हालात के थपेड़ों में भी नहीं छिपी प्रतिभा, अली बन गए गायक

punjabkesari.in Monday, Apr 15, 2019 - 01:46 PM (IST)

चंडीगढ़(पाल): किसी व्यक्ति के भीतर अगर कोई प्रतिभा होती है तो वह कभी छिपी नहीं रह सकती। फिर चाहे वक्त उस पर लाख सितम करे या लोग उसकी राह में बाधा डालें। ऐसे ही कुछ हालातों व परिस्थितियों की देन है कि युवा सूफी गायक अब्राहम अली। अली रविवार को चंडीगढ़ प्रैस क्लब की ओर से आयोजित सूफी नाइट से पहले पत्रकारों से रू-ब-रू हुए। अली के घर के हालात कभी ऐसे नहीं हुए कि वह किसी महंगे संस्थान के जाकर संगीत की उच्च शिक्षा हासिल करते। अली के जीवन के अनुभव ही उसके उस्ताद हैं और जीवन में आए उतार-चढ़ाव और पेट की जरूरतों ने उसे गायन के साथ जोड़ दिया।

पढ़ाई बीच में ही छोडऩी पड़ी
बकौल अली उसके पिता मेहनत-मजदूरी करके परिवार पालते थे। बचपन में स्कूल के मंच पर पहली बार गाया तो सहपाठियों ने व स्कूली अध्यापकों ने खूब सराहा, लेकिन हालात इस बात की इजाजत नहीं दे रहे थे कि वह कहीं उंचे घराने के उस्ताद के पास जाकर संगीत की तालीम हासिल करे। घर के हालात कुछ ऐसे थे कि उन्हें दसवीं की पढ़ाई बीच में ही छोडऩी पड़ गई। गायन का शौक उन्हें बचपन से ही था। मन जब परिस्थितियों को देखकर उदास होता तो गायन ही उनका सहारा था। इसके बाद अब्राहम अली ने मां के जगराते में गाना शुरू किया तो लोगों को पसंद आने लगा। 

शुरू-शुरू में जगराते में माता की एक या दो भेंट गाने के बाद ही संतोष करना पड़ा, लेकिन एक दिन पड़ोस के ही गांव से पूरी रात जगराते की मांग आई तो अली की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और गायन को ही अपना करियर बना लिया। अब अली सूफी गायन में पूरी तरह से रच बस गया है। उनका मानना है कि अब युवाओं की पसंद में भी बदलाव आ रहा है। अब युवा सूफी गायन को पसंद करने लगे हैं। यह अच्छा संकेत है।


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bhavita joshi

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