नींद बनी नर्सिंग स्टूडैंट्स की परेशानी

punjabkesari.in Monday, Sep 25, 2017 - 09:57 AM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : आमतौर पर पी.जी.आई. नर्सिंग स्टाफ की शिकायत रहती है कि उनकी शिफ्ट टाइमिंग उनकी पसर्नल लाइफ को इफैक्ट कर रही है। पी.जी.आई. स्कूल ऑफ नर्सिंग की एक रिसर्च में सामने आया है कि उनका ड्यूटी का वक्त पी.जी.आई. नर्सेज की रातों की नींद उड़ा कर उनको डे. टाइम स्लीपिनैस (दिन के वक्त ज्यादा सोना) जैसी परेशानी दे रहा है। 

 

अच्छी सेहत के लिए आरामदायक व भरपूर नींद की सलाह हर डाक्टर देता है लेकिन पी.जी.आई. नर्सिंग स्टूडैंट्स इन दिनों नींद की कमी का सामना कर रहे हैं। तय वक्त पर सोना व उठना व्यक्ति की अच्छी सेहत में योगदान देता है। नाइन के 400 के करीब नर्सिंग स्टूडैंट्स वक्त पर नहीं हो पा रहे हैं, जिसके कारण 40 प्रतिशत स्टूडैंट्स को हर वक्त नींद आने जैसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। 

 

डाक्टर्स की माने तो हर व्यक्ति की बॉडी में सोने और जागने का एक रैगुलर टाइम फिक्स होता है। जब इस टाइम में किसी तरह का बदलाव होता है, तो वह सेहत के लिए काफी हानिकारक बन जाता है। कॉर्डियो वास्क्यूलर, इम्यून सिस्टम कमजोर होना, दिमाग की क्रिएटिविटी कम होना, बोलने सोचने की शक्ति पर इसके काफी साइड इफैक्ट्स पड़ते हैं। 

 

काम का बोझ :
पी.जी.आई. स्कूल ऑफ नर्सिंग की इस रिसर्च को डा. सुखपाल कौर, स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ डा. अमरजीत व नाइन की   प्रिंसीपल डा. संध्या घई के अंडर किया गया है। रिसर्च में 400 नर्सिंग स्टूडैंट्स को शामिल किया है जिसमें 71 प्रतिशत बी.एससी. नर्सिंग स्टूडैंट्स, 18,8 प्रतिशत बी.एससी. पोस्ट बैसिक, 10.2 प्रतिशत एम.एसी नर्सिंग स्टूडैंट्स को शामिल किया गया। 

 

पी.जी.आई. नर्सिंग स्टूडैंट्स के लिए अस्पताल में 40 घंटे काम के निर्धारित किए गए हैं इसके बावजूद रिसर्च में सामने आया है कि 79.5 प्रतिशत स्टू्डैंट्स 40 घंटे से ज्यादा काम करते हैं जिसमें से आधे से ज्यादा स्टूडैंट्स दिन में ज्यादा सोने की  समस्या से परेशान हैं जबकि 20.5 प्रतिशत स्टूडैंट्स 40 घंटे या उससे कम काम करते हैं। यानि औसतन नाइन के नर्सिंग स्टूडैंट्स 54 से 60 घंटे हर हफ्ते काम करते हैं। 

 

गलती के चांस रहते हैं ज्यादा :
डाक्टर्स के मुकाबले नर्स मरीजों के साथ ज्यादा वक्त गुजारती है। 40 घंटे से ज्यादा काम करने वाले स्टाफ में देखा गया है कि उनकी नींद में गड़बड़ होने के  कारण पेशैंट केयर में गलती होने के चांस काफी बढ़ जाते हैं क्योंकि नींद न पूरी की वजह से ड्यूटी के वक्त उन्हें नींद आ जाती है। 

 

रिसर्च में शामिल 38.2 प्रतिशत स्टूडैंट्स की माने तो ड्यूटी के वक्त जब भी वह खाली बैठती हैं तो नींद आने की दिक्कत रहती हैं। वहीं 87.2 प्रतिशत को स्टडी के वक्त नींद आनी शुरू हो जाती है। एकैडमिक्स डिमांड व 24 घंटे पेशैंट केयर में शामिल नर्सिंग स्टाफ की डिमांड हर दम रहती है। ऐसे में उनका लाइफ स्टाइल उन्हें हैल्दी स्लीप लेने का एक तय वक्त नहीं देता है। 

 

डाक्टर्स की मानें तो बाहर हुई कई स्टडी में सामने आया है कि इस तरह का लाइफ स्टाइल नर्सेज में थकान, मैंटल हैल्थ पर तो बुरा असर डालता ही है इसके साथ ही मरीजों पर इसका बुरा असर पड़ता है। डाटा क्लैक्शन के वक्त 40.25 प्रतिशत स्टूडैंट्स खुद को मुल्याकन करते हुए बताया कि उन्हें डे टाइम स्लीपिनैस की परेशानी है जबकि 34 प्रतिशत ने माना कि उन्हें यह परेशानी बहुत ही गंभीर स्तर पर है।   


 


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