बच्चे पर दर्ज मामले से पुलिस ने ली सीख: अब वैरीफिकेशन के बाद ही दर्ज होंगे हथियारों को प्रोमोट करने संबंधी मामले

punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 08:54 PM (IST)

चंडीगढ़,(रमनजीत सिंह): पंजाब में गन कल्चर को प्रोमोट करने के धड़ाधड़ हो रहे मामलों पर 3 दिन पहले लगाम लगाने के बाद अब पंजाब पुलिस ने एक और एहतियाती कदम उठाया है। अमृतसर जिले में एक छोटे बच्चे के खिलाफ हथियारों को प्रोमोट करने संबंधी केस दर्ज होने के मामले से सीख लेते हुए अब सभी पुलिस कमिश्नर और एस.एस.पीज. को निर्देश दिया गया है कि ग्लोरिफिकेशन ऑफ वैपंस की शिकायत मिलने के बाद उसके सभी पहलुओं व तथ्यों की जांच करने के बाद ही मामला दर्ज किया जाए। इसके साथ ही पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि लाइसैंसी हथियारों को कैरी करने यानी के लेकर चलने पर भी कोई पाबंदी नहीं है, बल्कि उन्हें लेकर चलते वक्त संबंधित व्यक्ति के व्यवहार के आधार पर ही तय होगा कि क्या वह कानून का उल्लंघन है या नहीं। इतना ही नहीं, यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि पुलिस उन गायकों पर भी कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जिन्होंने इस आदेश से पहले अपने गाने सोशल मीडिया पर अपलोड किए हुए थे, बल्कि अब के बाद यदि ऐसा कोई गाना अपलोड होगा तो उस पर कार्रवाई होगी। 

 


आई.जी. हैडक्वार्टर डा. सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि सरकार द्वारा गन कल्चर को रोकने संबंधी किए गए आदेश के बाद लोगों में कई तरह की भ्रामक जानकारी फैल गई है, जिस पर स्पष्टता जरूरी है। उन्होंने कहा कि गन कल्चर को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पुलिस केस ही दर्ज करती जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे ही एक घटनाक्रम में गलती सामने आने पर संबंधित पुलिस मुलाजिम के खिलाफ विभागीय एक्शन लिया गया है और उसके बाद सभी जिलों के एस.एस.पी. व पुलिस कमिश्नरों को निर्देश दिया गया है कि हथियारों के खिलाफ सख्ती जरूरी है, लेकिन एफ.आई.आर. दर्ज करने से पहले यह जरूर तय कर लिया जाए कि वाकई में कानून का उल्लंघन हुआ है और संबंधित व्यक्ति की नीयत भी हथियारों के दिखावे की है। 
 

 

लाइसैंसधारकों से आम्र्स एक्ट का पालन करना होगा
हथियारों को लेकर चलने के मामले संबंधी पूछे जाने पर आई.जी. गिल ने कहा कि हथियार लेकर चलने पर भी कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन लाइसैंसधारकों से आम्र्स एक्ट के पालन की उम्मीद की जाती है क्योंकि यदि छोटा वैपन यानी पिस्टल या रिवॉल्वर है तो उसे कमर पर लगाया जाना चाहिए जबकि अगर बंदूक या राइफल कैरी की जा रही है तो उसका सलीका भी डिफैंसिव होना चाहिए न कि आक्रामक। 
 

 

 

अब तक कुल 137 एफ.आई.आर. दर्ज 
एक सवाल के जवाब में डा. गिल ने कहा कि हथियारों की ग्लोरिफिकेशन रोकने संबंधी आदेश जारी होने के बाद से अब तक राज्यभर में कुल 137 एफ.आई.आर. दर्ज की गई थीं, जबकि एक एफ.आई.आर. गाने या फिल्म द्वारा गन कल्चर को प्रोमोट करने संबंधी दर्ज की गई है। वहीं, वैमनस्य फैलाने वाले भाषणों के 5 मामले दर्ज किए गए। एक अन्य सवाल के जवाब में डा. गिल ने कहा कि राज्य में हथियार लाइसैंस बनाने पर किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं लगाई गई है। हां इतना जरूर है कि राज्यभर में मौजूद तकरीबन साढ़े तीन लाख हथियार लाइसैंस धारकों की वैरीफिकेशन की जा रही है। 
 

 

 

72 घंटे का समय खत्म, अब होगी कार्रवाई
आई.जी. गिल ने कहा कि सोशल मीडिया पर हथियारों की नुमाइश उल्लंघन माना जाएगा और इसकी जांच करके केस दर्ज किया जाएगा। अभी सरकार ने सोशल मीडिया से हथियारों को प्रोमोट करने वाली तस्वीरें हटाने के लिए 3 दिन यानी 72 घंटे का समय दिया हुआ है। यह समय पूरा होते ही संबंधित विभाग की टीम ऐसे लोगों पर कार्रवाई करेगी, जो सोशल मीडिया पर हथियारों की नुमाइश करते पाए जाएंगे। 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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