‘नवसंकल्प’ दे रहा लोगों को नई जिंदगी, 2006 में बनी थी संस्था

Saturday, Jan 20, 2018 - 08:39 AM (IST)

चंडीगढ़(पॉल) : किसी जरूरतमंद की मदद करने का संकल्प लेना हर किसी के बस की बात नहीं, लेकिन शहर के नवसंकल्प एन.जी.ओ. ने इन लोगों की मदद का संकल्प लिया हुआ है, जिसे वह 12 साल से बखूबी निभा भी रहा है। 

 

पी.जी.आई., जी.एम.सी.एच.-32 और जी.एम.एस.एच.-16 में 17 साल के कम उम्र के बच्चों के लिए नवसंकल्प एक उम्मीद की किरण बना हुआ है। एन.जी.ओ. अब तक ऐसे 153 का इलाज करवा चुका है। शहर के सभी कॉलेज से 200 स्टूडैंट्स द्वारा इस एन.जी.ओ. को चलाया जा रहा है। 

 

2006 में बनी थी संस्था :
साल-2006 में डा. हरप्रिया कौर ने इस संस्था की शुरूआत की थी। उस वक्त महज 12 हजार रुपए इकठ्ठा कर बच्चों की मदद की जाती थी। डी.ए.वी. कॉलेज के एसोसिएट प्रो. रविन्द्र चौधरी एन.जी.ओ. में बतौर टीचर कोर्डिनेटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

 

प्रो. चौधरी की मानें तो शहर के लोगों से डोनेशन के तौर पर लिया गया पैसा ही इन बच्चों की मदद कर रहा है। यूं तो सभी अस्पतालों से बीमार बच्चों की मदद की जा रही है लेकिन पी.जी.आई. से डाक्टर्स भी संस्था को ऐसे जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए रैफर कर देते हैं। पी.जी.आई. के पुअर पैशेंट सैल की इंचार्ज डा. अनुराधा भी इसमें अपना सहयोग दे रही हैं। 

 

पहली बार सुन-बोल पाएगी प्रगति :
24 जनवरी को 2 साल की होने वाली प्रगति पहली बार कोई आवाज सुन पाएगी। प्रगति के पिता पी.जी.आई. से प्रगति का इलाज करवा रहे थे लेकिन महज 9 हजार की तनख्वाह में इलाज संभव नहीं हो पा रहा था। इसके बाद पी.जी.आई. के ए.पी.सी. स्टाफ ने नवसंकल्प एन.जी.ओ. से संपर्क किया। शुक्रवार को एन.जी.ओ. की मदद से प्रगति को 60 हजार की ऑडियो डिवाइस लगाई गई है, जिसकी मदद से वह अब सुन व बोल पाएगी। 

 

अक्ष को दिए एक लाख रुपए :
प्रगति को ऑडियो डिवाइस देने के साथ ही 9 साल के अक्ष को एक लाख रुपए भी एन.जी.ओ. ने डोनेट किए हैं। अक्ष को 16 दिसम्बर 2017 को बुखार हुआ था। इसके बाद उसे ब्रेन हेमरेज हो गया था। करीब दस दिन तक कोमा में रहने के बाद अब वह होश में आया है। डॉक्टर ने उसकी थैरेपी शुरू की है लेकिन एक थैरेपी पर 25 हजार रुपए तक का खर्च था। पिता अमरजीत की मानें तो एन.जी.ओ. की मदद से अब उनके बेटा पहले की तरह खेल-कूद पाएगा। 
 

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