अब पैक उखाड़ेगा मैस वर्कर के लिए बने बैरक

Wednesday, Jun 12, 2019 - 11:45 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि हंस): पंजाब इंजीनियरिंग कालेज (पैक) में  मैस वर्कर के लिए बने बैरक तोड़े जाएंगे। इन बैरक की जगह कुरूक्षेत्रा हॉस्टल की बिल्डिंग की एक्सटैंशन की जाएगी।  इन बैरक में करीबन 400 लोग रह रहे है। जबकि बैरक सिर्फ 60 से 65 मैस वर्कर के लिए बनाए गए थे, जिससे उन्हें पैक में ड्यूटी करने में कोई दिक्कत न आए। लेकिन  इस बैरक में मैस वर्कर धीरे-धीरे अपने परिवार के साथ बस गए है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पैक प्रबंधन ने इन बैरक को तोडऩे का फैसला कर लिया है। इन बैरक में मैस वर्कर और उनके परिवार के सदस्य मूलभूत सुविधाओं के बिना यहां पर रहे हैं। यह बैरक पैक में पिछले 20 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं। जानकारी के मुताबिक पैक में  इस समय मैस वर्कर के  लिए चार बैरक हैं। एक बैरक को 15 से 16  मैस वर्कर को दिया गया है। लेकिन इस बैरक में  प्रत्येक मैस वर्कर अपने परिवार के साथ  रहता है। यानि परिवार में चार से पांच या इससे ज्यादा सदस्य भी हो सकते हैं। 

एक बैरक में 75 के क रीब लोग रहते हैं। इन 75 लोगों के लिए एक बैरक में दो शौचालय और  दो बाथरूम हैं।  यानि 400 लोगों के लिए  आठ शौचालय और आठ बाथरूम हैं। यह शौचालय आए दिन बंद पड़ जाते हैं। हालात यह है कि  उनके बाथरूम बंद हो गए हैं फिलहाल अब उन्हें शौच भी खुले में जाना पड़ रहा है। कर्मचारियों ने  कहा कि यह बाथरूम कई बार बंद हो जाते हैं। 

बैरक  के कमरे सिर्फ मैस वर्कर के लिए बने थे, मकान का किराया बचाने के चक्कर में परिवार को भी रखा साथ में
जिस तरह से वह लोग यहां पर रह रहे हैं, यहां कभी भी बीमारी फैल सकती है। बैरक  के कमरे सिर्फ मैस वर्कर के लिए बने थे। लेकिन मैस वर्कर ने इन कमरों की दो-तीन पार्टिशन करके अपना घर यहां बना लिया है। पैक प्रबंधन का कहना है कि मैस वर्कर अपना किराया बचाने के चक्कर या फिर पैक में रहते हुए ड्यूटी करने के चक्कर में अपने परिवारों को यहां ले आए हैं। इन बैरक में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यहां रह रहे हैं। जबकि कई मैस वर्कर के अपने घर भी हैं।

 कम वेतन में कैसे लें किराए पर मकान
पैक मैस वर्कर यूनियन ने  भी इन छोटे-छोटे वैरक  को क्वार्टर मे बदलने की मांग की। मैस वर्कर का कहना  है कि उन्हें लगातार कई वर्षों  से इन हालातों के बारे में पैक अथॉरिटी को लिख रहे हैं लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।  वर्कर ने कहा कि मार्कीट में घरों का किराया बहुत ज्यादा और हमारा वेतन बहुत कम है। हमारा वेतन 7 से दस हजार के बीच है। इतने वेतन में घर लेना व परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल है। ऐसे में  कम वेतन में  हमारे  लिए किराए पर बाहर घर लेना मुश्किल है। कुछ मैस वर्कर को यहां सरकारी क्वार्टर भी बने हुए हैं। 

योजना बनी पर नहीं हो पाई सफल
पैक में  पिछले वर्ष  इन बैरक की दशा सुधारने के लिए  योजना  बनाई गई थी। लेकिन यह योजना धरी की धरी रह गई। इस संबंध  में पैक के डायरैक्टर डा. धीरज सांघी ने बताया कि पैक मैस वर्कर के लिए बने बैरक को लंबे समय से परिवारों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। जबकि वहां किसी भी परिवार का रहना मुश्किल है। नियमों के तहत इन बैरक में सिर्फ मैस वर्कर को ही रहना चाहिए।

bhavita joshi

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