रि. लैफ्टिनैंट कर्नल की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद कार्रवाई न करने पर नोटिस

Thursday, Dec 07, 2017 - 10:30 AM (IST)

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): प्रॉपर्टी का बहुओं व एक बहू के बेटा-बेटी से कब्जा पाने के लिए 99 वर्षीय रि. लैफ्टिनैंट कर्नल को जंग लडऩी पड़ रही है। रि. कर्नल की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद कार्रवाई न करने पर हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के डी.सी. अजीत बालाजी जोशी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिसमें पूछा है कि कंटैंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट के  प्रावधानों के तहत आगामी प्रक्रिया क्यों न शुरू की जाए। वहीं हाईकोर्ट ने कहा है कि केस की अगली सुनवाई पर वह देखेंगे कि प्रतिवादी अफसर की उपस्थिति की आवश्यक्ता है या नहीं। 

 

लैफ्टिनैंट कर्नल प्यारा सिंह सारंग द्वारा डी.सी. को पार्टी बनाते हुए दायर अवमानना याचिका में जस्टिस राजन गुप्ता की कोर्ट ने यह आदेश जारी किए हैं। याची ने प्रतिवादी पर हाईकोर्ट के 6 नवम्बर, 2017 के आदेशों की उल्लंघना का आरोप लगाया है। हाईकोर्ट ने पक्षों को सुनने व केस की परिस्थितियों व तथ्यों को देखने के बाद 6 नवंबर के आदेशों में याचिका का निपटारा करते हुए प्रतिवादी पक्ष को आदेश जारी किए थे। याची के वकील ने कहा कि  तय समय बीतने के बाद भी संबंधित अर्जी लंबित है। वहीं प्रतिवादी पक्ष ने हाईकोर्ट के आदेशों की अवज्ञा की। मामला सैक्टर-27 में करोड़ों की प्रॉपर्टी से जुड़ा है।

 

जालसाजी कर जमीन हड़पने के आरोप : प्यारा सिंह को 20 मई, 1958 में एस्टेट ऑफिस से 1333 स्क्वेयर यार्ड की जमीन अलॉट हुई थी। उनके एक बेटे डा. दमन देव सिंह की 21 सितम्बर, 2006 को मौत हो गई थी। जिसके बाद उनके दूसरे बेटे की पत्नी ने एस्टेट ऑफिस में प्रॉपर्टी ट्रांसफर को लेकर एन.ओ.सी. के लिए अर्जी दायर की थी। याची के मुताबिक जालसाजी कर जी.पी.ए. तैयार करवाई गई थी और प्रॉपर्टी पर लोन लिया गया। याची की शिकायत पर सैक्टर-26 थाने में उनके बेटे किरण देव सिंह (दिवंगत) एवं पत्नी के खिलाफ विश्वासघात एवं धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया गया था। इसी बीच याची की पत्नी का 2009 में देहांत हो गया। 

 

याची का पोता विक्रम देव सिंह इस कब्जे वाली जमीन से अलग रहता है जिसका इस पूरे मामले से कोई विवाद नहीं और उसकी बहन की शादी हो चुकी है। याची ने अपने मुख्य केस में कहा था कि वह 99 साल से अधिक के हो गए हैं। उन्होंने मैंटेनैंस एंड वैल्फेयर ऑफ पेरैंट्स एंड सीनियर सिटीजंस एक्ट के तहत एस्टेट ऑफिस में अर्जी दायर की थी, जिसमें अवैध कब्जाधारकों से जगह खाली करवाने की मांग की गई थी। वह अर्जी चंडीगढ़ के एस्टेट ऑफिसर के पास थी और 9 नवम्बर के लिए उस पर सुनवाई थी। फिर भी उनकी अर्जी पर सुनवाई नहीं हो रही। 

 

आदेशों के बावजूद कार्रवाई नहीं : याची के काऊंसिल जङ्क्षतद्र नागपाल ने बताया कि कब्जे को पाने को लेकर उन्होंने एस्टेट ऑफिस में 12 जून, 2017 को अर्जी दी गई थी। निचली कोर्ट से वह केस जीत चुके हैं और दूसरे पक्ष की अपील भी कॉस्ट के साथ खारिज हो चुकी है। एस्टेट ऑफिस में जमीन के कब्जे को पाने के लिए अर्जी दायर की थी जो कई सुनवाईयों के बाद भी लंबित है।

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