छह कारण जो बताते हैं कि निकोटिन आपका दुश्मन नहीं है !

punjabkesari.in Saturday, Dec 25, 2021 - 12:22 AM (IST)

चंडीगढ़। क्रिसमस के खुशनुमा माहौल में, लोगों की सेहत को लेकर बहुत ही अच्छी खबर आई है: उन देशों में जिन्होंने तंबाकू के नुकसान को कम करने की नीति को प्रोत्साहित किया और उसे अपनाया, वहाँ धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या उल्‍लेखनीय रूप से कम हो गई। 
 
उदाहरण के लिये यूके में, 2013 के बाद से धूम्रपान के स्तर में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है (यह वह समय है जब वैपिंग मशहूर हो गया)। पिछले चार सालों में जापान में सिगरेट की बिक्री में 34 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि 2019 में नुकसान को कम करने वाले विकल्प जैसे हीट-नॉट-बर्न में 30 प्रतिशत का उछाल आया।
 
ऐसा इसलिये संभव हो पाया क्योंकि आमतौर पर जिन्हें निकोटीन की तलाश रहती है, वे कम हानिकारक तरीके से इसे कर रहे हैं। मारिया चैपलिया कंज्यूमर चॉइस सेंटर में रिसर्च मैनेजर और हाल के पेपर "सिक्स रीजन टू स्टॉप द वॉर ऑन निकोटिन"  की सह-लेखिका ने बताया की हालांकि, ये संख्या ग्राहकों के लिये भले ही एक महत्वपूर्ण जीत हो, लेकिन निकोटिन को अवैज्ञानिक रूप से बलि का बकरा बनाने की यह पूरी कवायद इन सफलताओं को कमजोर करती है। इस दृष्टिकोण के गंभीर परिणाम हैं: कम लोग कम हानिकारक विकल्पों का रुख करते हैं, जैसे कि वैपिंग, निकोटिन पाउच, या हीट-नॉट-बर्न डिवाइस।फिलीपींस में नुकसान को कम करने की अतिरिक्त श्रेणियों को वैध बनाने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी भी हम व्यापक रूप से आवश्यक स्वीकृति के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाये हैं। निकोटिन को दानव के रूप में चित्रित करना बंद कर देना चाहिये, उसके छह कारण दिये गये हैं।
 
लोग निकोटिन लेते हैं, लेकिन मौत धूम्रपान की वजह से होती है
हमें लोगों को निकोटिन लेने के लिये प्रोत्साहित नहीं करना चाहिये। लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों को धूम्रपान करने वालों को वैपिंग और अन्य विकल्पों की तरफ जाने से नहीं रोकना चाहिये। ब्रिटिश नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार, “भले ही निकोटिन सिगरेट में एक नशे वाला पदार्थ है, लेकिन अपने आपमें यह उतना नुकसानदायक नहीं होता है। धूम्रपान में लगभग सारा नुकसान टोबेको स्मोक के हजारों अन्य केमिकल्स की वजह से होता है, जिनमें काफी केमिकल्‍स जहरीले होते हैं।
 
पैचेस और च्युइंगम के रूप में निकोटिन से कोई समस्या नहीं है, इसलिये वैप्स में इसे परेशानी का कारण नहीं मानना चाहिये
 
यूनाइटेड किंगडम में रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन ने निकोटिन लेने की एक विधि के रूप में वैपिंग की भूमिका को संक्षेप में प्रस्तुत किया: "इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट तंबाकू के नुकसान को कम करने के लिये एक आदर्श उत्पाद के कई मानदंडों को पूरा करते हैं। हालांकि ई-सिगरेट से निकोटिन की पहुँच कई कारकों पर निर्भर करती है, […], उनमें निकोटीन की उच्च मात्रा हो सकती है, लेकिन तंबाकू के धुएं के हानिकारक घटक नहीं होते हैं [...] "।
 
निकोटिन की लत जटिल है और निषेध इसे प्रभावी ढंग से नहीं सुलझा सकते
 
निकोटिन डोपामाइन के रिलीज का कारण बनता है, जिससे तंबाकू की लत लगती है। लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं हो सकता है कि इतने सारे लोग धूम्रपान नहीं छोड़ सकते। यदि धूम्रपान की लत का एकमात्र कारण निकोटिन होता तो निकोटिन पैच का उपयोग करने वाले हरेक धूम्रपान करने वाले को तुरंत धूम्रपान छोड़ देना चाहिए,  लेकिन हम जानते हैं कि ऐसा नहीं है।
 
