‘बेहतर ट्रैफिक मैनेजमैंट के लिए राऊंड अबाऊट हटाना जरूरी’

punjabkesari.in Thursday, Oct 25, 2018 - 10:47 AM (IST)

चंडीगढ़ (पाल) : चंडीगढ़ एक प्लान्ड सिटी है और इसकी पुरानी विरासती तस्वीर को बनाए रखने के लिए किसी बड़े बदलाव की अनुमति नहीं है। मगर मूल रूप से चंडीगढ़ के रहने वाले और 50 साल से देश-विदेश में आर्किटैक्ट अमर मल्ला का मानना है कि अगर कुछ सुधार करना है तो इसके लिए बदलाव भी जरूरी है। वह बुधवार को शहर पहुंचे। यहां उन्होंने शहर व इसके ऑर्किटैक्ट को लेकर अपने अनुभव सांझा किए। 

 

उन्होंने कहा कि पहले चंडीगढ़ की आबादी कम थी तो उसके लिहाज से र्ऑिर्कटैक्ट सही था लेकिन अब शहर को अपना मूल रुप रखते हुए बदलाव की जरूरत है। अमर कहते हैं शहर का विरासती स्वरूप मुख्य तौर पर कंक्रीट और ब्रिक आधारित है, यह सामग्री बहुत सीमित है और समानता पैदा करती है। पुरानी इमारतों के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को अन्य सामग्रियों को लाया जाना चाहिए। 

 

ईंटों की गुणवत्ता एक प्रकार तक ही सीमित है। ईंटों की कई किस्में हो सकती हैं जोकि शहर के मूल स्वरूप के साथ मेल खा सकती हैं। कंक्रीट और ब्रिक्स की एकरूपता के मुकाबले ईंटों के विभिन्न रंग लाए जाने चाहिए।

 

राऊंड अबाऊट की जगह ट्रैफिक लाइट्स लगनी चाहिए
अमर चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटैक्चर से ग्रेजुएशन करने वाले 1962-1967 के दूसरे बैच से हैं। उन्होंने 1980 तक कई पदों पर काम किया और उसके बाद वे अमेरिका चले गए। उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी में 13 साल तक कई बड़ी निजी फर्मों में काम किया। साल 1993 में  डिपार्टमैंट ऑफ डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन, न्यूयॉर्क सिटी में नियुक्त हो गए और तब से वहीं पर काम कर रहे हैंं। 

 

शहर के आर्किटैक्ट को लेकर अमर मानते हैं अब वक्त आ गया है कि शहर से राउंडअबाउट को हटाया जाए, जैसे कि दुनियाभर के कई अन्य देशों ने बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए किया है। उन्होंने कहा कि इतने साल बाद शहर आने और यहां घूमते वक्त मुझे काफी डर लगा। इस दौरान मैंने महसूस किया कि दुर्घटनाओं से बचने के लिए ट्रैफिक मैनेजमेंट पर जोर दिया जाना चाहिए। 

 

राऊंड अबाऊट की जगह पर ट्रैफिक लाइट्स को लगाना चाहिए। दूसरे देशों में चौराहों को तेजी से बदला जा रहा है। शहर के इस स्वरूप के बारे में कोई विचार सामने नहीं आया था, जब इस शहर की योजना बनाई गई थी। इस शहर का स्वरूप काफी कम आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए तय किया गया था, जबकि आज आबादी काफी बढ़ गई है।

 

बुनियादी ढांचे पर जोर नहीं 
अमर कहते हैं भारतीय ऑर्किटैक्ट में काफी कुछ ऐसा है, जिनमें बदलाव किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यातायात की समस्या बढ़ रही है और बुनियादी ढांचे में सुधार पर कोई अधिक जोर नहीं दिया जा रहा है। इसके बजाय बुनियादी सुविधाएं देने वाले अधिकारी अस्थाई समाधानों के बारे में ही सोच रहे हैं। अगर बरसात में हर जगह पानी ही भर जाना है तो बड़ी-बड़ी मार्कीट विकसित नहीं करनी चाहिए। 

 

भारत की तुलना में अमेरिका में आर्किटैक्चर प्रैक्टिस काफी अलग है वहां लगभग 80 प्रतिशत निजी क्षेत्र है और मैं एक वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक हूं। हम निजी आर्किटैक्ट्स को नियुक्त करते हैं जिन्होंने बड़ी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई की है। हम उन्हें अच्छी इनकम देते हैं, जबकि भारत में यहां सरकारी क्षेत्र की भूमिका अधिक है, इसके कारण इनमें योग्य आर्किटैक्ट्स और इंजीनियरों की संख्या यहां काफी कम है। 


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pooja verma

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