अब इस टैक्नीक से दूर होगी ओरल कैंसर के मरीजों का दर्द

Wednesday, Nov 22, 2017 - 10:38 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : दूसरे देशों के मुकाबले भारत में ओरल कैंसर से मरने वालों की संख्या कई ज्यादा है। पुरुषों में होने वाला यह सबसे आम कैंसर है जबकि महिलाओं में ओरल कैंसर तीसरे नंबर पर होने वाली बीमारी है। पी.जी.आई. एनेस्थिसिया क्रिटिकल केयर डिपार्टमैंट की डा. नीरजा भारती की मानें तो तंबाकू का इस्तेमाल ओरल कैंसर की सबसे बड़ी वजह हैं व इसके साथ ही तंबाकू ओरल कैंसर को 8 से 4 गुना तक बढ़ा देता हैं। 

 

कैंसर का डायग्रोस शुरूआती दौर में होना काफी मुश्किल होता है लेकिन ओरल कैंसर के मुकाबले दूसरे कैंसर्स में इलाज व रेडियोथैरेपी व दवाईयों से इस बीमारी का इलाज संभव हो जाता है उसमें चांस होते कि मरीज को बचाया जा सके। लेकिन ओरल कैंसर में अगर मरीज की बीमारी शुरूआती दौर में डायग्रोस न हो तो मरीज की सर्जरी करने पर उसे फायदा नहीं होता।

 

मरीज को दवाई निगलने में भी काफी दर्द होता है। ऐसे में मरीज अपनी बाकी की जिंदगी दर्द के साथ ही गुजारने में मजबूर हो जाता है। डा. भारती ने बताया कि मरीज को खाना निगलने में भी काफी दर्द होता है लेकिन पी.जी.आई. की लेटेस्ट रिसर्च में सामने आया है कि फ्लोरोस्कॉपी(मशीन का नाम) के इस्तेमाल से इन मरीजों के दर्द को कम किया जा सकता है। 

 

डा. भारती ने ओरल कैंसर के उन 30 मरीजों को इस स्टडी में शामिल किया है जिनका कैंसर काफी लेट स्टेज पर डायगनोस किया गया था। उन मरीजों को फ्लोरोस्कॉपी के जरिए 42 डिग्री में रेडियोफ्रीक्वैंसी(एक तरह की तरंगें) दी गई। 6 मिनट के इस प्रोसैस में मरीज को 3 साइकिल के जरिए यह रेडियोफ्रीक्वैंसी दी गई। रिसर्च से पता चला है कि इन टैक्नीक से मरीज के दर्द में 80 प्रतिशत तक गिरावट देखी गई है। डा. भारती ने बताया कि अब तक इन मरीजों के दर्द कोई अच्छा इलाज नहीं था लेकिन इस टैक्नीक ने ओरल कैंसर के मरीजों को काफी राहत दी है। 

 

स्टडी के लिए मिला बी.एम.जे. पुरस्कार :
पी.जी.आई. एनेस्थिसिया विभाग की डा. भारती को इस स्टडी के लिए बी.एम.जे. पुरस्कार दक्षिण एशिया से सम्मानित किया गया है। ओरल कैंसर में पेन रिलीव की फिल्ड में अपने इस  योगदान के लिए उन्हें यह अवार्ड दिया गया है। समारोह का आयोजन नई दिल्ली में ब्रिटिश मैडीकल एसोसिएशन द्वारा किया गया था, जिसमें दक्षिण एशिया के 8 देशों के 2000 डाक्टर्स ने हिस्सा लिया था।

 

पिछले वर्ष शुरू हुई यह स्टडी जल्द ही यू.एस. के पेन फिजिशियन जरनल में पब्लिश होने वाली है। डा. भारती ने बताया कि अभी तक उन्होंने यह स्टडी सिर्फ ओरल कैंसर के मरीजों पर की है लेकिन जल्द ही वह इस स्टडी को बड़े स्केल पर लेकर जाएगी, जिसमें वह हैड व ई.एन.टी. के मरीजों को भी शामिल करेगी। 


 

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