :
नालागढ़ के रहने वाले ज्ञान चंद 3 जनवरी को बाइक से जा रहे थे। मार्कीट में कुछ सामान लेने के लिए रुके तो एक तेज रफ्तार गाड़ी की चपेट में आ गए। हादसा इतना खतरनाक था कि उन्हें सिर पर कई गंभीर चोटें आईं। मौके से ही उन्हें लोकल अस्पताल इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन हालत ज्यादा खराब होने के कारण अगले दिन उन्हें पी.जी.आई. रैफर कर दिया गया था। 

4 जनवरी से वह वैंटीलेटर पर थे। इलाज के बावजूद सुधार न होते डाक्टरों ने सभी प्रोटोकॉल को देखते हुए उन्हें ब्रेन डैड डिक्लेयर कर दिया। इसके बाद रोटो ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर ने परिवार से ओर्गन डोनेशन के बारे में बात की। जिन मरीजों को ओर्गन ट्रांसप्लांट किए गए हैं, वे पी.जी.आई. से ही अपना इलाज करवा रहे थे। दो मरीजों को किडनी व दो को कॉर्नियां ट्रांसप्लांट किया गया है। 

4 बच्चों को छोड़ गए पीछे :
ज्ञान चंद अपने पीछे 4 बच्चों, 3 लड़की व एक लड़के को छोड़ गए। पत्नी सुरिंद्र कौर व भाई नर्रिंद्र ने कहा पहले उन्हें इस ओर्गन डोनेशन के बारे में पता नहीं था लेकिन जब उन्हें इसके बारे में बताया गया तो लगा कि वह उसे तो खो चुके हैं।  

लेकिन अगर हमारी हां से किसी और को जिंदगी मिलती है तो इससे बड़ी बात नहीं हो सकती। यही सोचकर हमने ओर्गन डोनेशन का फैसला लिया। वहीं पी.जी.आई. रोटो विभाग के नोडल ऑफिसर डॉ. विपिन कौशल ने परिवार के इस साहस भरे फैसले पर आभार व्यक्त किया है। 


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Priyanka rana

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