वैज्ञानिक जर्नल,  ड्रग एंड अल्कोहल डिपेंडेंस में 2015 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि टोबैको स्‍मोक (तंबाकू के धुएं) के अभाव में निकोटिन पर संभावित निर्भरता बहुत कम है। इसका मतलब है कि ज्यादातर वैपर्स में लत लगने का दबाव, टोबैको स्‍मोकर्स से कम होता है।
 
निकोटिन के सेहत से जुड़े फायदे
1960 के दशक में हुए शोध से पता चला है कि धूम्रपान करने वालों में पार्किंसंस रोग का स्तर कम था और हाल के अध्ययनों ने निकोटिन को एक कारण के रूप में स्थापित किया है। परिणाम में पाया गया कि "जो पुरुष धूम्रपान नहीं करते थे, लेकिन स्नस (एक प्रकार का धुआं रहित तंबाकू) का इस्तेमाल करते थे, उनमें पार्किंसंस रोग का खतरा काफी कम था।" इसका एक कारण निकोटिन का सकारात्मक कॉग्नेटिव प्रभाव है, जो कई अध्ययनों में सामने आया है।
 
निकोटिन से जुड़ी भ्रांतियां प्रगति को रोकती है
यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि निकोटिन को लेकर लोगों की राय विकृत है। यूएस सर्वेक्षण के 57 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस बात को माना कि “सिगरेट में निकोटिन एक ऐसा पदार्थ है जोकि धूम्रपान की वजह से होने वाले सबसे ज्यादा कैंसर की प्रमुख वजह है”, और 80 प्रतिशत डॉक्टर्स गलती से इस बात को मानते हैं कि निकोटिन कैंसर का कारण बनता है। लोगों और विशेषज्ञों की भ्रांति की वजह से नकारात्मक परिणाम हो रहे हैं, क्योंकि वे वैपिंग की धारणा को तोड़-मरोड़ रहे हैं, जोकि धूम्रपान की तुलना में 95 प्रतिशत कम हानिकारक है।
 
वैपिंग के सामान्य प्रभावों पर 755 केस स्टडी की हालिया समीक्षा से यह निष्कर्ष निकला है कि यह केवल 37 "वैज्ञानिक गुणवत्ता के सटीक मानदंडों को पूरा करते हैं।"
 
निषेध कभी काम नहीं करता
इतिहास इस बात का गवाह है कि प्रतिबंध लगाने का कोई फायदा नहीं होता है और यह सबसे ज्यादा नजरअंदाज की जाने वाली सीख में से एक है। यूनाइटेड स्टेट्स में शराब बंदी पूरी तरह से तबाही थी, जिससे शराब का सेवन, असुरक्षित सेवन और बड़े पैमाने पर कार्टेल शुरू हो गये। ऐसा ही साउथ अफ्रीका में हाल ही में महामारी संबंधी, शराब और तंबाकू को लेकर लगे प्रतिबंध के मामले में भी हुआ। दुनिया भर में ड्रग्‍स के खिलाफ वैश्विक युद्ध, कई मायनों में, वह हासिल करने में नाकाम रहा है जिसे करने के लिये इसे छेड़ा गया था, इसने समस्या को और भी बदतर बना दिया। कई मामलों में, इसने प्रतिकूल नीतियों को जन्म दिया है। इसलिये, यह अनुमान लगाना उचित है कि निकोटिन पर युद्ध के भी वैसे ही परिणाम सामने आयेंगे।
 
चूंकि धूम्रपान और धूम्रपान से प्रेरित बीमारियां मानवता के सामने आने वाली चुनौतियों में से एक है, इसलिये उन्हें बिना किसी वैचारिक पूर्वाग्रह के हल करना जरूरी है। निकोटिन हमारा दुश्मन नहीं है और हम इसे नहीं भूल सकते।
 
मारिया चैपलिया कंज्यूमर चॉइस सेंटर में रिसर्च मैनेजर हैं और हाल के पेपर "सिक्स रीजन टू स्टॉप द वॉर ऑन निकोटिन"  की सह-लेखिका हैं।l


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News Editor

Ajesh K Dharwal

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