डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल के साथियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में संशोधन की मांग हाईकोर्ट ने ठुकराई
punjabkesari.in Monday, Apr 24, 2023 - 09:52 PM (IST)

चंडीगढ़,(रमेश हांडा): खालिस्थान समर्थक अमृतपाल सिंह के 7 साथियो को पुलिस ने नैशनल सिक्योरिटी एक्ट व अन्य धाराओं के तहत गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ (असम) की जेल में भेजा है, जिनकी रिहाई को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल हुई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं को संशोधित कर दाखिल करने की सोमवार को डाली गई अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि अब बहस 2 मई से होगी। इससे पहले भी हाईकोर्ट ने एडवोकेट इमाम सिंह बारा को जमकर फटकार लगाई है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब याचिका में लिखा है कि याचिकाकत्र्ताओं को डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है तो गैरकानूनी हिरासत कैसे हो सकती है?
एन.एस.ए. में गिरफ्तार व्यक्ति अपराधी नहीं : बैंस
नैशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी एन.एस.ए. के तहत दर्ज मामला आपराधिक मामला नहीं होता। न ही इस मामले में ट्रायल चलता है और जांच एजैंसी को चालान ही दाखिल करना होता है। एडवोकेट आर.एस. बैंस के अनुसार सरकार एन.एस.ए. का इस्तेमाल उन परिस्थियों में करती है, जब कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन रहा हो लेकिन उसके खिलाफ कोई शिकायत या सबूत न हो। पहले 1979 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय इसका इस्तेमाल किया गया था, जब एमरजैंसी लगी थी। उसके बाद एन.एस.ए. का प्रयोग वर्ष 2014 से लगातार किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि एन.एस.ए. के तहत व्यक्ति जेल में रहता है लेकिन जमानत के लिए अप्लाई नहीं कर सकता। एन.एस.ए. के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को कम से कम एक वर्ष तक जेल में रहना पड़ता है, जिसके बाद इस स्थिति की समीक्षा कर अवधि बढ़ाई भी जा सकती है।
एन.एस.ए. मामलों के लेकर एक कमेटी बनी है जिसमें हाईकोर्ट का जज भी होता है जिनकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई चलती है। अगर एन.एस.ए. के तहत गिरफ्तार व्यक्ति चाहे तो उक्त कमेटी की सिफारिश को कोर्ट में चुनौती दे सकता है। बैंस के अनुसार बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से एन.एस.ए. के तहत की गई गिरफ्तारी को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अमृतपाल मामले में उन्होंने बताया कि उस पर जो भी अन्य मामले दर्ज हैं, उन पर ट्रायल तो चलेगा लेकिन अमृतपाल को उन मामलों में कोर्ट में पेश नहीं किया जा सकता क्योंकि एन.एस.ए. में ऐसा प्रावधान भी नहीं है। एन.एस.ए. के तहत जेल में रहने वाले व्यक्ति के क्रिमिनल रिकार्ड में भी सिक्योरिटी एक्ट को शामिल नहीं किया जाता।