5 वर्षों से पैंडिंग PU में नो व्हीकल जोन बनाने की योजना

Sunday, Oct 22, 2017 - 09:03 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : पंजाब यूनिवर्सिटी (पी.यू.) को नो व्हीकल जोन बनाने की योजना करीब 5 वर्षों से पैंडिंग है। पी.यू. में नया सैशन-2018 शुरू हुए दो माह का समय बीत चुका है। स्टूडैंट काऊंसिल चुनाव भी खत्म हो चुके हैं, लेकिन कैंपस में बिना स्टीकर वाली गाडिय़ां हर रोज बेरोक टोक एंट्री कर रही हैं। कैंपस को हर साल नो व्हीकल जोन बनाने की योजना पर मुहर लगती है लेकिन वह धरी की धरी रह जाती है। पांच सालों में इस तरह की योजनाएं बनी और कागजों में ही दबकर रह गईं। 

 

पी.यू. प्रबंधन की ओर से यह योजनाएं हर साल नए सैशन में लागू करने का दावा किया जाता है। स्टूडैंट और खुद प्रोफैसर भी पी.यू. को नो व्हीकल जोन बनाने की मांग कर चुके हैं। कैंपस में किसी भी हिस्से को फिलहाल नो व्हीकल जोन नहीं घोषित किया गया है, जबकि पी.यू. प्रबंधन ने गत 30 जून को कहा था कि पी.यू. को नो व्हीकल जोन नए अकेदमिक सैशन से घोषित किया जा रहा है। पी.यू. में गाडिय़ों पर स्टीकर लगने या न लगे होने की चैकिंग भी होनी है जो अब लगभग बंद हो गई है। स्टूडैंट काऊंसिल चुनावों तक  यह जारी था। 

 

बस शटल सर्विस :
पी.यू. प्रबंधन की ओर से कैंपस में बस शटल सर्विस  चलाई जा रही है लेकिन वह कैंपस में खाली ही घूमती रहती हैं। हालांकि पी.यू. ने यह दावे किए हैं कि बस शटल सर्विस को बढ़ाया जाएगा, लेकिन कैंपस में दौड़ रहीं बस शटल सर्विस खाली दौड़ती है और इनमें हर रोज हजारों रुपए का पैट्रोल खपत होता है। 

 

एंट्री नहीं हुई बंद :
प्रबंधन ने स्टूडैंट की एंट्री शाम पांच बजे के  बाद बैन करने पर बिना परमिशन के स्टूडैंट की कैंपस में एंट्री करने पर रोक लगाने के लिए कहा था। वहीं ईवनिंग विभाग के स्टूडैंट के लिए सिर्फ टू व्हीलर वाहनों का प्रयोग और नए स्टूडैंट  कैंपस में फोर व्हील पर बैन लगाने के सभी दावे भी खोखले साबित हुए हैं। कैंंपस में आने-जाने वाले किसी भी स्टूडैंट्स की आईडैटिंटी कार्ड चैक नहीं किया जा रहा।

 

नियम बनाए पर फायदा नहीं हुआ :
पंजाब यूनिवर्सिटी को नो व्हीकल जोन बनाने के लिए इससे पहलेे भी कड़े नियम बनाए जा चुके हैं, लेकिन इन नियमों को कोई फायदा नहीं हुआ। पी.यू. कैं पस में सैशन 2016 में हॉस्टलर के लिए गाड़ी रजिस्टर करवाना जरूरी किया गया था, लेकिन फिर भी कैंपस में सैंकड़ों गाडिय़ां हॉस्टल के बाहर ऐसी खड़ी होती थी, जो रजिस्टर नहीं थी। 

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